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'MCD ने ही दिए दुकान चलाने के पेपर, अब बिना बताए गिरा दी'

जहांगीरपुरी में जिस जगह पर एमसीडी की कार्रवाई हुई, उसी जगह हनुमान जयंती के मौके पर 16 अप्रैल को हिंसा हुई थी. रहीमा का कहना है कि जहांगीरपुरी में सभी जगह पर इसी तरह दुकानें हैं.

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Jahangirpuri Bulldozer
रहीमा और गणेश कुमार गुप्ता (फोटो- दी लल्लनटॉप/इंडिया टुडे)
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पड़ताल
22 अप्रैल 2022 (Updated: 27 अप्रैल 2022, 06:07 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली के जहांगीरपुरी के लोगों के लिए 20 अप्रैल की सुबह खलबली लेकर आई. उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की. कई 'अवैध' दुकानों और ढांचों को गिरा दिया गया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस कार्रवाई पर रोक लगी. स्थानीय लोग इस पर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं. आरोप है कि इस कार्रवाई से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया. कई लोगों का ये भी आरोप है कि उनके पास दुकान के लीगल पेपर थे, इसके बावजूद दुकानों को गिरा दिया गया.

ऐसी ही एक महिला हैं रहीमा. जहांगीरपुरी के कुशल चौक के पास उनकी छोटी-सी दुकान थी. रहीमा का आरोप है कि एमसीडी ने उन्हें पिछले साल ही वेंडिंग सर्टिफिकेट दिया था, इसके बावजूद दुकान को ढाह दिया गया. रहीमा ने दी लल्लनटॉप को वो वेंडिंग सर्टिफिकेट भी दिखाया. इसमें स्ट्रीट वेंडर के रूप में उनके पति अकबर का नाम लिखा है. वेंडर सर्टिफिकेट जारी करने की तारीख 13 नवंबर 2021 है. इसमें लिखा है कि रजिस्ट्रेशन की वैधता जारी होने की तारीख से 5 साल तक मान्य रहेगी. अकबर ने बताया कि उनकी दुकान 2006 से ही है.

'क्या दुकान की वजह से हुआ झगड़ा'

रहीमा ने दी लल्लनटॉप के रिपोर्टर अभिनव पाण्डेय को बताया कि उन्हें दुकान गिराए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी. उन्होंने बताया,

"दुकान चलाने के पेपर एमसीडी ने ही दिए थे, अब बिना बताए तोड़ डाली. कोई नोटिस नहीं दिया गया था. अगर वो हमें बोल देते कि हमारी दुकान गिराई जाएगी तो हम सामान निकाल लेते. लेकिन उन्होंने बोलने का भी मौका नहीं दिया. हमारे लिए ये लाखों रुपये का नुकसान है. सरकार के लिए ये भले ही कूड़ा हो, लेकिन हमारे लिए ये बहुत कुछ है. ये हमारी रोजी रोटी है."

जहांगीरपुरी में जिस जगह पर एमसीडी की कार्रवाई हुई, उसी जगह हनुमान जयंती के मौके पर 16 अप्रैल को हिंसा हुई थी. रहीमा का कहना है कि जहांगीरपुरी में सभी जगह पर इसी तरह दुकानें हैं. उन्होंने भावुक होकर कहा,

"दूसरी जगह भी ऐसे ही दुकानें हैं, लेकिन वो उन्हें नहीं दिख रहा है. यहां लड़ाई-झगड़ा हुआ तो ये किया गया. क्या दुकान की वजह से झगड़ा हुआ? सारे हिंदू भी हमारे दुकान से आकर सामान लेते थे. बचपन से हूं, कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं देखा, पहली बार ये देखा."

रहीमा के पति अकबर से जब हमने पूछा कि क्या वो किसी से इसकी शिकायत करेंगे. तो उन्होंने कहा कि 'गरीब की कौन सुनता है, गरीब को मरना पड़ेगा.' रहीमा और अकबर की दुकान तोड़े जाने पर हमने एमसीडी से भी संपर्क किया. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है, वे इसको चेक करेंगे.

Brinda Karat

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर को रोकतीं सीपीएम नेता बृंदा करात (फोटो- ट्विटर/@vijayprashad)

दुकान गिराने के और भी ऐसे मामले

एक और मामला गणेश कुमार गुप्ता का है. जहांगीरपुरी में जूस की दुकान चलाते हैं. बुलडोजर से उनकी दुकान के कुछ हिस्सों को तोड़ दिया गया. हालांकि गणेश गुप्ता का कहना है कि उनके पास दुकान के सभी पेपर हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इसके खिलाफ वे कोर्ट जाएंगे. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा,

"1977 से ही मेरी दुकान को डीडीए से अलॉटमेंट मिली हुई है. मेरे पास सभी कागज हैं. 4800 रुपये सालाना फीस देता हूं. मैंने इन लोगों को सबकुछ बताया. यहां तक कहा कि एक घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आ गया है, तोड़फोड़ रोकिए. फिर भी वे नहीं रुके."

Hear Ganesh Kumar Gupta, who’s juice shop was partially razed.

He says his shop was allotted by DDA, says none from his family is accused for rioting. Then why was his shop demolished?

Gupta Ji will now go to court for an answer pic.twitter.com/GhSq0jDg01

— Sreya (@Sreya_Chattrjee) April 20, 2022

इसी तरह रमन झा नाम के व्यक्ति ने भी आरोप लगाया कि उन्हें कोई सूचना नहीं मिली थी. आरोप के मुताबिक, रमन को अधिकारियों ने भरोसा दिलाया था कि उनकी दुकान पर तोड़फोड़ नहीं होगी. लेकिन जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, सबसे पहले उनकी दुकान ही बुलडोजर का शिकार बन गई. रमन झा ने आजतक से कहा कि वो 1985 से ही जहांगीरपुरी में पान की दुकान चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि दुकान से वो महीने का 5000 रुपये कमा लेते थे लेकिन अब वो भी बंद हो गया.

एमसीडी की इस बुलडोजर वाली कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस कार्रवाई पर थोड़ी देरी से रोक लगी. नगर निगम का कहना था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मिलता, कार्रवाई जारी रहेगी. इस अभियान के खिलाफ दाखिल याचिका पर 21 अप्रैल को दोबारा सुनवाई होने वाली है.

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