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‘फोर्डो प्लांट’: ईरान का वह न्यूक्लियर किला, जिसे इज़रायल ढहा नहीं पाया

Israel-Iran Conflict: अमेरिकी सेना के पास जो 30,000 पाउंड का बम है, उसे ‘बंकर बस्टर’ के नाम से जाना जाता है. इस अमेरिकी बम का आवरण बहुत मोटा स्टील का बना होता है. और क्या ख़ासियत है इसकी, जिससे ईरान को नुक़सान हो सकता है.

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Iran Best-Protected Nuclear Site
फोर्डो ईरान का सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर साइट है. (फ़ोटो- AP)
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हरीश
17 जून 2025 (Updated: 18 जून 2025, 02:00 PM IST) कॉमेंट्स
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ईरान और इज़रायल के बीच जंग (Israel-Iran War) जारी है. इस बीच, इज़रायल पूरी ताक़त से ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने पर तुला हुआ है. इज़रायली वायुसेना लगातार तेहरान समेत ईरान के अलग-अलग हिस्सों पर बमबारी कर रही है. ईरान भी इन हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने का दावा कर रहा है. इस बीच, ईरान में मौजूद एक ऐसे परमाणु ठिकाने की ख़ूब चर्चा है, जिसे इज़रायली पहुंच से पूरी तरह से सुरक्षित बताया जाता है. ये ठिकाना है, फोर्डो (Fordo).

इज़रायल ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया है. इनमें से दो तो हैं- नतांज और इस्फ़हान. इज़रायल ने ये भी दावा किया कि उसने ईरान के कम से कम 14 परमाणु वैज्ञानिक मार दिए हैं. लेकिन इस पूरी मुहिम में ये जगह अब भी इज़रायली हमलों से बचा हुआ है. नाम, फोर्डो न्यूक्लियर फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट.

यही वो तीसरा परमाणु ठिकाना है, जिस पर इज़रायल ने हमला तो किया. लेकिन अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया. ये न सिर्फ़ ईरान की परमाणु क्षमता का केंद्र है. बल्कि ऐसी पहेली बन चुका है, जिसे इज़रायल नहीं सुलझा पा रहा है. इसी न्यूक्लियर प्लांट के बारे में बताएंगे, ये भी बताएंगे कि ये इतना अहम क्यों है?

Fordo Nuclear Site की ख़ासियत

ईरान के बीचोबीच एक शहर है, क़ोम. फोर्डो इसी क़ोम से 20 मील और तेहरान से लगभग 100 मील दूर है. इसी फोर्डो में एक पहाड़ के अंदर न्यूक्लियर साइट बनाया गया है. ताकि इसे हमले से बचाया जा सके. बताया जाता है कि प्लांट के निर्माण का काम 2006 में ही शुरू हो गया था. लेकिन इसके बारे में आधिकारिक रूप से पता 2009 में चला.

परमाणु हथियारों के लिए ज़रूरी संवर्धन लेवल 90 प्रतिशत के करीब है. मार्च 2023 में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने बताया कि उसने फोर्डो में 83.7 प्रतिशत शुद्धता तक संवर्धित यूरेनियम की खोज की है. सिर्फ़ अमेरिकी सेना के पास ही 30,000 पाउंड (लगभग 13,607 किलो) का बम है, जो उस तक पहुंच सकता है. आगे बढ़ेंगे, उससे पहले इस अमेरिकी एंगल के बारे में जान लेते हैं.

सिर्फ़ अमेरिका क्यों?

अमेरिकी सेना के पास जो 30,000 पाउंड का बम है, उसे ‘बंकर बस्टर’ के नाम से जाना जाता है. इस अमेरिकी बम का आवरण बहुत मोटा स्टील का बना होता है. दूसरे बमों की तुलना में इसमें कम मात्रा में, लेकिन समान आकार के विस्फोटक होते हैं. ऐसे भारी आवरण के कारण बम मिट्टी, चट्टान या कंक्रीट को भेदते समय भी सुरक्षित रहता है. फिर अंदर जाकर फट जाता है.

इसका आकार - 20 फीट लंबा और 30,000 पाउंड (13607 किलो). इसका सीधा मतलब है कि इस बम को सिर्फ़ अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर ही इसे ले जा सकता है. इज़रायल फोर्डो को अपने दम पर नष्ट नहीं कर सकता. क्योंकि अमेरिका ने इज़रायल को बंकर बस्टर हासिल करने से रोक दिया है. इसीलिए कहा जाता है कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बार-बार अमेरिका से मदद मांगते रहे हैं.

इतिहास

ईरान ने फोर्डो में ये सुविधा ये जानते हुए किया स्थापित था कि उसे हमले से बचने के लिए इसे गहराई में दफनाना होगा. क्योंकि इससे जुड़ा एक इतिहास है. 1981 में, इज़रायल ने F-15 और F-16 लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल किया. और, इराक को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने की कोशिश के तहत बगदाद के पास एक परमाणु सुविधा पर बमबारी की. वो सुविधा ज़मीन के ऊपर थी.

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और ईरान विशेषज्ञ वली नस्र न्यूयॉर्क टाइम्स को बताते हैं,

ईरानियों को समझ आ गया था कि इज़रायल उनके कार्यक्रमों में घुसपैठ करने की कोशिश करेगा. ऐसे में उन्होंने 1981 के हमले के बाद इराक वाली समस्या से निपटने के लिए बहुत समय पहले एक पहाड़ के अंदर फोर्डो का निर्माण कर दिया था.

आगे क्या?

इज़रायल फोर्डो में हमले के लिए कई बार अमेरिका से मदद मांग चुका है. विश्लेषकों का कहना है कि ईरान क्षेत्र में और उसके बाहर अमेरिकी सैनिकों और अन्य अमेरिकी ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को बढ़ा सकता है. इससे क्षेत्र में अमेरिका फिर से युद्धस्तर पर आ जाएगा. इससे ईरान के इस न्यूक्लियर साइट पर ख़तरे की आशंका है.

इज़राइली रक्षा बल और ख़ुफ़िया एजेंसियां ​​इस जगह को नुक़सान पहुंचाने के लिए अन्य तरीकों पर भी विचार कर सकती हैं. इसमें प्लांट के एंट्री गेट को नष्ट करना भी शामिल है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: ईरान में फंसे भारतीयों को किन रास्तों से वापस लाया जाएगा?

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