एवरेस्ट चढ़ने गए भारतीय की मौत, दो और पर्वतारोहियों को मृत माना गया
बताया जाता है कि एवरेस्ट पर जितनी भी मौतें होती हैं, वे 8,000 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में होती हैं. इसे ‘डेथ ज़ोन’ कहते हैं. यहां हवा पतली हो जाती है और ऑक्सीजन का स्तर कम. इससे बीमारी और बेहोशी के ख़तरे बढ़ जाते हैं.
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