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हाथरस केस : CBI ने चार्जशीट में कहा, UP पुलिस की सुस्त जांच की वजह से सबूत नहीं मिले

'पीड़िता और आरोपी के बीच संबंध थे, जिसके टूटने के ग़ुस्से में आरोपी ने गैंगरेप किया'

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CBi ने अपनी चार्जशीट में यूपी पुलिस के रवैये पर जमकर सवाल उठाए हैं. कहा है कि पुलिस ने बेहद ढिलाई से काम किया.
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सिद्धांत मोहन
22 दिसंबर 2020 (Updated: 21 दिसंबर 2020, 03:58 AM IST) कॉमेंट्स
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यूपी के हाथरस केस में CBI द्वारा फ़ाइल की गयी चार्जशीट से चौंकाने वाले ख़ुलासे हुए हैं. चार्जशीट के मुताबिक़, पीड़िता और एक आरोपी संदीप के बीच कुछ समय तक संबंध थे. बाद में पीड़िता ने संबंध ख़त्म कर लिए. और संदीप और उसके साथियों ने आवेश में पीड़िता का सामूहिक बलात्कार किया. CBI ने अपनी चार्जशीट में ये भी कहा है कि यूपी पुलिस ने इस पूरी कार्रवाई में भरपूर ढिलाई बरती है. कहा गया है कि 19 सितम्बर को दिए अपने बयान में पीड़िता ने 3 लोगों का नाम लिया था, लेकिन यूपी पुलिस ने बस 1 व्यक्ति के ही खिलाफ़ नामज़द मुक़दमा दर्ज किया था. चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि सबूतों और गवाहों से भी ये सूचना मिलती है कि आरोपी संदीप और पीड़िता एक दूसरे को पिछले 2-3 सालों से जानते थे. और दोनों कई दफ़ा अलग-थलग जगहों पर मिला करते थे. CBI ने चार्जशीट में ये भी कहा है कि कॉल डीटेल्स के अनुसार, पीड़िता और संदीप में मार्च 2020 तक सब ठीक था. इसके बाद फ़ोन पर बातचीत बंद हो गयी, जिससे पता चलता है कि दोनों का संबंध ठीक नहीं था. चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि इसके बाद संदीप ने कई दफ़ा अपने दोस्तों और अपने रिश्तेदारों के फ़ोन से पीड़िता से बात करने की कोशिश की, लेकिन इधर पीड़िता संदीप से बात नहीं करना चाह रही थी. CBI ने ये भी दावा किया है कि संदीप को ये शक था कि पीड़िता का उसकी बहन के पति के साथ अफ़ेयर चल रहा है. यूपी पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठाए गए हैं. कहा गया है कि 14 सितम्बर को पुलिस के सामने पीड़िता ने ‘ज़बरदस्ती’ शब्द का उल्लेख किया था, लेकिन इस पर पुलिस ने ध्यान नहीं दिया. 19 सितम्बर को पीड़िता ने छेड़खानी शब्द का ज़िक्र किया, फिर भी पुलिस ने धारा 354 को ही FIR में शामिल किया, और पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए ले जाना भी ज़रूरी नहीं समझा. और इस वजह से पीड़िता की मेडिकल जांच समय से नहीं की जा सकी. और अहम सबूत नहीं जुटाए जा सके. चार्जशीट के हवाले से बात करें तो 22 सितम्बर को दिए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि संदीप, रामू, लवकुश और रवि ने उसका बलात्कार किया. और संदीप ने उसके दुपट्टे से उसका गला घोंटने की कोशिश की. सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फ़ोरेंसिक साइंस विभाग द्वारा की गयी जांच में कहा गया कि वैज़ाइनल या एनल इंटरकोर्स करने के कोई चिन्ह नहीं मिले हैं. अलबत्ता, शरीर पर हमले के सबूत मिले हैं.  CBI द्वारा जांच शुरू करने के बाद AIIMS के फ़ोरेंसिक विभाग द्वारा मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया. मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच में कहा कि पीड़िता के गैंगरेप की आशंका को ठुकराया नहीं जा सकता है. क्योंकि घटना के एक हफ़्ते बाद भी वैजाइना में थोड़ी बहुत ब्लीडिंग देखी गयी. AIIMS बोर्ड ने ये भी कहा है कि बलात्कार या यौन अपराध की रिपोर्टिंग, तफ़तीश और फ़ोरेंसिक जांच में इतनी देर हो चुकी है कि इस वजह से भी जननांगों में घावों के सबूत का न मिलना भी सम्भव है.

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