IAS ने लैंड डील पर लगी रोक हटवाई, बाद में पति ने एक हिस्सा खरीदा, रेवेन्यू अधिकारियों को पता लगा तो...
अंबाला डिविजनल कमिश्नर रेनू फुलिया ने 13 सितंबर, 2023 को एक आदेश के तहत पंचकूला के पास 14 एकड़ भूमि पार्सल की बिक्री और खरीद पर 20 साल पुरानी लगी रोक हटा दी थी.
![Haryana IAS officer vacates 20 year old stay on land deal husband and son buy it later](https://static.thelallantop.com/images/post/1712072357984_aryana.webp?width=540)
हरियाणा के पंचकूला के राजस्व अधिकारियों ने करोड़ों रुपये के एक भूमि सौदे में ‘विसंगतियां’ सामने आने के बाद तहसील में रजिस्ट्रेशन के कामों पर रोक लगा दी है. मामला कथित तौर पर एक महिला IAS अधिकारी (Haryana IAS officer land deal), उनके राज्य सूचना आयुक्त पति और एक पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के IAS अधिकारी से जुड़ा है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी सुखबीर सिवाच द्वारा लिखी गई रिपोर्ट के मुताबिक अंबाला डिविजनल कमिश्नर रेनू फुलिया ने 13 सितंबर, 2023 को एक आदेश में पंचकूला के पास 14 एकड़ भूमि पार्सल की बिक्री और खरीद पर 20 साल पुरानी लगी रोक हटा दी थी. ये भूमि एक पूर्व राजा की थी. पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव शशि गुलाटी के भाई पृथ्वीराज छाबड़ा द्वारा दायर इस याचिका पर फैसला करने में उन्हें सिर्फ 16 दिन लगे.
रिपोर्ट के मुताबिक आदेश पारित होने के कुछ महीनों के अंदर रेनू के पति एसएस फुलिया और उनके बेटे नीलांचल ने इस जमीन में से पांच एकड़ जमीन खरीदने का फैसला किया. एसएस फुलिया वर्तमान में राज्य सूचना आयुक्त हैं. उन्हें 2022 में इस पद पर नियुक्त किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार 28 मार्च को शशि गुलाटी और उनके भाई ने लगभग 12 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री के लिए पंचकूला में राजस्व अधिकारियों से संपर्क किया. गुलाटी भाइयों ने दावा किया कि उन्होंने चार व्यक्तियों को जमीन कुल 5.26 करोड़ रुपये में बेची थी.
इसमें से पांच एकड़ जमीन फुलिया परिवार को बेची गई थी. बची हुई जमीन मनीमाजरा निवासी और पूर्व भारतीय वन सेवा अधिकारी की पत्नी शुभम जुनेजा को बेची जानी थी. अधिकारियों के अनुसार जमीन की मार्केट वैल्यू मौजूदा सौदे से काफी ज्यादा है.
4 एकड़ जमीन खरीदी थीआधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक शशि गुलाटी और उनके परिवार ने पंचकूला जिले के बीड फिरोजादी गांव में दिवंगत राजा के कानूनी उत्तराधिकारियों से 14 एकड़ जमीन खरीदी थी. राजा के पास पंचकूला के सात गांवों: बीड बाबूपुर, बीड फिरोजादी, भरेली, संगराना, बरवाला, जलोली और फतेहपुर वीरान में लगभग 1,396 एकड़ जमीन थी.
एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि अधिकारियों ने पिछले 20 वर्षों से पंचकूला में कुछ गांवों की भूमि पर रोक लगाई हुई थी. क्योंकि अधिकारी ये जानना चाहते थे कि Land Holdings Act, 1972 के तहत राजा की भूमि का कौन सा हिस्सा Surplus कैटेगरी में आता है और कौन सा हिस्सा Permissible Area में आता है. Surplus भूमि राज्य सरकार के पास जाती है. वहीं Permissible Area लोगों द्वारा खरीदा और बेचा जा सकता है.
रेनू फुलिया ने साल 2003 में SDM द्वारा पारित किए गए आदेश को सितंबर 2023 में पलटा था. एक्सप्रेस से पूछे जाने पर रेनू ने दावा किया कि जमीन खरीदने के लिए उनके परिवार की बातचीत उनके आदेश के काफी समय बाद हुई थी. उन्होंने बताया,
जब गुलाटी परिवार ने कोर्ट में याचिका दायर की तो संबंधित जमीन की खरीद के संबंध में हमारी कोई बातचीत नहीं हुई थी. उन्होंने रूटीन केस दर्ज किया था, मैंने रूटीन फैसला किया. उन्हें वो जमीन बेचने की अनुमति इसलिए दी गई क्योंकि वो Permissible Area के अंतर्गत आता है.
रेनू ने आगे बताया, "हमारी बातचीत अक्टूबर-नवंबर 2023 में हुई थी, जब वो जमीन बेचना चाहते थे. तब हमने जमीन खरीदने का निर्णय किया."
उन्होंने कहा कि उनके पति ने 42.5 लाख रुपये में पांच एकड़ जमीन खरीदने का सौदा किया. उन्होंने इसकी जानकारी मुख्य सूचना आयुक्त को दी. इतना ही नहीं, रेनू के मुताबिक उन्होंने अपने पति और बेटे के नाम पर जमीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति भी ली थी. दिसंबर 2023 में उनके पति ने एडवांस पेमेंट किया था. पांच एकड़ जमीन के लिए रेनू के परिवार ने 2.25 करोड़ रुपये के मूल्य पर स्टांप शुल्क का भुगतान किया है.