गुजरात में 41 हजार लड़कियों के गायब होने वाली रिपोर्ट पर असली खुलासा तो अब हुआ है!
पुलिस ने देह व्यापार, लव जिहाद और मानव तस्करी का जिक्र कर क्या बताया?

गुजरात में 41 हजार से अधिक महिलाओं के गायब होने वाली खबर पर खूब विवाद हुआ था. बातें केरला स्टोरी फिल्म की होने लगी थीं. बाद में राज्य की पुलिस ने बताया था कि गायब हुई महिलाओं (Gujarat Missing Women) में से 39 हजार को ट्रेस कर लिया गया है. अब पुलिस ने उन महिलाओं के गुमशुदा होने की वजहों पर विस्तार से जानकारी दी है.
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में 2016 से लेकर 2020 के बीच जो 41,621 महिलाएं गायब हुईं उनमें से 39,497 यानी 94.90% महिलाओं को गुजरात पुलिस ने ढूंढ लिया है. वो सब अपने परिवारों के साथ हैं.
इंडिया टुडे ने पूरे मामले पर गुजरात के एडिशनल डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) नरसिम्हा कोमार से बात की. उन्होंने NCRB की 2021 वाली रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि गुजरात में फिलहाल 1,328 महिलाएं लापता हैं. कोमार ने बताया कि ज्यादातक महिलाएं प्यार के मामलों में घर छोड़ती हैं. हालांकि इसमें 'लव जिहाद' के मामले नहीं हैं.
कोमार ने बताया कि महिलाओं के घर छोड़ने की मुख्य दो वजहें हैं. पहली इंटरकास्ट लव मैरिज. जब लड़की को लगता है कि उसके परिवार वाले शादी के लिए राजी नहीं होंगे और दूसरा जब नाबालिग लड़कियां अपने साथी के साथ चली जाती हैं. वो कानूनी रूप से शादी करने के लिए 18 साल की उम्र होने पर लौट भी जाती हैं.
कोमार के मुताबिक, भीड़ वाले मेलों और मंदिरों में महिलाओं के खो जाने के मामले भी हैं. ये ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में थे. इसके अलावा परीक्षा में फेल होने का डर भी महिलाओं को घर छोड़ने के लिए मजबूर करता है. हालांकि, इन मामलों में पुलिस उन्हें ढूंढ लेती है या फिर वो खुद ही लौट जाती है. कुछ मामले मानव तस्करी के भी हैं. इनमें ज्यादातर अंतरराज्यीय गैंग शामिल होते हैं. वो महिलाओं को लेबर या देह व्यापार में धकेलते हैं.
एक ट्वीट में गुजरात पुलिस ने बताया था,
पारिवारिक विवाद, भाग जाने, परीक्षा में असफल होने जैसे कारणों के चलते महिलाएं लापता हो जाती हैं. गुमशुदगी के मामलों की जांच में यौन शोषण, अंगों की तस्करी जैसे मामलों का पता नहीं चला है.
सामाजिक कार्यकर्ता और सोसायटी फॉर वीमेन एक्शन एंड ट्रेनिंग इनिशिएटिव्स, अहमदाबाद की निदेशक, पूनम कथूरिया ने भी मामले पर जानकारी दी है. उनका कहना है कि जाति आधारित समाज में लड़कियों को आजादी नहीं दी जाती है और वो फिर आसानी से किसी के प्यार में पड़ जाती हैं. कुछ महीनों बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है जिसके बाद वो दुर्व्यवहार और तस्करी का शिकार बन सकती हैं. कुछ मामलों में पुलिस उन्हें ढूंढ लेती है या वो खुद भी लौट जाती हैं. पूनम ने बताया कि इसमें लव जिहाद के मामले बहुत कम हैं.
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उनके मुताबिक, महिलाओं को सशक्त बनाने, शिक्षित करने, घर में सुरक्षित जगह देने और उन्हें सही चुनाव के लिए तैयार करने की जरूरत है.
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