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लंदन में पढ़ाई, पिता की माइंस, गाजियाबाद में घर को एंबेसी बनाने वाले हर्षवर्धन का चिट्ठा खुल गया

हर्षवर्धन ने दुबई में भी कई कंपनियां खोलीं. चंद्रास्वामी की मौत के बाद वो दुबारा गाजियाबाद आ गया. लेकिन पैसे की तंगी के बाद हर्षवर्धन ने फर्जी एंबेसी खोली और लोगों को ठगना शुरू कर दिया.

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Ghaziabad Fake embassy
फर्जी एंबेसी से बरामद करेंसी और आरोपी हर्षवर्धन. (India Today)
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सौरभ
23 जुलाई 2025 (Published: 07:44 PM IST) कॉमेंट्स
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यूपी के गाजियाबाद में एक शख्स फर्जी एंबेसी चला रहा था. इस फर्जी पहचान के दम पर उसने कई लोगों को ठगा भी. आरोपी का नाम हर्षवर्धन है. 22 जुलाई की रात को यूपी STF ने गाजियाबाद में किराए के एक मकान में छापा मारा तो पता चला कि वहां कई ‘देशों’ के अवैध दूतावास चलाए जा रहे थे. अब हर्षवर्धन के बारे में नई जानकारियां सामने आईं हैं.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक फर्जी दूतावास चलाने के आरोपी हर्षवर्धन ने लंदन से पढ़ाई की. उसने कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस से MBA किया. उसने गाजियाबाद के ITS कॉलेज से भी MBA किया है.

आजतक के हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक हर्षवर्धन के पिता एक वक्त गाजियाबाद के सबसे बड़े उद्योगपति थे. राजस्थान में उनकी मार्बल माइंस थीं. बताया गया है कि बिजनेस में नुकसान हुआ और बाद में हर्षवर्धन के पिता की मौत हो गई. आगे चलकर उसकी चंद्रास्वामी नाम के शख्स से गाजियाबाद में ही मुलाकात हुई. चंद्रास्वामी ने हर्षवर्धन को लंदन भेजा. इसके बाद हर्षवर्धन ने लंदन में कई कंपनियां खोलीं. आरोप है कि चंद्रास्वामी ने ही ब्लैक मनी छुपाने के लिए हर्षवर्धन से कंपनी खुलवाई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक हर्षवर्धन ने दुबई में भी कई कंपनियां खोलीं. चंद्रास्वामी की मौत के बाद वो दुबारा गाजियाबाद आ गया. लेकिन पैसे की तंगी के बाद हर्षवर्धन ने फर्जी एंबेसी खोली और लोगों को ठगना शुरू कर दिया.

पुलिस ने जब गाजियाबाद में छापा मारा तो मौके से कई फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी कई गाड़ियां बरामद हुईं. इसके अलावा वहां कई देशों के फर्जी पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय के दस्तावेज, पैनकार्ड, कई देशों की कंपनियों की मोहरें और प्रेस कार्ड भी मिले हैं. पुलिस को मौके से 44 लाख 70,000 रुपयों के साथ-साथ कई देशों की विदेशी मुद्राएं भी मिली हैं.

पुलिस का कहना है कि आरोपी हर्षवर्धन खुद को वेस्ट आर्कटिका, सेबोर्गा, पौल्विया और लोडोनिया जैसी जगहों का अधिकारी बताता था. बताया जा रहा है कि कई ऐसे देश भी हैं जिसे उसने खुद से ही बना रखा था और खुद को उन देशों का डिप्लोमैट कहता था.

आरोपी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों से चलता था. लोगों पर रौब दिखाने के लिए वो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और दूसरे प्रभावशाली लोगों के साथ अपनी एडिट की हुई तस्वीरें दिखाता था. इनके जरिए उसने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भी माहौल बना रखा था.

आरोपी का मुख्य काम प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को विदेश भेजना था. इसके बदले वो पैसे लेता था. इसके अलावा उस पर शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट चलाने के आरोप भी लगे हैं.

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