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फ्रांस का ये चर्च पूरी दुनिया में चर्चा बना, क्या है Notre Dame Cathedral की कहानी?

Notre Dame Cathedral फ़्रांस की एक ऐतिहासिक जगह है. सन 1804 में इसी कैथिड्रल में राजा नेपोलियन की ताजपोशी हुई थी. पूरे स्ट्रक्चर में फ्रेंच कल्चर की छाप देखने को मिलती है.

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france paris notre dame cathedral renovation complete salma hayek shares on instagram
सलमा हयाक ने अपने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर की (PHOTO- INSTAGRAM/salmahayek)
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मानस राज
9 दिसंबर 2024 (Updated: 9 दिसंबर 2024, 06:07 PM IST) कॉमेंट्स
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फ़्रांस की राजधानी पेरिस में 12वीं सदी में बने Notre Dame Cathedral की 5 सालों बाद मरम्मत कराई गई है. अप्रैल 2019 में यहां लगी आग के बाद से इस कैथिड्रल को बंद कर दिया गया था. अब रेनोवेशन के बाद इसे क्रिसमस की छुट्टियों से पहले खोल दिया गया है. ईसाई धर्म में बड़े चर्चों को कैथिड्रल कहा जाता है. ये धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. 12वीं सदी में बने नॉटर डैम कैथिड्रल के उद्घाटन में फायरफाइटर्स, कलाकार और वैश्विक नेताओं ने शिरकत की. मशहूर अभिनेत्री Salma Hayek ने इस आयोजन की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं. तस्वीर में उनके अलावा एलन मस्क भी नजर आए.

इतिहास

Notre Dame Cathedral का इतिहास सन 1160 तक जाता है. उस समय पेरिस के बिशप मॉरिस डे सल्ली के दिमाग में पहली बार इस कैथिड्रल का विचार आया था. शहर की बढ़ती आबादी को देखकर उन्होंने लोगों की प्रार्थना के लिए इस चर्च की नींव रखी. इसके 3 साल बाद इमारत का निर्माण शुरू हुआ. कहा जाता है कि इसे बनने में पूरे 100 साल लग गए थे. सन 1260 में ये कैथिड्रल बनकर तैयार हुआ. आने वाले सालों में समय-समय पर इसकी मरम्मत कराई जाती रही जिससे इतिहास की ये धरोहर सुरक्षित रही. 1804 में यही कैथिड्रल किंग नेपोलियन की ताजपोशी का भी गवाह बना. शिल्पकला का ये शानदार नमूना आज फ़्रांस के कल्चर का अहम हिस्सा है.

आग और राख 

ये घटना है 15 अप्रैल, 2019 की. उस दिन इस चर्च के ऐटिक में आग लग गई. जब तक किसी को पता चलता, तब तक देर हो चुकी थी. आग पूरे कैथिड्रल में फ़ैल गई और इसने इमारत की छत और स्पायर (ऊपर की ओर निकला हुआ त्रिकोण) को भी अपनी चपेट में ले लिया. करीब 600 दमकल कर्मचारियों की 15 घंटों तक लगातार मशक्क़त के बाद आग पर काबू पाया जा सका. इस हादसे में चर्च में मौजूद कई सारी कीमती चीज़ें और कलाकृतियां, जो मध्यकालीन युग की थीं, जलकर ख़ाक हो गईं.

इमारत में लगी लकड़ी के बीम और स्पायर इस आग में राख हो गए. पूरी इमारत में कालिख भर गई जिससे इसकी मरम्मत कराना और भी ज़रूरी हो गया था. हालांकि ये आग कैसे लगी, इसकी जांच आज भी जारी है.

April 16 2019
16 अप्रैल 2019 को जलने का बाद कैथिड्रल (PHOTO- New York Times)

ऐसा माना जाता है कि उस समय स्पायर के पास चल रहे रेनोवेशन के काम की वजह से कोई चिंगारी या उस जैसा कुछ निकला जिसने भयावह रूप ले लिया. अगले दिन राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने घटनास्थल पर नुकसान का जायजा लिया और वादा किया कि 5 साल के भीतर कैथिड्रल को वापस बना कर तैयार किया जाएगा. मैक्रों के वादे के बाद अब दिसंबर 2024 में ये कैथिड्रल लोगों के स्वागत के लिए तैयार है. मशहूर सेलिब्रिटी सलमा हयाक ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस समारोह की तस्वीरें शेयर की हैं. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा,

"नॉटर डैम के दोबारा खुलने और इस मौके पर खुद की मौजूदगी से मैं गर्व और सम्मान का अनुभव कर रही हूं. साथ ही मैं इसे देखकर आश्चर्यचकित भी हूं. इतिहास में ये एक सच्चा पल होने के साथ-साथ हमारी आशा का भी प्रतीक है."

चंदे से बनाया

चर्च की मरम्मत के लिए धनी और आम लोगों को मिलाकर 840 मिलियन यूरो का फंड इकठ्ठा हुआ. हालांकि इस डोनेशन पर विवाद भी हुआ. कहा गया कि अमीर परिवारों ने टैक्स में बेनिफिट के लिए ये डोनेशन दिया है. इसके बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने नॉटर डैम की मरम्मत के लिए एक एजेंसी बनाई. इस एजेंसी का मुखिया बनाया गया रिटायर्ड जनरल जीन लुई गोरजियन को. लुई गोरजियन के बारे में कहा जाता है कि वो किसी लाल-फीताशाही को नहीं मानते. यही वजह थी कि राष्ट्रपति मैक्रों ने उन्हें निर्माण एजेंसी का मुखिया बनाया. ये एजेंसी पूरी तरह से स्वतंत्र थी, और इसकी जवाबदेही सिर्फ राष्ट्रपति के प्रति थी.

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मरम्मत

कैथिड्रल की दीवारें 40 हज़ार स्क्वायर मीटर चूना पत्थर की हैं जिन्हें पूरी तरह से साफ किया गया. इसके अलावा कैथिड्रल की लकड़ी की छत बनाने के लिए 1200 ओक के पेड़ों को काटा गया. इन ओक की लकड़ियों को हाथ से आकार दिया गया. इसके बाद मौका आया इसके सबसे मुख्य हिस्से स्पायर को ठीक करने का. 96 मीटर लंबे इस स्पायर को एक बड़े से लकड़ी के बेस पर उठाया गया. इसके लिए यूरोप की सबसे बड़ी क्रेन का इस्तेमाल किया गया. 5 सालों तक 2 हज़ार लोगों की मेहनत से आखिरकार दिसंबर 2024 में इस कैथिड्रल का निर्माण पूरा हो गया.

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