The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Former JDU-Chief Sharad Yadav passes away

दिग्गज समाजवादी नेता और JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली.

Advertisement
sharad-yadav
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (तस्वीर - PTI)
pic
साकेत आनंद
12 जनवरी 2023 (Updated: 12 जनवरी 2023, 12:36 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता शरद यादव (Sharad Yadav) नहीं रहे. 75 साल के शरद यादव गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे. उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के निधन की जानकारी दी. सुभाषिनी यादव ने ट्विटर पर सिर्फ इतना ही लिखा कि, "पापा नहीं रहे." वहीं फोर्टिस अस्पताल ने एक बयान जारी कर बताया कि उन्हें इमरजेंसी में लाया गया था. अस्पताल में आने के बाद वे बेहोश थे. उनका पल्स काम नहीं कर रहा था. रात 10 बजकर 19 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया. 

शरद यादव लंबे समय तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष रहे थे. साल 2017 में "पार्टी विरोधी गतिविधियों" के कारण जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा में पार्टी नेता से हटा दिया था. इसके बाद नीतीश कुमार का पुराना साथ छूट गया. साल 2018 में उन्होंने अपनी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) पार्टी बनाई थी. लेकिन पिछले साल मार्च में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ कर लिया था.

समाजवादी विचारधारा को मानने वाले शरद यादव छात्र राजनीति से निकले हुए नेता थे. शरद यादव खुद को जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया का शिष्य मानते थे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है. पीएम ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, 

"शरद यादव जी के निधन से दुख हुआ. सालों के अपने सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने खुद पर सांसद और मंत्री पद को हावी नहीं होने दिया. वे डॉ लोहिया (राम मनोहर लोहिया) के आदर्शों से प्रेरित थे. हमारे बीच बातचीत को मैं हमेशा याद रखूंगा. उनके परिवार और समर्थकों को मेरी संवेदना."

वहीं आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने सिंगापुर से वीडियो ट्वीट किया. लालू यादव वहां खुद अस्पताल में भर्ती हैं. उन्होंने लिखा, 

"अभी सिंगापुर में रात के समय शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला. बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं. आने से पहले मुलाक़ात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में. शरद भाई...ऐसे अलविदा नहीं कहना था. भावपूर्ण श्रद्धांजलि!"

शरद यादव का राजनीतिक सफर

पिछले तीन दशकों से शरद यादव की राजनीति बिहार केंद्रित ज्यादा रही. लेकिन शरद यादव मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. भारत की आजादी से ठीक पहले 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में उनका जन्म हुआ. शुरुआती पढ़ाई वहीं हुई. इसके बाद जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की थी. सिविल इंजीनियरिंग में उन्हें गोल्ड मेडल मिला था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में भी दिलचस्पी बढ़ी. कॉलेज में ही छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.

शरद यादव पहली बार 1974 में जबलपुर से लोकसभा उपचुनाव जीतकर सांसद बने. इस दौरान जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा था. इमरजेंसी के दौरान मेंटनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (MISA) के तहत जेल भी गए. 1977 में दोबारा जबलपुर से ही जीतकर लोकसभा पहुंचे. उस वक्त वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे. जनता पार्टी के टूटने के बाद वो चरण सिंह के गुट में चले गए. लोक दल के टिकट पर 1981 और 1984 में अमेठी और बदायूं से चुनाव हार गए. लेकिन फिर 1989 में जनता दल के टिकट पर ही बदायूं से लोकसभा पहुंचे. 

इसके बाद उन्होंने लगातार बिहार की मधेपुरा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा. मधेपुरा से चार बार लोकसभा सांसद रहे. शरद यादव जेडीयू के संस्थापक नेताओं में थे. नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर 1997 में जेडीयू का गठन किया था. उसी साल लालू यादव ने भी राष्ट्रीय जनता दल बनाया था. 

शरद यादव 1999 में मधेपुरा से जीतकर लोकसभा पहुंचे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सिविल एविएशन, श्रम विभाग और उपभोक्ता मामलों जैसे विभाग के मंत्री रहे. 2004 में भी चुनाव लड़ा लेकिन लालू यादव से हार गए. फिर उसी साल वे राज्यसभा के लिए चुने गए. शरद यादव ने आखिरी बार 2019 का लोकसभा चुनाव मधेपुरा से ही लड़ा था, लेकिन हार गए. ये चुनाव उन्होंने अपनी पार्टी LJD नहीं, बल्कि आरजेडी से लड़ा था. 

जब देश के कद्दावर नेताओं ने चुनावी रैली में महिलाओं के बारे में घटिया बातें कहीं

Advertisement

Advertisement

()