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गुड़िया, बच्चे, पेशाब..., बहराइच में कैसे पकड़े जा रहे आदमखोर भेड़िये?

बीते कुछ महीनों से यूपी में Bahraich के कम से कम 35 गांवों में आदमखोर भेड़ियों का आतंक है. इन भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम नए-नए तरीके अपना रही है.

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Bahraich Wolf Attacks
वन विभाग भेड़ियों को इंसानों के रहने वाली जगहों से दूर ले जाने की कोशिश में जुटा है. (फोटो - PTI)
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हरीश
2 सितंबर 2024 (Updated: 2 सितंबर 2024, 05:36 PM IST)
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच जिले में भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम नए-नए तरीके अपना रही है. इन तरीकों में बच्चों के पेशाब में भिगोई गई रंगीन टेडी डॉल यानी गुड़िया का इस्तेमाल (Teddy Dolls To Catch Wolves) भी शामिल है. वन विभाग के एक सीनियर अफसर ने इसकी जानकारी दी है. अफसर ने बताया है कि ये तरीका भेड़ियों को पकड़ने में मदद करेगा. 

दरअसल, बीते कुछ महीनों से बहराइच के कम से कम 35 गांवों में आदमखोर भेड़ियों का आतंक है. भेड़ियों ने ग्रामीणों पर कई हमले किए, इस दौरान कई बच्चों की मौत भी हो गई है. वन विभाग ने अब इन भेड़ियों को पकड़ने के लिए दिखावटी चारे के तौर पर चमकीले रंग की गुड़ियों के इस्तेमाल का फैसला किया है. इन गुड़ियों को नदी के किनारे, भेड़ियों के आराम करने की जगह और उनके मांदों के करीब रखा जा रहा है. इन गुड़ियों को बच्चों के पेशाब में भिगोया जा रहा है, जिससे इनमें से इंसानों की गंध आए और इस गंध को सूंघते हुए भेड़िये इन जगहों पर पहुंचें. 

डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर अजीत प्रताप सिंह ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया,

“भेड़िये लगातार अपनी जगह बदल रहे हैं. आमतौर पर वो रात में शिकार करते हैं और सुबह तक अपनी मांद में लौट आते हैं. हमारी रणनीति उन्हें गुमराह करने और इंसानों के रहने वाली जगहों से दूर उनकी मांद के पास रखे जाल या पिंजरों की तरफ ले जाने की है. हम थर्मल ड्रोन के जरिए उन पर नजर रख रहे हैं और फिर पटाखे छोड़कर, शोर मचाकर उन्हें जाल के पास सुनसान इलाकों की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे बताया कि चूंकि ये जानवर मुख्य रूप से बच्चों को निशाना बना रहे हैं, इसलिए रंग-बिरंगे कपड़ों वाली डॉल्स बच्चों के पेशाब में भिगोकर रखी जा रही हैं. बच्चों के पेशाब की गंध जाल के पास इंसान की मौजूदगी का झूठा आभास कराएगी.

ये भी पढ़ें- बहराइच में भेड़िये ने मचाया आतंक, दो लोगों पर हमला किया, 7 साल के बच्चे का गला पकड़ लिया

पर्यावरण मंत्रालय में फॉरेस्ट इंस्पेक्टर जनरल और सीनियर IFS अधिकारी रमेश कुमार पांडे ने बताया कि जानवरों को पकड़ने के लिए कई तरह के चारे का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें जिंदा चारा, मृत चारा और दिखावटी या छिपा हुआ चारा शामिल हैं. वन विभाग द्वारा इस्तेमाल की जा रही डॉल्स को एक तरह का दिखावटी चारा माना जा सकता है. जैसे, खेतों में फसलों को चिड़ियों से बचाने के लिए पुतले का इस्तेमाल किया जाता है.

हाल के महीनों में, बहराइच की महसी तहसील में भेड़ियों का झुंड तेजी से हमलावर हुआ है. जुलाई से ये हमले तेज हो गए हैं. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, छह भेड़ियों के झुंड ने 17 जुलाई से कथित तौर पर 6 बच्चों और 1 महिला को मार डाला है. वहीं लगभग 40 लोग भेड़ियों के हमले में घायल हुए हैं. 6 भेड़ियों में से 4 को पकड़ लिया गया है, लेकिन 2 भेड़िये अभी भी बड़े पैमाने पर क्षेत्र में खतरा बने हुए हैं. वन विभाग थर्मल और रेगुलर ड्रोन, दोनों का इस्तेमाल करके इन भेड़ियों की खोज में जुटा हुआ है.

वीडियो: Bahraich में फिर से भेड़ियों का अटैक, गांववालों ने क्या बताया?

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