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फिनलैंड ने बेरोजगारों के लिए जो किया इंडिया कर दे तो बर्बाद हो जाए

हम बता रहे हैं, इस मुल्क में कभी बजट न पेश होगा, पैदा होएं वाली नस्लों का पैटर्न बदल जाएगा.

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4 जनवरी 2017 (Updated: 4 जनवरी 2017, 06:56 IST)
Updated: 4 जनवरी 2017 06:56 IST
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कभी-कभी लगता है मैं कितना सयाना हूं. सयाने का संबंध जाहिरन उम्र से है. मैं इतना पुराना हूं जब डीडी वन पर टेलीब्रांड्स टाइप्स शो आते थे, तब मैं पैदा हो चुका था. अमिता नांगिया आया करती थीं. उस टाइम उसमें हेल्सिंकी शैम्पू बेचा जाता था. हेल्सिंकी फिनलैंड की राजधानी है. फिनलैंड की बात मैं काहे कर रहा हूं. काहे कि वहां बेरोजगारों को 40 हजार रुपये मासिक भत्ता मिलेगा. माने इंडियन करेंसी में न मिलेगा. वहां की करेंसी में. यूरो में लगभग 560 है. डॉलर में ये लगभग 587 होगा.
ये भत्ता सबको नहीं दे रहे हैं अभी मात्र 2000 बेरोजगारों को ये भत्ता मिलेगा. करीबन दो लाख तेरह हजार लोग वहां बेरोजगार हैं. का बात कर रही हैं बहिन जी. इत्ता तो हमारे यहां एसएससी के एक्जाम में बच्चे ऐसे ही बैठ जाते हैं. ये जो स्कीम है, अभी दो साल इसका ट्रायल चलेगा. एजेंडा ये है कि ये जो बेरोजगार लोग उत्साह खो देते है ये बना रहे. पैसा आएगा तो उनका भी मन बनेगा कि और काम करें साथ में ये भी हो जाएगा कि उनके मुंह पैसा (पढ़ें पैसे का खून!) लगा तो बिन पैसे कमाए रह न पाएंगे, झक मारके का करेंगे. ये जो बेसिक इनकम ट्रायल में सरकार ये भी देखने को बैठी है कि जिनको पैसा मिलेगा, फ्री के मिले पैसे को वो कैसे खर्च करेंगे. और कल्पना कीजिए गलती से ये स्कीम हमारे यहां चालू हो जाए और इतनी ही पैसा मिलने लग जाए तो क्या होगा. अव्वल तो ये स्कीम कभी दो साल बाद खत्म नहीं होगी. लोग खुद को आग लगा लेंगे, पटरी उखाड़ देंगे, संसद में चढ़ बैठेंगे, रो देंगे, लेकिन अपने हाथ से ये पैसा न जाने देंगे. कभी नौकरी न करेंगे. हमेशा बेरोजगार रहेंगे. मास्टर यहां 5-5 हजार में काम करते हैं, तुम दो तो चालीस हजार एक बार, मजाल है कोई नौकरी कर ले. हमारे सारे खानदान में कोई नौकरी करने वाला न दिखेगा. वो नस्लें पैदा होनी बंद जाएंगी, जो काम करती थीं. चाचियां गर्व से बताएंगी हमारे खानदान में तीन पीढी पहले कोई ऑफिस जाता था. इंजीनियर ग्यारह हजार में नौकरी शुरू करते हैं. मान लो सरकार चालीस हजार देने लगे. ये जित्ता भी जमुना नंद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी टाइप्स कॉलेज हैं. सब दूसरे दिन जमीन पर आ गिरेंगे. और सारा पैसा और सारा भत्ता देख लेना किसी न किसी नेता के भांजे और किसी अफसर की बिटिया को ही मिलेगा. एक बात ये होगी कि कुछ साल बाद बड़ी वैकेंसीज निकलेंगी. इसलिए नहीं कि बेरोजगारी कम होगी, इतना स्कैम हो चुका होगा कि कईयों की नौकरी जाएगी. और सरकार की हिम्मत हो तो देके दिखाए 40 हजार. इतने बेरोजगार हैं कि सरकार को सिर से जड़ तक छील कर धर देंगे. तुम न दो चालीस हजार. हजार रुपिया भी देके दिखाओ. सबको न दो, जित्ते बेरोजगार हैं, उनके 1 प्रतिशत को भी दे दें फिर काहे की जीडीपी काहे का विकास. सरकार घुटनों पर आ जाएगी. इत्ता पैसा देना पड़ेगा कि वित्त मंत्री को कभी बजट पेश करने की जरुरत ही न रह जाएगी. बजट बचेगा ही नहीं कुछ.
वैसे अगर ये सब मजाक अच्छा लगा हो तो जानिए हाल बहुत बुरे हैं. भारत में बेरोजगारों की संख्या लगभग 12 करोड़ है. आंकडें ये कहते हैं कि 25 % 20 से 24 की उम्र के हैं. 25 से 29 की उम्र के जो लोग बेरोजगार हैं आंकड़ों में वो 17 % हैं. आंकड़ें थोड़ा पुराने हो सकते हैं, पर क्या कहें देख लीजिए अपने से ही हम कहां खड़े हैं.

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