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29 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच होने वाली बातचीत के पहले देशभर में क्या हुआ?

यूपी में तो केस ही वापिस ले लिए गए.

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दिल्ली में करीब डेढ़ महीने से किसान आंदोलन चल रहा है. किसानों अपनी मांग पर टिके हैं कि तीनों कृषि कानून रद्द हों. (तस्वीर- PTI)
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Varun Kumar
27 दिसंबर 2020 (Updated: 27 दिसंबर 2020, 12:17 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली की सरहद पर किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है. महीना भर से अधिक गुजर गया. किसान जहां तीनों कानूनों की वापसी चाहते हैं, वहीं सरकार इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. काफी जद्दोजहद के बाद सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को किसानों ने स्वीकार कर लिया है. 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे इस मुद्दे पर एक बार फिर किसानों और सरकार के बीच वार्ता होगी. https://twitter.com/AHindinews/status/1343043062587564032 बढ़ता जा रहा है किसानों का आंदोलन किसानों का आंदोलन दिन पर दिन तेज होता जा रहा है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी से किसान इस आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जमे किसान तो वहां खेती करने लगे हैं. वहीं सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर किसान जमे हुए हैं. किसान दावा कर रहे हैं कि वो महीनों की तैयारी के साथ यहां आए हुए हैं और यही बात इस आंदोलन को बड़ा बना रही है. बेनीवाल से केजरीवाल तक  किसानों के मुद्दे पर अकाली दल के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी NDA का साथ छोड़ दिया है. हनुमान बेनीवाल ने इसकी घोषणा कर दी है. इधर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज 27 दिसंबर की शाम 6 बजे किसानों से मिलने के लिए उनके मंच पर पहुंच सकते हैं. सिंघु बॉर्डर पर किसानों का स्टेज बड़ा हो गया है. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि अन्ना हजारे भी किसानों के आंदोलन में शामिल हो सकते हैं. https://twitter.com/AamAadmiParty/status/1343123298746392577 किसानों ने मोदी 'मन की बात' पर थाली पीट दी किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम 'मन की बात' का विरोध किया. थाली बजाकर.  किसान संगठनों ने कुछ दिनों पहले ही इस कार्यक्रम को विरोध का ऐलान किया था. पीएम ने इस बार 'मन की बात' में कई खास मुद्दों पर बात की. उन्होंने केसर की खेती से लेकर 'वोकल फॉर लोकल' तक पर बातें कीं. उन्होंने तेंदुओं की बढ़ी जनसंख्या पर भी जानकारी दी. https://twitter.com/narendramodi/status/1343066625575030785 यूपी : जहां एक तरफ़ किसानों से बॉन्ड भरवाया गया तो दूसरी तरफ किसानों पर से केस वापिस लिए गए जिन जिन राज्यों में भाजपा या सहयोगी दलों की सरकार हैं, उनके यहां सरकारें किसानों को समझाने में लगी हुई हैं. कई तरीक़ों से. प्रशासनिक अमला लग गया है. यूपी की बात करें तो यहां तो केस ही वापिस लिए जा रहे हैं. जिला गौतमबुद्धनगर के गांव भट्टा पारसौल में किसानों के खिलाफ दर्ज दो मुकदमे वापस ले लिए गए हैं. साल 2011 में पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें दो किसान और दो पुलिसवाले मारे गए थे. यमुना एक्सप्रेसवे के भूमिअधिग्रहण को लेकर किसान आंदोलन कर रहे थे. इस पर किसानों पर 20 मुकदमे दर्ज किए गए थे जिनमें से 13 मुकदमे एक्सपंज किए जा चुके हैं. अब दो मुकदमे और खत्म हो गए हैं. दूसरी तरफ़ पश्चिमी यूपी में प्रशासन ने किसान नेताओं से निजी बॉन्ड भरवाए गए. आरोप था कि ये लोग गाँव गाँव में किसानों को भड़का रहे थे. किसान नेताओं ने इसका खंडन किया. दूसरी तरफ़ यूपी सरकार अपने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से जनता को इस बारे में जानकारी मुहैया कराने को कह रही है. 29 दिसंबर तक अधिकारी जिलों में जाकर किसान संगठनों और प्रतिनिधियों से बात करेंगे. अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनेंगे और निदान के लिए प्रयास करेंगे. साथ ही इस दौरान अधिकारी पुलिस संबंधित समस्याओं पर भी गौर करेंगे.  

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