संयुक्त किसान मोर्चा बोला- PM को लेटर लिखेंगे, मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा
22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी.
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग एक साल से चल रहा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. रविवार 21 नवंबर को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में भी आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया गया. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल और जतिंदर सिंह विर्क ने बताया कि 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी. 26 नवंबर को काफी किसान आ रहे हैं. 29 को संसद मार्च निकाला जाएगा या नहीं, स्थिति को देखते हुए इस पर 27 नवंबर को विचार किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बावजूद सरकार ने बातचीत की अपील नहीं ही है. इसलिए अभी उनका ऐलान स्वागत के लायक नहीं है. राजेवाल ने आगे कहा कि जब तक MSP गारंटी बिल नहीं लाया जाता और दूसरी मांगे नहीं मानी जातीं, तब तक वो इस ऐलान का स्वागत नहीं करेंगे.
अब मांगे क्या-क्या हैं?For a decision on further developments, another meeting of SKM will be held on 27th Nov. Decision will be taken on the basis of the situation until then: Farmer leader Balbir Singh Rajewal at Singhu border pic.twitter.com/dxMnKXnImg
— ANI (@ANI) November 21, 2021
राजेवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री को एक ओपन लेटर लिखा जा रहा है. इसमें उनकी कुछ मांगें शामिल होंगी. जैसे कि MSP गारंटी बिल के लिए कमेटी बनाई जाए, बिजली बिल को रद्द किया जाए और पराली जलाने से जुड़ा कानून रद्द किया जाए. राजेवाल का कहना है कि जब तक इन मांगों को भी नहीं माना जाता, तब तक संघर्ष जारी रखा जाएगा. इसके अलावा किसान संगठनों के मुताबिक, 29 नवंबर को टिकरी और सिंघु बॉर्डर से 500-500 किसानों के जत्थे ट्रैक्टरों से भेजे जाएंगे.
We'll write open letter to PM. Pending demands will be mentioned in it - MSP Committee, its rights, its time frame, its duties; Electricity Bill 2020, withdrawal of cases. We'll also write to him to sack the Minister (Ajay Mishra Teni) over Lakhmipur Kheri: Balbir Singh Rajewal pic.twitter.com/CdsHSoVKNI
— ANI (@ANI) November 21, 2021
उधर सरकार 24 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंजूरी पर विचार करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कानूनों को वापस लेने वाले बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे. संसद का सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि सरकार इस महीने के आखिर में शुरू होने वाले संसद सत्र में कृषि कानूनों को रद्द कर देगी. इसके साथ ही सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर एक समिति बनाएगी.
एक दिन पहले भी संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की, लेकिन वे किसानों की लंबित मांगों पर चुप रहे. किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं और भारत सरकार ने श्रद्धांजलि देना तो दूर उनके बलिदान तक को स्वीकार नहीं किया. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश और अन्य जगह हजारों किसानों को सैकड़ों झूठे मामलों में फंसाया गया है. उनकी मांग है कि सरकार इन फर्जी मुकदमों को जल्द से जल्द रद्द करे.