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क्या है नगोरनो-कराबाख की कहानी, 50 हजार लोगों को घर छोड़ना पड़ा है

आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच 19 सितंबर से शुरू हुई झड़प खत्म हो गई है. जिस नगोरनो-कराबाख इलाके में हिंसा शुरू हुई थी वहां से करीब 50 हज़ार लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं.

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A family walk along the road from Nagorno-Karabakh to the Armenian border town of Kornidzor, September 26, 2023 (AP)
नगोरनो-कराबाख से घर छोड़कर जाता एक परिवार (AP)
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साजिद खान
28 सितंबर 2023 (Published: 10:08 PM IST)
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आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच 19 सितंबर से शुरू हुई झड़प खत्म हो गई है. जिस नगोरनो-कराबाख इलाके में हिंसा शुरू हुई थी वहां से करीब 50 हज़ार लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं. अज़रबैजान की सेना ने नगोरनो-कराबाख इलाके में अपनी सेना तैनात की हुई है. इलाके के नेता रूबेन वर्दयान को भी गिरफ्तार किया गया है.

क्यों हुई हिंसा?

हालिया विवाद शुरू तो हुआ 19 सितंबर से. जब अज़रबैजान की सेना नगोरनो-कराबाख में घुसी. लेकिन इसके पीछे की वजह समझने के लिए आपको इतिहास में जाना पड़ेगा. नगोरनो-कराबाख, यही दोनों देशों के बीच विवाद की वजह है. ये इलाका अज़रबैजान की सीमा के अंदर बसा है. आबादी लगभग डेढ़ लाख है. इसमें से 90 फीसदी लोग आर्मेनिया मूल के हैं. वे अज़रबैजान का शासन नहीं मानते. 1980 के दशक में नगोरनो-कराबाख की संसद ने आर्मेनिया के साथ जाने का फैसला किया.

अज़रबैजान को ये मंज़ूर नहीं था. उसने सेना भेजी. दूसरी तरफ़ से आर्मेनिया आया. भयंकर झगड़ा हुआ. 30 हज़ार से अधिक लोग मारे गए. 1994 में रूस ने संघर्षविराम कराया. डील के तहत, नगोरनो-कराबाख, अज़रबैजान का हिस्सा बना रहा. मगर वहां पर आर्मेनिया के समर्थन वाली सरकार चलने लगी, और अब तक चल रही थी.

फिर आई 19 सितंबर 2023 की तारीख. अज़रबैजान ने नगोरनो-कराबाख में सेना भेजी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले में 32 लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हुए. आर्मेनिया के समर्थन वाली सरकार ने 24 घंटों में घुटने टेक दिए. सरेंडर कर दिया. 

ताज़ा अपडेट क्या है?

नगोरनो-कराबाख से लोग अपना घर कारोबार छोड़कर जा रहे हैं. अब तक 50 हज़ार के करीब लोग जा भी चुके हैं. इसके अलावा इलाके के लीडर रूबेन वर्दयान को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. उनकी पत्नी ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया है.  

आर्मेनिया क्या कर रहा है?

ताजा हालात पर प्रधानमंत्री निकोल पाश्नियान बोले, ‘हालिया संघर्षविराम से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. नगोरनो-कराबाख के लोगों की सुरक्षा रूस की ज़िम्मेदारी है.’ 

आर्मेनिया के इस रिएक्शन से रूबेन वर्दयान नाराज़ हैं. उन्होंने आर्मेनिया पर धोखे का आरोप लगाया है.

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