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ED ने छगन भुजबल के खिलाफ केस लिया वापस, 5 महीने पहले शरद पवार से बगावत कर मंत्री बने थे

NCP के अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर के खिलाफ ईडी ने याचिका वापस ले ली है. क्या था ये मामला?

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Chhagan Bhujbal ed withdraw case
छगन भुजबल को बड़ी राहत | फाइल फोटो: इंडिया टुडे
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विद्या
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11 दिसंबर 2023 (Updated: 11 दिसंबर 2023, 12:48 PM IST) कॉमेंट्स
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने NCP के अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के खिलाफ दायर अपनी याचिकाएं वापस ले ली हैं. इन याचिकाओं में ED ने भुजबल के पक्ष में 2018 में दिए गए एक आदेश को रद्द करने की मांग की थी. हालांकि, इस पूरे मामले में अजीब बात ये है कि भुजबल और उनके भतीजे समीर के खिलाफ ईडी ने याचिका वापस ले ली है, लेकिन उनके बेटे पंकज भुजबल के खिलाफ ऐसा नहीं किया है. छगन भुजबल फिलहाल महाराष्ट्र में BJP-शिवसेना-NCP की सरकार में कैबिनेट का हिस्सा हैं.

क्या कहते हुए केस वापस लिया? 

इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या के मुताबिक भुजबल और उनके परिवार के कुछ सदस्यों को 2016 में महाराष्ट्र सदन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ED ने गिरफ्तार किया था. तब वो विपक्ष के नेता थे. इसके बाद भुजबल को मई 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी. जमानत मिलने के तुरंत बाद ट्रायल कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2018 को भुजबल को अपना पासपोर्ट नवीनीकरण करने की अनुमति दे दी थी और उन्हें विदेश यात्रा की भी इजाजत मिल गई थी.

भुजबल के खिलाफ ED ने हाईकोर्ट में 2018 में ही एक याचिका दायर की और भुजबल को मिली छूट चुनौती दी. इस साल सितंबर और अक्टूबर में जब 2018 में दायर की गई ये याचिका सुनवाई के लिए आई तो ED ने तुरंत अदालत को बताया कि उसे अपनी ही याचिका नहीं मिल रही है, जो उसने भुजबल और उनके भतीजे के खिलाफ दायर की थी.

29 नवंबर, 2023 को ED की ओर से वकील हर्ष देधिया हाईकोर्ट पहुंचे और याचिकाएं वापस लेने की अपील की. जस्टिस आरएन लड्ढा ने इसकी अनुमति दे दी और फिर कोर्ट ने याचिकाओं को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया.

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छगन भुजबल पर क्या मामला था?

बता दें कि छगन भुजबल पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके हैं. भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED ने भुजबल को मार्च 2016 में गिरफ्तार किया था. 2 साल से भी ज्यादा समय जेल में रहे. मई 2018 में जमानत पर छूटे. भुजबल पर आरोप था कि उनके PWD मंत्री रहते हुए 100 करोड़ से ज्यादा के ठेके अनियमित रूप से दिए गए. जांच एजेंसी ने दावा किया था कि भुजबल परिवार से जुड़ी कंपनियों और ट्रस्ट को रिश्वत के बदले ठेके दिए गए. दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण, अंधेरी में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस और मालाबार हिल में स्टेट गेस्ट हाउस बनाने के लिए दिए गए ठेकों में गड़बड़ियां पाई गई थीं.

सितंबर 2021 में, स्पेशल कोर्ट ने भुजबल को इस मामले में बरी कर दिया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी में एक एक्टिविस्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील फाइल की. ये केस अभी पेंडिंग है. इसके अलावा मुंबई यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार केस में भुजबल के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक केस दर्ज किया था, जो स्पेशन कोर्ट में पेंडिंग है.

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