जस्टिस एस मुरलीधर के ट्रांसफर के बाद दिल्ली दंगे की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में क्या हुआ?
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
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दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में 27 फरवरी को भी सुनवाई हुई. 26 फरवरी को जस्टिस एस. मुरलीधर की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी. उनके ट्रांसफर के बाद इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने की.
हाईकोर्ट में आज क्या हुआ?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस की ओर से दलील पेश की. कहा कि कल (26 फरवरी) कोर्ट ने आदेश जारी कर जवाब मांगा था. कहा था कि भड़काऊ बयान पर कार्रवाई की जाए. ये बयान एक से दो महीने पहले दिए गए थे. याचिकाकर्ता केवल तीन भड़काऊ बयानों को चुनकर करवाई की मांग नहीं कर सकता. हमारे पास इन तीन हेट स्पीच के अलावा कई और हेट स्पीच के वीडियो हैं जिसे लेकर शिकायत दर्ज कराई गई है.सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के लिए यह उचित समय नहीं है. उचित समय पर केस किया जाएगा. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने पूछा कि जब दिल्ली दंगों के संबंध में 11 एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं, तो अभद्र भाषा के लिए एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? इस पर चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने पूछा कि 11 एफआईआर दर्ज की गई हैं ? सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कल तक हमने 11 और आज 37 एफआईआर दर्ज की हैं. कुल 48 एफआईआर दर्ज की गई हैं. याचिकाकर्ता इस पर एफआईआर चाहता है कि कपिल मिश्रा ने ऐसा किया या वारिस पठान ने ऐसा किया. मौत या आगजनी या लूटपाट होने पर हमें एफआईआर दर्ज करनी होती है. अन्य मुद्दों में समय लगता है. हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को 13 अप्रैल तक का समय दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने गृह मंत्रालय को भी दिल्ली हिंसा मामले में पक्षकार बनाने की दलील मान ली है. दिल्ली पुलिस के वकील कौन हैं? दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कोर्ट में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और तीन अन्य को नियुक्त किया. गृह विभाग की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर कौर आचार्य, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित महाजन और रजत नायर भी इस तरह के मामलों में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करेंगे. याचिकाकर्ता कौन हैं? दिल्ली हाईकोर्ट में हर्ष मंदर ने याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा जैसे भाजपा नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए. इस वजह से हिंसा हुई.Delhi High Court makes Centre a party in the North East Delhi violence case. https://t.co/hXch8jLh5J
— ANI (@ANI) February 27, 2020
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