साइकिल चोरी की शिकायत लेकर थाने पहुंचा बच्चा, पुलिसवालों ने नई साइकिल ही दिला दी
9 साल का एक बच्चा साइकिल चोरी की शिकायत लेकर रोता हुआ Delhi Police के पास आया. बच्चे की हालत देखकर SHO ने उसके लिए अपने वेतन से एक नई साइकिल खरीद दी.
![Delhi police cop help a 9 year old boy get brand new cycle after his old one stolen](https://static.thelallantop.com/images/post/1713420192061_untitled_design_(82).webp?width=540)
निदा फ़ाज़ली का एक शेर है “घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.” यह शेर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के उन अधिकारियों पर बिलकुल सटीक बैठता है, जिन्होंने साइकिल चोरी की शिकायत करने थाने आए एक छोटे बच्चे को नई साइकिल दिलवा कर उसके मायूस चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटा दी.
दरअसल नॉर्थ दिल्ली के आर्यापुरा में रहने वाले 9 साल के तरुण की पूरी दुनिया उसकी साइकिल के इर्दगिर्द ही रच बस गई थी. जिसे तीन महीने पहले उसे एक दोस्त ने गिफ्ट के तौर पर दिया था. वह सब जगह इससे घूमता फिरता था. खासकर स्कूल जाने के लिए उसे काफी आसानी हो गई थी. पहले उसे स्कूल पहुंचने के लिए दो बस बदलना पड़ता था. जिसमें करीब आधे घंटे का समय लगता था. साइकिल की मदद से वह पंद्रह मिनट में स्कूल पहुंच जाता था.
लेकिन पिछले बुधवार 10 अप्रैल को उसकी साइकिल घर के बाहर से चोरी हो गई. जिसके बाद तरुण रोता हुआ अपनी मां के पास पैकेजिंग फैक्ट्री में पहुंचा. जहां वह एक मजदूर के रूप में काम करती थी.
उसकी मां धन्नो देवी ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया,
मैंने उससे कम से कम एक महीने इंतजार करने के लिए कहा. इस समय हमारे लिए दूसरी साइकिल खरीदना आर्थिक रूप से मुश्किल होता क्योंकि हमें तीन बच्चों की देखभाल करनी होती है. और एक अच्छी साइकिल कम से कम तीन से चार हजार रुपये में आती है. हालांकि वह अपनी जिद्द पर अड़ा था कि उसे किसी भी तरह अपनी साइकिल वापस चाहिए.
धन्नो देवी ने आगे बताया कि जिस दिन साइकिल चोरी हुई थी उसी दिन उनसे कुछ पैसे लेकर तरुण ने साइकिल रिपेयर कराई थी ताकि वह समय पर स्कूल पहुंच सके.
एक हफ्ते बाद अगले बुधवार यानी 17 अप्रैल को उसने दिल्ली पुलिस की एक पेट्रोलिंग टीम को देखा और उनके एक अधिकारी से अपनी आपबीती सुनाई.
सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन के SHO राम मनोहर मिश्रा ने बताया,
हमने देखा कि बच्चा अपनी साइकिल चोरी होने से निराश था और उसकी आंखें भर आईं थीं. हम उसे पुलिस स्टेशन ले आए और चोरी की जानकारी ली.
SHO और उनकी टीम, तरुण को एक स्थानीय साइकिल की दुकान पर ले गई और कुछ ही घंटों में उसके पास एक बिल्कुल नई साइकिल थी.
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SHO ने आगे बताया कि उन्हें लगा तरूण के माता-पिता तुरंत उसे साइकिल दिलाने में में सक्षम नहीं होंगे और बच्चा साइकिल से काफी जुड़ा हुआ था. इसलिए उन्होंने अपने निजी खर्चे पर बच्चे के लिए साइकिल खरीदी.
साइकिल मिलने से उत्साहित तरुण ने कहा कि उन्हें पता था कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी मेरी साइकिल वापस दिलाने में मदद करेंगे. उन्होंने आगे बताया कि अब वो साइकिल से जल्दी स्कूल पहुंच सकता है. और देर से पहुंचने पर पड़ने वाली डांट से बच सकता है.
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