सावरकर की जीवनी लिखने वाले विक्रम संपत को दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या बड़ी राहत दी है?
इतिहासकार विक्रम संपत पर सावरकर की जीवनी के लिए कंटेंट चोरी करने का आरोप है.
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(बाएं से दाएं) विक्रम संपत और विनायक सावरकर. (तस्वीरें- इंडिया टुडे)
'अगली सुनवाई तक बचाव पक्ष 1, 2, 3, 6 और 7 पर याचिकाकर्ता के संबंध में किसी भी मंच या ट्विटर या किसी अन्य ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोक लगाई जाती है.'विक्रम संपत ने दावा किया कि उन्होंने अपनी किताब में जहां कहीं भी किसी अन्य लेखक या शोधार्थी के कार्यों को शामिल किया है, वहां उन्होंने उनका रेफरेंस भी दिया है. संपत की ओर से पेश हुए वकील राघव अवस्थी ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनके मुवक्किल ने अपनी किताब में संबंधित लेखकों को पर्याप्त क्रेडिट दिया है. उन्होंने बताया कि डॉ. झानकी भाखले ने संपत की किताब पर रिव्यू भी लिखा है और नकल संबंधी कोई आरोप नहीं लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले में ट्विटर को भी पार्टी बनाया गया है क्योंकि ट्विटर पर ही विक्रम संपत पर आरोप लगाने वाला पत्र प्रसारित किया जा रहा था. सुनवाई में ट्विटर की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है, वो सिर्फ माध्यम हैं और संबंधित लिंक्स दिए जाते हैं तो वे उसे अपने प्लेटफॉर्म से हटा सकते हैं. कोर्ट ने ट्विटर के खिलाफ कोई आदेश या निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया. उसने पत्रकार अभिषेक बक्शी और अकादमिक अशोक स्वैन के उस ट्वीट को भी डिलीट करवाने की मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने पत्र को शेयर किया था. वहीं अनन्या चक्रबर्ती की पैरवी कर रहे वकील जवाहर राजा ने कहा कि संपत ने अपनी किताब में कुछ आर्टिकल्स का रेफरेंस दिया है, लेकिन अगर पूरे आइडिया को ही एक जगह से उठाकर दूसरी जगह चिपका दिया जाता है तो किस तरह से रेफरेंस दिया गया है, उसके आधार पर निर्णय होगा कि ये नकल है या नहीं. जब राजा ने कोर्ट के अंतरिम आदेश का विरोध किया तो न्यायालय ने कहा कि वो लेखकों को संपत के संबंध में लिखे गए पत्र को वापस लेने के लिए नहीं कह रहे हैं. अब मामले की अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी.