25 जुलाई 2018 (Updated: 25 जुलाई 2018, 11:24 AM IST) कॉमेंट्स
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हमें विकास की कीमत चुकानी पडती है, ये हम अच्छी तरह जानते हैं. इसी तथ्य की पुष्टि करने वाला एक हादसा कुछ रोज़ पहले हुआ है. सोमवार को दक्षिण-पूर्वी लाओस में पनबिजली परियोजना से संबंधित एक बांध के टूट जाने से छह गांव जलमग्न हो गए और करीब 6,600 से अधिक लोग बेघर हो गए. इस घटना में सैकड़ों लोग लापता हैं और मारे गए लोगों की संख्या अभी पता नहीं चल सकी है.
बांध बना रही कंपनी, एस.के. इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन और कोरिया वेस्टर्न पावर, का कहना है कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण यह टूटा है और वह ग्रामीणों को बचाने के लिए लाओस सरकार का सहयोग कर रही है. साथ ही, निर्माण में हुई गलतियों की जांच की जाएगी.
बांध सोमवार रात 8 बजे टूटा जिससे करीब 5 अरब क्युबिक मीटर पानी आसपास के इलाके में फैल गया और सैंकड़ों लोग लापता हो गए. साथ ही, करीब के गांवों के मकान भी बह गए. दरअसल लाओस अपने बांध के जरिए पड़ोसी देशों को बिजली बेच कर 'बैटरी ऑफ एशिया' बनना चाह रहा है. जिसमें से अधिकांश बिजली वह थाइलैंड जैसे अपेक्षाकृत अमीर पड़ोसी देशों को बेचता है, जहां के निवेशकों का पैसा इस परियोजना में सबसे ज्यादा लगा है. इस परियोजना के तहत दक्षिणी लाओस में बिजली का उत्पादन किया जाना है, जिसका 90 प्रतिशत अकेले थाईलैंड द्वारा खरीदा जाएगा. 2013 में शुरू हुई परियोजना अगले साल काम करना शुरू करने वाली थी.
यह बांध एक अरब डॉलर की एक जल विद्युत परियोजना का हिस्सा था जिसे लाओशियन सरकार देश के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानती है. विरोधी पार्टियों ने यह तर्क देकर इस परियोजना का विरोध किया था कि यह मत्स्यपालन करने वाले लोगों को आर्थिक नुकसान पंहुचाएगी और देश के आर्थिक विकास के लिए लोगों के रोज़गार की बली देना कोई सही फैसला नहीं है.
इस हादसे में एक अहम किरदार निभाने वाली मेकांग नदी चीन के तिब्बती पठार से वियतनाम के विशाल मेकांग डेल्टा तक 2,700 मील में फैली हुई है. म्यांमार और थाईलैंड की सीमाओं से गुज़रते हुए दक्षिण चीन सागर में गिरने से पहले यह नदी लाओस, कंबोडिया और वियतनाम से गुज़रती है.
लाओस, चारों ओर ज़मीन से घिरा एक कम्युनिस्ट देश है. यह एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक है और बाकी दुनिया से कटा हुआ है. इसके नेताओं का कहना है कि विकास के लिए बिजली उत्पादन सबसे महत्वपूर्ण साधन है, इससे न सिर्फ देश में संसाधनों का सही प्रयोग हो पाता है बल्कि जीडीपी में इससे काफी सहयोग होता है. हालांकि सोमवार को लाओस में बांध का टूटना वहां इस तरह की पहली घटना नहीं है. पिछले साल भी नाम एओ नदी पर एक बांध, जिसे जलविद्युत परियोजना के हिस्से के रूप में बनाया जा रहा था, उसमें दरार पड़ जाने के कारण टूट गया था. हालांकि उस दुर्घटना में किसी ने अपनी जान नहीं गंवाई थी.
पहले बांध के बनने और अब टूट जाने से स्थानीय जैव विविधता को नुकसान और ग्रामीण समुदायों में गरीबी फैलने का डर है क्योंकि अब उन्हें उस जगह को छोड़कर जाना होगा जहाँ वे सालों से रह रहे हैं और जहाँ की ज़मीन काफी उपजाऊ बताई जा रही है.
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