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अमित शाह के खिलाफ संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस, क्या हो गया?

मामला केरल में आए भूस्खलन से जुड़ा है. राज्यसभा में Waynad Landslide पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने कहा कि अगर केरल सरकार उनकी (केंद्र सरकार की) चेतावनी मान लेती, तो वायनाड में नुक़सान को कम किया जा सकता था.

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jairam ramesh amit shah
गृहमंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ नोटिस. (फ़ोटो - PTI)
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सोम शेखर
2 अगस्त 2024 (Published: 08:11 PM IST)
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 2 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है. उनका कहना है कि वायनाड भूस्खलन हादसे के बारे में अमित शाह ने सदन और देश को ‘गुमराह’ किया था. जयराम रमेश का कहना है कि अमित शाह का पूर्व चेतावनी का दावा ‘झूठा’ था. 

बुधवार, 31 जुलाई को राज्यसभा में वायनाड भूस्खलन पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था कि अगर केरल सरकार उनकी (केंद्र सरकार की) चेतावनी मान लेती, तो वायनाड में नुक़सान को कम किया जा सकता था. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने घटना से 7 दिन पहले केरल सरकार को भूस्खलन की आशंका और जनता के जान के जोख़िम से जुड़ी चेतावनी भेजी थी. फिर 24, 25 और 26 जुलाई को भी चेतावनी दी थी.

जवाब में कांग्रेस महासचिव ने मीडिया के फ़ैक्ट-चेक का हवाला दिया. लिखा कि ये दावे झूठे हैं. जयराम रमेश ने कहा,

“ये साफ़ है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने बयानों से राज्यसभा को गुमराह किया है. उनके दावे झूठे साबित हुए हैं. ये अच्छी तरह से स्थापित है कि किसी मंत्री या सदस्य द्वारा सदन को गुमराह करना विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना ​​है.”

इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने भी गृह मंत्री के बयान को ‘झूठा’ बताया था, कि राज्य को चेतावनी दी गई थी. मुख्यमंत्री ने साफ़ कहा था कि मौसम विभाग (IMD) ने भूस्खलन से पहले ज़िले के लिए केवल ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. हालांकि, वायनाड में 500 मिलीमीटर से ज़्यादा बारिश हो गई, जो IMD के अनुमान से कहीं अधिक है.

विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव (Breach of Privilege notion) क्या होता है?

संसद सदस्यों को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं. लेकिन अगर कोई भी सदस्य इन विशेषाधिकारों की अवहेलना करता है या उसका ग़लत इस्तेमाल करता है, तो इसे विशेषाधिकार का उल्लंघन (ब्रीच ऑफ़ प्रिवेलेज) माना जाता है. ये संसदीय क़ानूनों के तहत दंडनीय है. 

कोई सदस्य ये प्रस्ताव तब देता है, जब उसे लगता है कि किसी मंत्री या किसी सदस्य ने अमुक मामले के तथ्य छिपाए हैं, या ग़लत तथ्यों से सदन को गुमराह किया है.

ये भी पढ़ें - एक शाम की बारिश ने डूबा दी कई जिंदगियां, इन राज्यों में मची तबाही

इस बीच केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने पुष्टि की है कि 30 जुलाई को वायनाड में हुए भूस्खलन में 308 लोगों की मौत हो गई है. अब तक 195 शव और 113 शरीर के अंग बरामद किए गए हैं. भारतीय सेना और बाक़ी फ़ोर्सेज़ वायनाड में बचाव अभियान में जुटी हुई हैं. 

वीडियो: वायनाड हादसे को लेकर विपक्ष ने ऐसा क्या कि अमित शाह भड़क गए?

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