CBI के ही प्रोग्राम में CJI एनवी रमना ने उसे आईना दिखा दिया
'नेता बदलते रहेंगे, आप स्थायी हैं. सत्तावादी ताकतों को पनपने ना दें.'
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"CBI ने अपनी क्रेडिबिलिटी खो दी है."
बीते सालों में केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI के बारे में ये राय अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग देते रहे हैं. इनका मानना है कि CBI 'केंद्र सरकार का तोता' है. जो भी पार्टी केंद्र की सत्ता में होती है, वो इसका गलत फायदा उठाती है. लेकिन इस बार कुछ इसी तरह की बात किसी और ने नहीं, बल्कि देश की सबसे बड़ी अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने कही है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने शुक्रवार 1 अप्रैल को कहा कि CBI ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है. बोले कि CBI को फिर से जनता का भरोसा हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने ये बातें नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 19वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए कहीं. ये लेक्चर हर साल CBI के संस्थापक डायरेक्टर डीपी कोहली की याद में आयोजित किया जाता है. इस साल लेक्चर का विषय 'लोकतंत्र में जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारी' था. 'नेता आएंगे-जाएंगे, आप रहेंगे' कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस रमना ने कहा,"समय के साथ राजनीतिक कार्यकारिणी बदलती रहेगी. लेकिन आप, एक संस्था के रूप में स्थायी हैं. इसलिए अभेद्य बनें और स्वतंत्र रहें. अपनी सेवा से बंधे रहिए. आपकी फ्रेटर्निटी आपकी ताकत है. शुरुआती दौर में CBI के पास जनता का अपार विश्वास था. लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है."उन्होंने कहा,
"वास्तव में, सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने के अनुरोधों से न्यायपालिका भर जाती थी. लेकिन समय बीतने के साथ अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की तरह सीबीआई भी गहरी परोक्ष जांच के दायरे में आ गई है. इसकी कार्रवाई और निष्क्रियता ने अक्सर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं."CJI ने ये भी कहा कि पुलिस अधिकारियों को सर्विस के दौरान काफी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है. एक तेलुगु कहानी का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों से एक ही शिफ्ट में मनोवैज्ञानिक, शिक्षक, सलाहकार, वकील और सुपरहीरो होने की उम्मीद की जाती है. 'सत्तावादी ताकतों को पनपने न दें' केंद्रीय जांच एजेंसी के लिए CJI का पाठ यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए और अपराध रोकने पर ध्यान देना चाहिए. बोले,
"ये आवश्यक है कि पुलिस और जांच निकायों सहित सभी संस्थान लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें और उन्हें मजबूत करें. उन्हें किसी भी सत्तावादी प्रवृत्ति को पनपने नहीं देना चाहिए. उन्हें संविधान के तहत निर्धारित लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर कार्य करने की आवश्यकता है. कोई भी विचलन संस्थानों को नुकसान पहुंचाएगा और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करेगा."न्यायमूर्ति एनवी रमना ने एक और अहम टिप्पणी की. कहा कि अब एक ऐसे स्वतंत्र संस्थान के निर्माण की तत्काल आवश्यकता है जिसमें CBI, SFIO, ED और अन्य एजेंसियों को एक छत के नीचे लाया जा सके.