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CJI रमना ने की ये बात सुन 'सरकार' की भौंहे तन जाएंगी

CJI की टिप्पणी चर्चा में है.

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CJI NV Ramana
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना
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लल्लनटॉप
10 अप्रैल 2022 (Updated: 15 जून 2022, 06:54 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने 8 अप्रैल कोर्ट रूम में एक टिप्पणी की. बात ऐसी, जो सरकारों को कतई पसंद नहीं आएगी. CJI एनवी रमना ने कहा कि, एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है जिसमें सरकार, जजों को बदमान करने की कोशिश कर रही है.

दरअसल, चीफ जस्टिस रमना छत्तीसगढ़ के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. बेंच में उनके साथ मौजूद थे जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली. तभी CJI ने कहा,

"ये एक नया ट्रेंड बन गया है. सरकार ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हम कोर्ट में भी देख रहे हैं. आजकल, ये एक नया चलन है. पहले हम निजी पार्टियों को इस तरह के हथकंडे अपनाते हुए देखते थे. लेकिन अब हम हर दिन ऐसा देख रहे हैं."

चीफ जस्टिस ने ये टिप्पणी जिस मामले की सुनवाई के दौरान की, वो छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह से जुड़ा है. रमन सिंह के मुख्य सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. ये आरोप छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार जाने के बाद लगे. मामला हाईकोर्ट पहुंचा, लेकिन खारिज हो गया. फिर मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट.

Raman Singh

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह. (PTI)

दरअसल, फरवरी 2020 में उचित शर्मा नाम के एक कथित एंटी करप्शन एक्टिविस्ट ने अमन सिंह और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उचित की तरफ से ये शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई थी. शिकायत के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस की इकॉनमिक्स ऑफेंस विंग (EOW) ने मामला दर्ज किया.

इस मामले के खिलाफ अमन सिंह और उनकी पत्नी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट गए. 28 फरवरी 2020 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अतंरिम आदेश दिया. आदेश में अमन सिंह और उनकी पत्नी पर कार्रवाई करने से रोक लगा दी गई. फिर आई तारीख 10 फरवरी, 2022. हाईकोर्ट ने उस FIR को ही खारिज कर दिया और कहा,

"याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप पहली नजर में सिर्फ संभावनाओं पर आधारित हैं. और इस आधार पर किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है."

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि सीएम ने इस मामले को खुद संज्ञानल में लिया था और "CS/EOW से जांच" कराने की बात कही थी.

इससे एक दिन पहले सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि जिन राजनीतिक मामलों पर चुनी हुई सरकार को फैसला लेना है, वो मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े हैं. उन्होंने सवाल पूछा था कि आखिर नेताओं को क्यों चुना जाता है? राज्यसभा और लोकसभा किस लिए हैं? उन्होंने आश्चर्य जताते हुए सवाल पूछा था कि क्या अब कोर्ट को बिल भी पास करने पड़ेंगे?

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