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'विपक्ष की भागीदारी सिमट रही, लोकतंत्र के लिए ये सही नहीं', बोले CJI रमना

CJI रमना ने कहा कि राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से देश में ऐसा ही हो रहा है.

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CJI N V Ramana
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना (साभार: PTI)
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उदय भटनागर
17 जुलाई 2022 (Updated: 17 जुलाई 2022, 02:14 PM IST) कॉमेंट्स
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देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना (CJI N V Ramana) ने देश में मौजूदा राजनीतिक हालातों को लेकर चिंता जताई. CJI रमना, राजस्थान विधानसभा में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. यहां उन्होंने कहा कि, हमारे देश में एक समय सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सम्मान हुआ करता था, जो कि अब कम हो रहा है. देश में विपक्ष लगातार सिमटता जा रहा है. CJI ने देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया.  

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक CJI रमना ने विपक्ष के मजबूत होने की जरूरत पर बात की. उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विपक्ष को भी मजबूत करना होगा. CJI रमना ने संसद की कार्यवयस्था पर भी चिंता जताई. उन्होंने आगे कहा,

“राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से देश में ऐसा ही हो रहा है. ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. हमारे देश में विपक्ष की गुंजाइश कम होती जा रही है. इससे हो ये रहा है कि कानूनों को बिना व्यापक विचार-विमर्श और पड़ताल के सदन से पारित किया जा रहा है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि सदन में ज्यादा चर्चा होने से नागरिकों को निश्चित रूप से लाभ होगा.”

CJI रमना ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी बात की. उन्होंने अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व की जरूरत पर बोलते हुए कहा,

“मौजूदा हालात में भारत में लोकतंत्र सिर्फ पसंद की बात नहीं है, बल्कि ये एक जरूरत है. भारत का लोकतंत्र अभी शुरूआती दौर में है. हम अभी भी सीखने के चरण में हैं. हमें ध्यान रखने की जरूरत है कि भारत संसदीय लोकतंत्र है, न कि संसदीय सरकार. क्योंकि लोकतंत्र का मूल विचार प्रतिनिधित्व है. इसमें बहुसंख्यकों के साथ अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व भी जरूरी है. बहुसंख्यकवाद, सैद्धांतिक रूप से अस्थिर और व्यावहारिक रूप से गलत भी है.”

“न्यायप्रक्रिया में सुधार की जरूरत”

इससे पहले CJI रमना ने जयपुर में ही आयोजित 18वीं भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की मीटिंग समारोह को भी संबोधित किया. यहां उन्होंने न्यायप्रक्रिया पर बात की. उन्होंने कहा कि भारत की 1,378 जेलों में 6.1 लाख कैदी हैं और वे समाज के सबसे कमजोर वर्गों में से एक हैं. जेल एक ब्लैक बॉक्स की तरह होती हैं. कैदी अक्सर अनदेखे, अनसुने नागरिक होते हैं. हमें विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक जेल में रखने की प्रक्रिया पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. 

CJI ने कहा कि जिन प्रक्रियाओं के चलते लोगों को बिना मुकदमे के लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है, ऐसी प्रक्रियाओं पर हमें सवाल उठाना होगा. न्यायप्रक्रिया में सुधार के लिए एक मजबूत प्लान की जरूरत है. 

वीडियो- नौकरशाही और आला पुलिस अधिकारियों पर CJI एनवी रमना ने क्या टिप्पणी की?

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