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शहरी लगता था 'नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र', सरकार ने संशोधन कर राष्ट्रीय बना दिया

इस केंद्र की 'राष्ट्रीय छवि' बनाने के लिए सरकार ऐसा कर रही है.

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New Delhi International Arbitration Centre (Amendment) Bill
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में विधेयक पेश किया.
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धीरज मिश्रा
5 अगस्त 2022 (Updated: 5 अगस्त 2022, 11:06 PM IST)
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केंद्र सरकार ने 'नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र' का नाम बदलने के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया है. सरकार का कहना है कि इसके नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक 'शहर केंद्रित' संस्थान है. इसलिए इसकी 'राष्ट्रीय स्तर' की छवि बनाने के लिए इसका नाम बदलना जरूरी है.

संसद ने 18 जुलाई 2019 को नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक पारित किया था. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्र ने 26 जुलाई 2019 को इसे अधिसूचित किया था. इसी कानून के तहत 13 जुलाई 2022 को नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली है.

इसे 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित किया गया है. अब सरकार इसी का नाम बदलने के लिए ये विधेयक लेकर आई है.

बिल में क्या है?

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजु ने शुक्रवार को लोकसभा में ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया. इसके उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है,

'नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम 2019 के तहत देश में संस्थागत मध्यथता के लिए एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया गया है. कानून की धारा 4 की उपधारा (1) के तहत नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र को राष्ट्रीय महत्ता की संस्था के रूप में घोषित किया गया है.'

इसमें आगे कहा गया, 

'लेकिन यह संस्थान 'शहर या नगर केंद्रित' होने का आभास कराता है. इसलिए नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यथता केंद्र के नाम को बदलकर 'भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र' करने की जरूरत है, ताकि राष्ट्रीय महत्ता की संस्था होने के चलते इसकी विशिष्ट पहचान स्पष्ट हो और यह अपने वास्तिक उद्देश्यों की पूर्ति कर सके.'

इस केंद्र का मकसद क्या है?

इस मध्यस्थता केंद्र का प्रमुख मकसद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक निश्चित समयसीमा के भीतर मध्यस्थता और सुलह कराना है. इसके अलावा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुलह और मध्यस्थता के लिए ट्रेनिंग कराना और स्किल्स मुहैया कराना भी इस केंद्र का एक अभिन्न काम है.

इसका एक और उद्देश्य मध्यस्थता और सुलह के क्षेत्र में सुधार लाना और इस केंद्र को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए एक प्रमुख संस्थान के रूप में विकसित करना है. इसके अलावा यह ऐसे कामों के संचालन के लिए प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगा.

वैसे तो नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का गठन कर दिया गया है, लेकिन अभी इसमें नियुक्तियां नहीं हुई हैं. इसमें सात सदस्यों को नियुक्त किया जाना है. इसका अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट या हाई कोई का कोई पूर्व जज या फिर कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति (उस क्षेत्र में) होगा.

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