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ज़हरीले कफ सिरप के बाद अब लिवर और कैंसर की नकली दवा मिली, ऐसे करें पहचान

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बिक रही दो दवाइयों के नकली वर्जन की जानकारी दी है. एक दवा तो ऐसी है, जिसे भारत में बेचने की अनुमति ही नहीं है.

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Fake liver and cancer drugs in market
अधिकारियों को इन दवाइयों की बिक्री, डिस्ट्रीब्यूशन और स्टॉक पर नजर रखने को कहा गया है. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)
11 सितंबर 2023 (Updated: 11 सितंबर 2023, 03:17 IST)
Updated: 11 सितंबर 2023 03:17 IST
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भारत में लिवर और कैंसर की नकली दवा बिक रही है. भारत की केंद्रीय ड्रग अथॉरिटी ने इन नकली दवाइयों पर अलर्ट जारी किया है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने दो दवाइयों को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है. एक दवा है डेफिटालियो (Defitalio), जिसका इस्तेमाल लिवर की बीमारी में किया जाता है. दूसरी दवा है, एडसेट्रिस (Adcetris), ये कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाला एक इंजेक्शन है. CDSCO के मुताबिक इन दोनों दवाइयों के नकली वर्जन बिकने की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दी है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के नाम से जारी किए गए अलर्ट में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर को इन दवाओं पर नजर रखने को कहा गया है.

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लिवर की बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा पर अलर्ट

CDSCO ने डेफिटेलियो (डिफाइब्रोटाइड) 80 mg/ml सॉल्यूशन के लिए 6 सितंबर को अलर्ट जारी किया. इसमें बताया गया कि 4 सितंबर को WHO की ओर से इस दवा पर सुरक्षा चेतावनी दी गई है. WHO के मुताबिक इस दवा के नकली वर्जन की पहचान इस साल भारत और तुर्किए में की गई है. भारत में अप्रैल 2023 और तुर्किये में जुलाई 2023 में इसके नकली वर्जन मौजूद होने की जानकारी मिली. 

इस दवा का इस्तेमाल उस कंडिशन में किया जाता है, जब लिवर की नसें ब्लॉक हो जाती हैं और लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है. 

इस दवा के बैच नंबर 20G20A, जिस पर एक्सपायरी डेट 08/2024 लिखा हुआ है, को नकली पाया गया. इस दवा को बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि असली DEFITELIO का लॉट  20G20A जर्मन/ऑस्ट्रियाई पैकेजिंग में पैक किया गया था. वहीं नकली प्रोडक्ट यूके/आयरलैंड पैकेजिंग में है. 

सबसे जरूरी बात ये कि कंपनी के मुताबिक DEFITELIO को भारत और तुर्किए बेचे जाने की मंजूरी नहीं है.

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कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन पर अलर्ट 

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने 5 सितंबर को बताया कि भारत सहित चार देशों में एडसेट्रिस (Adcetris) इंजेक्शन के 50 मिलीग्राम के कई नकली वर्जन मौजूद हैं. इस दवा को टेकेडा (Takeda) फार्मास्युटिकल कंपनी लिमिटेड बनाती है. इसका इस्तेमाल एक तरह के ब्लड कैंसर में किया जाता है.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी की ओर से इस मामले में बयान जारी कर कहा गया है,

“हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि CDSCO ने भारत में एडसेट्रिस इंजेक्शन के नकली वर्जन के खिलाफ चेतावनी देते हुए एक सामान्य सलाह जारी की है. Takeda को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से भारत में Adcetris के आयात, बिक्री और वितरण के लिए अधिकृत किया गया है. हम इसे अपने मरीजों को अच्छी तरह से स्थापित सप्लाई चेन नेटवर्क के जरिए उपलब्ध कराते हैं. हमारी सलाह है कि Adcetris को केवल Takeda अधिकृत डिस्ट्रिब्यूशन सोर्स से खरीदा जाना चाहिए.”

WHO ने बताया है कि इस दवा के कम से कम 8 बैच नंबर के नकली वर्जन मौजूद हैं. वो बैच नंबर हैं-

Batch No. 11980412 ED: 04/2024 
Batch No. 12188747 ED:01/2025 
Batch No. 12188749 ED:01/2025 
Batch No. 12200242 ED:01/2025 
Batch No. 12202389 ED:01/2025 
Batch No. 12310404 ED:09/2025
Batch No. 512053 ED:11/2024

इन नकली दवाइयों को लेकर क्या सलाह दी गई है?

डॉक्टरों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है कि वो ये दवाइयां सावधानी से लिखें. साथ ही मरीजों को इस बारे में जागरूक करें कि अगर कोई रिएक्शन हो, तो तुरंत हॉस्पिटल जाएं.

मरीजों को चेताया गया है कि वो ऐसी दवाइयां आधिकारिक सोर्स से ही लें.

CDSCO ने सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलरों और जोनल ऑफिसेज को निर्देश जारी किया है कि वो अपने अधिकारियों को बाजारों में इन दवाइयों की बिक्री, डिस्ट्रीब्यूशन और स्टॉक पर नजर रखें. इसके साथ ही मार्केट में मौजूद इन दवाओं के सैंपल लेकर जरूरी कार्रवाई शुरू करने की बात भी कही गई है.

आप इन नकली दवाइयों की पहचान कैसे कर सकते हैं?

दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ सुमित रे कहते हैं कि इस तरह की नकली दवाइयों की पहचान मुश्किल होती है. इस बात का खयाल रखें कि अधिकृत और लाइसेंस वाली मेडिकल शॉप से ही दवाइयां खरीदें. फिलहाल जो एडवाइजरी जारी की गई है, उसमें बताए गए बैच नंबर से इन नकली दवाइयों की पहचान की जा सकती है. डॉ सुमित रे के मुताबिक सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए कि ऐसी नकली दवाइयां कहां बन रही हैं और मार्केट में कैसे पहुंच रही हैं.

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