घूस देकर टीचर बनने वालों से नौकरी क्या सैलरी भी वापस ली जाएगी, कलकत्ता HC का बड़ा फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट ने साल 2016 में बंगाल आयोग द्वारा गठित जॉब पैनल को रद्द कर दिया है. इस पैनल ने 2018 में 24 हजार टीचिंग और नॉन टीचिंग पदों के लिए परीक्षा आयोजित कराई थी. तब इस परीक्षा में 23 लाख उम्मीदवार अपीयर हुए थे.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला (West Bengal Education Scam) मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. उसने स्कूल टीचरों की भर्ती के लिए पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSCC) द्वारा गठित भर्ती पैनल को रद्द कर दिया है. इस पैनल का गठन 2016 में किया गया था. कोर्ट के इस फैसले से राज्य की लगभग 24 हजार शिक्षक नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं. अदालत ने ये भी निर्देश दिया है कि अवैध रूप से भर्ती हुए शिक्षकों को चार हफ्ते में अपनी सारी तनख्वाह वापस करनी होगी. इसकी जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपी गई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन भर्तियों में टीचिंग और नॉन टीचिंग दोनों तरह की नियुक्तियां शामिल हैं. साल 2016 में WBSCC एंट्रेस एग्जाम के माध्यम से नौकरियां दी गई थीं. WBSSC द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (SLST 2016) में 24,000 से खाली पदों के लिए 23 लाख से ज्यादा उम्मीदवार अपीयर हुए थे.
22 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की पीठ ने भर्ती प्रवेश परीक्षा की 23 लाख OMR शीट (टेस्ट पेपर) का फिर से मूल्यांकन करने का आदेश भी दिया है. साथ ही WBSSC को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी कहा है. वहीं CBI को नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर आगे की जांच करने और तीन महीने में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
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क्या है बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला?ये घोटाला साल 2014 का है. WBSSC ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली. इसकी प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई. उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. बाद में हाई कोर्ट में शिकायतें पहुंचीं कि कम नंबर वाले उम्मीदवारों को भी मेरिट लिस्ट में जगह दे दी गई. आरोप लगे कि जिन उम्मीदवारों का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था उन्हें भी नौकरी दी गई.
शिक्षकों की भर्ती के लिए TET की परीक्षा पास होना अनिवार्य होता है. लेकिन कथित तौर पर इस परीक्षा को पास किए बिना भी कई उम्मीदवारों को टीचर बना दिया गया. बताया गया कि लगभग 13 हजार भर्तियों के मामलों में शिकायते हुईं. हरेक भर्ती के लिए 5 से 15 लाख रुपये की घूसे लेने के आरोप लगे. इस कथित घोटाले में शामिल होने के आरोप में बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई TMC पदाधिकारी और शिक्षा विभाग के अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच ED और CBI को सौंपी गई. कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली ने मामले की CBI जांच के आदेश दिए थे. हाल ही में उन्होंने न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दिया था. अब वो बंगाल के तमलुक से BJP के लोकसभा उम्मीदवार हैं.
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