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अफगानिस्तान की मस्जिद में धमाके में 18 की जान गई, तालिबान का समर्थन करने वाले इमाम की भी मौत

हमले से जुड़ीं तस्वीरों में मस्जिद के चारों तरफ खून से सने शव दिखाई दे रहे हैं.

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Afghanistan Herat City Blast
अफगानिस्तान के हेरात शहर में धमाके के बाद भागते लोग और मुजीब-उर रहमान अंसारी. (फोटो: एपी/ट्विटर)
2 सितंबर 2022 (Updated: 2 सितंबर 2022, 23:13 IST)
Updated: 2 सितंबर 2022 23:13 IST
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अफगानिस्तान (Afghanistan) की एक मस्जिद में दो सितंबर को बड़ा धमाका हुआ, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हुई है और करीब 23 लोग घायल हैं. हेरात शहर की गजरगाह मस्जिद में हुए इस धमाके में मुजीब-उर रहमान अंसारी नामक कद्दावर इमाम की भी मौत हुई है. अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, अंसारी ने एक बार कहा था कि सरकार के खिलाफ कदम उठाने वाले लोगों का गला काट दिया जाना चाहिए.

सोशल मीडिया पर इस हमले से जुड़ीं कई तस्वीरें वायरल हैं, जिसमें गजरगाह मस्जिद के चारों तरफ खून से सने शव दिखाई दे रहे हैं. आतंकी संगठन तालिबान द्वारा पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता हासिल करने के बाद हिंसा की घटनाएं कम हो गई थीं, लेकिन हाल के महीनों में, विशेष तौर पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए, कई बम धमाके हुए हैं. इसमें से कई हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है.

हेरात प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता हमीदुल्लाह मोटावाकेल ने मीडिया को भेजे अपने संदेश में बताया कि दो सितंबर को हुई घटना में कम से कम 23 लोगों की मौत हुई है और 23 लोग घायल हुए हैं. सरकारी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस बात की पुष्टि की है कि मृतकों में मस्जिद के इमाम मुजीब उर रहमान अंसारी भी शामिल हैं. उन्होंने ट्विटर पर कहा, 'इस देश का एक मजबूत और साहसी धार्मिक विद्वान एक नृशंस हमले में शहीद हो गया.'

पहले भी हुई एक इमाम की हत्या

अंसारी को आक्रामक भाषण देने के लिए जाना जाता है. इसी साल जुलाई महीने में काबुल में एक धार्मिक सभा के दौरान अंसारी ने अफगानिस्तान के नए तालिबान शासकों का जोरदार बचाव किया था. अंसारी ने कहा था,

‘जो कोई भी हमारी इस्लामी सरकार के खिलाफ छोटी से छोटी हरकत करता है, उसका सिर काट दिया जाना चाहिए. यह झंडा (तालिबान) आसानी से नहीं फहराया गया है और इसे आसानी से नहीं उतारा जाएगा.’

पिछले एक महीने के भीतर तालिबान समर्थित धर्मगुरु की मौत का ये दूसरा मामला है. इससे पहले काबुल में उनके मदरसे में ही रहीमुल्ला हक्कानी की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. हक्कानी को इस्लामिक स्टेट के खिलाफ बयानबाजी के लिए जाना जाता था. बाद में इसी आतंकी संगठन ने हक्कानी की हत्या की जिम्मेदारी ली थी.

इससे पहले 17 अगस्त को काबुल की एक मस्जिद में हुए धमाके में कम से कम 21 लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे. आतंकी संगठन IS मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदायों- शिया, सूफी और सिख को निशाना बना रहा है. 

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