The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Beef: Majority cow meat samples seized in last four years found to be of bulls and buffaloes

2014-2017 के बीच गाय के नाम पर जब्त मांस में किसका कितना मांस निकला

139 सैंपल्स DNA जांच के लिए भेजे गए, 112 की तफ़्तीश हो पाई...

Advertisement
Img The Lallantop
कई मॉब लिंचिंग्स ऐसी हुईं, जहां बस बीफ के शक में लोग मार डाले गए (फोटो: रॉयटर्स)
pic
स्वाति
3 जनवरी 2019 (Updated: 3 जनवरी 2019, 10:58 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
पिछले कुछ समय में बीफ के शक में लिंचिंग्स हुई हैं. इस पर पॉलिटिक्स हुई है. कई घटनाएं ऐसी रिपोर्ट हुईं, जहां लोगों पर बीफ खाने के आरोप लगे. हमने सुना, उस मीट को ज़ब्त करके जांच के लिए भेजा गया है.
उस जांच से क्या पता लगा? 2014 से 2017 के बीच गाय के मांस के नाम पर बरामद मीट के 93 फीसद सैंपल्स या तो बैल के थे या भैंस के. टाइम्स ऑफ इंडिया में यू सुधाकर रेड्डी की रिपोर्ट
छपी है. इसके मुताबिक, पशुपालन विभाग और पुलिस ने इन तीन सालों में बीफ के नाम पर जो मांस ज़ब्त किया, उसमें से बस सात फीसद मांस ही असल में गाय का निकला. TOI की रिपोर्ट हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय मांस अनुसंधान केंद्र (NRCM)
के हवाले से है. ये रिपोर्ट अभी पब्लिश नहीं हुई है. NRCM मांस के रिसर्च से जुड़ा सरकारी संस्थान है. ये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के अंदर काम करती है. मीट किस जानवर का है, इसकी जांच के लिए NRCM में अलग से रिसर्च लैब है.
139 सैंपल्स DNA जांच के लिए भेजे गए, 112 की तफ़्तीश हो पाई 2014 से 2017 के बीच देशभर से करीब 139 मीट के नमूने जमा किए गए. इनमें से बस 112 सैंपल्स की DNA जांच हो पाई. बचे हुए सैंपल्स की जांच संभव नहीं थी. 112 नमूनों में से आठ गाय के थे. 22 भैंस के थे. 63 सैंपल बैल के थे. 11 सैंपल ऐसे थे, जिनमें बैल और भैंस का मांस मिला हुआ था. तीन सैंपल ऊंट के थे. दो भेड़ के, दो मुर्गे के और एक बकरी का भी सैंपल था.
ये सारे सैंपल्स NRCM के पास जांच के लिए या तो राज्य की पुलिस ने भेजा था, या फिर पशुपालन विभाग ने. जिन राज्यों से ये नूमने आए, वो हैं- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना.
उत्तर प्रदेश के दादरी में मुहम्मद अखलाक को भीड़ ने बीफ के शक में मार डाला. इस खबर को दुनियाभर की मीडिया ने कवर किया. पूरे भारत का नाम खराब हुआ. ऐसा भी नहीं कि इसके बाद बीफ लिंचिंग्स की घटनाएं बंद हो गई हों. ये ब्रिटिश अखबार टेलिग्राफ में छपी खबर का स्क्रीनशॉट है.
उत्तर प्रदेश के दादरी में मुहम्मद अखलाक को भीड़ ने बीफ के शक में मार डाला. इस खबर को दुनियाभर की मीडिया ने कवर किया. पूरे भारत का नाम खराब हुआ. ऐसा भी नहीं कि इसके बाद बीफ लिंचिंग्स की घटनाएं बंद हो गई हों. ये ब्रिटिश अखबार टेलिग्राफ में छपी खबर का स्क्रीनशॉट है.

2018 में भी 80 सैंपल्स जांच के लिए भेजे गए टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि करीब 63 सैंपल ऐसे थे, जिनके बारे में राज्य प्रशासन को शक था कि वो गाय का मांस है.
34 सैंपल्स ऐसे थे, जिनके बारे में प्रशासन को शुबहा था. एक सैंपल ऐसा भी था, जिसपर कुत्ते का मांस होने का संदेह था. टाइम्स के मुताबिक, NRCM की रिपोर्ट में लिखा है-
दिलचस्प ये है कि मीट के जिन तीन नमूनों पर गाय का मांस होने का शक था, उसमें ऊंट का मांस निकला. एक सैंपल जिस पर कुत्ते का मीट होने का संदेह था, वो असल में भेड़ का था.
2014 से 2017 के बीच जमा हुए नूमनों के अलावा 2018 में भी 80 सैंपल्स भेजे गए NRCM के पास. इनमें भी गाय का मांस बहुत कम है. कितना, ये अभी नहीं मालूम. मगर उस जांच का नतीजा भी ऐसा ही है.


बुलंदशहर घटना की एक-एक बात हमारी ग्राउंड रिपोर्ट से समझिए
बुलंदशहर हिंसा का वीडियो जिसमें पत्थर फेंकते दिख रहा लड़का सुमित बताया जा रहा है

Advertisement