"असीम मुनीर, मैदान में आओ!" TTP ने वीडियो भेजकर पाकिस्तानी फील्ड मार्शल को धमकाया
Asim Munir threatened by TTP: काज़िम का ताज़ा वीडियो उन दृश्यों के साथ आया है जो किसी एक्शन फिल्म के क्लाइमैक्स से कम नहीं. कब्ज़े में लिए गए हथियार, जले हुए वाहन और एक ड्रोन कैमरा. वही क्लिप जिसमें उसने सीधे असीम मुनीर से कहा गया है कि "खुद आओ, वरना सैनिकों को मत भेजो."

पाकिस्तान ने जिस आतंकवाद को पाला‑पोसा, वो अब उसी से सिसक रहा है. तहरीक‑ए‑तालिबान (TTP) ने पाक सेना के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को खुला चैलेंज दे दिया है. और स्टाइल भी ऐसा जो किसी थ्रीलर वेब सीरिज के ट्रेलर जैसा लग रहा हो.
अगर आप मर्द हैं. मां का दूध पिया है तो आम सैनिकों को भेड़-बकरियों की तरह ना भेजें. उनकी जगह खुद मैदान में आएं. हम आपको जंग का मज़ा चखाएंगे.
ये धमकी दी गई है ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के हाथों बुरी तरह पीटने के बाद भी खुद को फील्ड मार्शल की पदवी दिलवा देने वाले पाक सेना के जनरल असीम मुनीर को. धमकी देने वाला है TTP का कमांडर अहमद काज़िम.
शुरुआत: फिल्मी ट्विस्ट, पर असल जिंदगी में गोलियांकाज़िम का ताज़ा वीडियो उन दृश्यों के साथ आया है जो किसी एक्शन फिल्म के क्लाइमैक्स से कम नहीं. कब्ज़े में लिए गए हथियार, जले हुए वाहन और एक ड्रोन कैमरा. वही क्लिप जिसमें उसने सीधे अपने टारगेटेड ऑडियन्स (और शायद पाकिस्तान के फील्ड मार्शल) को कहा: "खुद आओ, वरना सैनिकों को मत भेजो." यह वीडियो 8 अक्टूबर को कुर्रम (Kurram) ज़िले में हुए हमले के कुछ दिन बाद जारी हुआ.
कुर्रम अटैक: 22 या 11 - किसकी गिनती सही?TTP ने दावा किया कि 8 अक्टूबर की इस घातक छापा में 22 सैनिक मारे गए और कई हथियार उनके हाथ लगे. दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना ने औपचारिक तौर पर 11 सैनिकों के शहीद होने की बात स्वीकार की है - यानि काउंटिंग में बड़ी खाई. बहस इतनी बड़ी कि सैन्य और विद्रोही दावों के बीच सच दबकर रह गया है.
वीडियो का मकसद: डर दिखाना या मनोवैज्ञानिक जीत?वीडियो में दिखाए गए हथियार और वाहन सिर्फ़ 'ट्रॉफी' नहीं - ये संदेश हैं: "हम जंग के माहौल बना सकते हैं, और आपकी छवि को धूल चटा सकते हैं." विश्लेषक कहते हैं कि ऐसे फुटेज मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा होते हैं. सैनिकों और आम लोगों में भय पैदा करने के लिए. उसी क्लिप में काज़िम ने मुनीर पर व्यक्तिगत तंज कसते हुए कहा कि वे 'सैनिकों को भेड़ की तरह भेजते' हैं - एक सीधी अपील/धमकी.
इनाम और तलाशपाकिस्तान की सरकार ने 21 अक्टूबर को काज़िम की गिरफ्तारी या जानकारी देने पर 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपये (PKR) का पुरस्कार घोषित कर दिया. यह कदम दर्शाता है कि सरकार TTP के इस समूह को गंभीरता से रोकने की कोशिश कर रही है - पर वही वीडियो और हल्ला सरकार के लिए चुनौती भी बढ़ा देता है.
दूसरा सीन: TLP पर बैनकुर्सी पर बैठके एक ही साइड-शो नहीं चल रहा. 23 अक्टूबर को पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथी पार्टी तहरीक‑ए‑लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर एंटी‑टेररिज्म एक्ट के तहत बैन लगा दिया. यह फैसला बड़े विरोध‑प्रदर्शनों और हाल के हिंसक झड़पों के बाद आया, जिनमें सैकड़ों गिरफ्तार और कई हताहत हुए बताए गए. लंबे समय से पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति और सुरक्षा पर ये धार्मिक‑राजनीतिक गुट असर डालते आए हैं.
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TTP का अतीतTTP की वापसी और सक्रियता किसी एक दिन की कहानी नहीं है - तालिबान के अफगानिस्तान में लौटने के बाद (2021 के बाद) ही क्षेत्रीय समीकरण बदले. पहले दशक में पाकिस्तान ने TTP को काफी हद तक दबाया था, पर पिछले कुछ वर्षों में यह फिर उभरकर आ गया है और सीमा पार हमले, असामाजिक गोरखधंधे और हाई‑कॅसुअल्टी अंबुश इसकी नयी पहचान बन गए हैं. उसी पृष्ठभूमि में अब अधिकारी और विद्रोही आमने‑सामने हैं. इन सबके बीच पाकिस्तानी आवाम डरी और घबराई हुई है.
आख़िरी नज़रकाज़िम का वीडियो और खुला चैलेंज सिर्फ़ एक प्रचार का हिस्सा नहीं - यह पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा, सेना‑राजनीति रिश्तों और उस क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता का ऐलान भी है. जहां एक तरफ़ सरकार इन समूहों पर सख्ती दिखा रही है (इनाम, बैन), वहीं दूसरी तरफ़ हथियारों का प्रदर्शन और सीधी व्यक्तिगत चुनौती दर्शाती है कि खेल अभी खत्म नहीं हुआ.
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