‘93,000 पैंट सेरेमनी 2.0', अफगानिस्तान छोड़िए, ट्रोल्स ने पाकिस्तान को 1971 के जख्म याद दिया दिए
तालिबान पाकिस्तानी सेना की पैंट ट्रॉफी की तरह लहरा रहा है, जो पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का कारण बना.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर भड़का तनाव थम गया है. दोनों देशों ने कतर और सऊदी अरब की अपील पर अस्थायी युद्ध विराम पर सहमति जताई है. लेकिन इस संघर्ष की असली कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे अलग-अलग पोस्ट में छिपी है. जहां तालिबानी लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों के कथित पैंट लहराते नजर आ रहे हैं. ये दृश्य न केवल पाकिस्तान के लिए अपमानजनक है, बल्कि 1971 के भारत-पाक युद्ध की यादें ताजा कर रहा है. सोशल मीडिया पर '93,000' हैशटैग ट्रेंड कर रहा है. अफगान यूजर्स ने तो इसे '93,000 पैंट सेरेमनी 2.0' तक नाम रख दिया है.
पूरा मामला क्या है, ये तो जानेंगे ही. लेकिन उससे पहले आपको दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष के बारे में बताते हैं.
दरअसल, 9 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर क्रॉस-बॉर्डर हमला बोला. एयर स्ट्राइक किए गए. इस्लामाबाद लंबे समय से तालिबान पर TTP को शरण देने का आरोप लगाता रहा है. इसके बाद तालिबान ने भी जवाबी कार्रवाई की. 12 अक्टूबर 2025 को तालिबान ने पाकिस्तानी सेना को बड़ा झटका दिया. तालिबान के दावों के मुताबिक, उन्होंने 60 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. और 20 से अधिक बॉर्डर पोस्ट्स को तबाह कर दिया.
ये संघर्ष इतना तीव्र था कि दोनों तरफ सैकड़ों सैनिक घायल हो गए. तालिबान के चीफ स्पोक्सपर्सन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि युद्धविराम पाकिस्तान की जिद पर हुआ. जबकि पाकिस्तानी वाले दावा कर रहें हैं कि ये अफगानिस्तान की मांग पर आया. तालिबान अधिकारी अली मोहम्मद हकमल ने टोलो न्यूज को बताया,
'नैरेटिव वॉर' में अफगानिस्तान आगे"मुजाहिदीन ने प्रभावी हमले किए, जिससे पाकिस्तानी सेना इमरजेंसी में आ गई. उन्होंने लड़ाई रोकने की गुजारिश की."
ये तो बात हुई दोनों देशों के दावों की. कौन जीता कौन हारा, ये बात अलग है. लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में सिर्फ एक पार्टी जीतती दिख रही है. वो है तालिबान. कई वीडियो वायरल हैं. जिनमें तालिबान लड़ाके कब्जे में लिए गए पाकिस्तानी टैंकों को घुमाते दिख रहे हैं. और सबसे ज्यादा चर्चा पाकिस्तानी सैनिकों के छोड़े हुए पैंट की हो रही है.
कथित तौर कहा जा है कि सीमा पर पाकिस्तानी सैनिक अपनी पोस्ट्स छोड़कर भागे और पैंट समेत कई सामान पीछे छोड़ गए. तालिबान ने इन्हें ट्रॉफी की तरह लहराया, जो पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का कारण बना. ये न केवल सेना की हार का प्रतीक है, बल्कि 'नैरेटिव वॉर' में अफगानिस्तान को बढ़त दे रहा है. अफगान यूजर्स का कहना है कि पाकिस्तान ने आक्रमण शुरू किया, लेकिन तालिबान ने उन्हें 'पैंट डाउन' कर दिया.

ये घटना 1971 के भारत-पाक युद्ध से जोड़कर भी देखी जा रही है. याद हो कि दिसंबर 1971 में, भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी के 13 दिनों के अभियान के बाद पाकिस्तान के पूर्वी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला नियाजी ने आत्मसमर्पण किया था. भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की मौजूदगी में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाले. जिससे बांग्लादेश का स्वतंत्र जन्म हुआ. समर्पण के दौरान नियाजी ने अपनी लैथर, बैज और पिस्टल उतारी थी. ये भारतीय सेना की जीत का एक बड़ा बैज है.
अब 2025 में तालिबानी लड़ाके पाकिस्तानी सेना के पैंट लहराते हुए 1971 की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं. काबुल के एक्टिविस्ट फजल अफगान ने X पर एक पोस्ट किया. जिसमें 1971 का एक वीडियो है, और एक 2025 का. उन्होंने लिखा,
"1971 में भारतीयों के सामने समर्पण. 2025 में अफगानों के सामने समर्पण. लंबा समय लगा, लेकिन टीम 93,000 के लिए कुछ नहीं बदला.”
मिलिट्री वेटरन कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने 1971 की आइकॉनिक तस्वीर शेयर कर लिखा,
"93,000 हमेशा से फेवरेट नंबर रहा है."

अफगान पत्रकार वकील मुबारिज ने X पोस्ट कर लिखा,
“93,000 पैंट सेरेमनी 2.0."

एक अन्य यूजर ने लिखा,
"War is temporary, 93000 is permanent."

सोशल मीडिया पर चल रहे इस नैरेटिव के मायने गहरे हैं. युद्धविराम तो हो गया, लेकिन पाकिस्तान की छवि को गहरा आघात लगा है. तालिबान का मनोबल ऊंचा है, और सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान का प्रचार अभियान सफल रहा.
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