क्या आपके बच्चों को एक्सपायर हो चुकी कोविड वैक्सीन लगाई जा रही है?
एक्सपायर वैक्सीन लेने से शरीर पर क्या असर पड़ सकता है?
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बाएं से दाएं. कन्याकुमारी में Covaxin का पहला डोज लेती एक छात्रा और वक्सीन की एक्सपायरी डेट पर चिंता जताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा फोटो. (फोटो: PTI/Twitter)
"मेरा बेटा वैक्सीन का पहला डोज लगवाने गया. बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत आज से हुई है. मैंने पाया कि वैक्सीन तो नवंबर में ही एक्सपायर हो चुकी है. लेकिन फिर एक लेटर दिखाया गया. इसमें ऐसा दिखाया गया कि वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ा दी गई है! आखिर कैसे, क्यों, किस आधार पर? स्टॉक क्लियर करने के लिए आप बच्चों पर प्रयोग करेंगे?"
नवनीता का ये ट्वीट बहुत तेजी से वायरल हुआ. इसके साथ ही कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का भी एक पुराना ट्वीट वायरल हुआ. नवंबर में किए गए इस ट्वीट में लिखा है,So my son went to get his first vaccine, the drive for kids begin today and realized that the vaccine had already expired in November. Then a letter was shown wherein it seems the shelf life has been extended!!How, why, on what basis?
To clear stock you experiment on kids? pic.twitter.com/259ZHDBMSN
— Navanita Varadpande (@VpNavanita) January 3, 2022
"CDSCO ने कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाकर 12 महीने करने की मंजूरी दे दी है. ये मंजूरी अतिरिक्त स्टेबिलिटी डेटा की उपलब्धता के बाद दी गई है, जिसे CDSCO के पास जमा किया गया था. शेल्फ लाइफ की बढ़ोतरी की जानकारी हमने अपने हितधारकों को दे दी है."
#COVAXIN
#COVID19
#BharatBiotech
pic.twitter.com/9oPnYnlgtC
— BharatBiotech (@BharatBiotech) November 3, 2021
कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच केंद्र सरकार की भी प्रतिक्रिया आ गई. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में इस तरह के दावों को गलत और भ्रामक बताया. मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि बच्चों को एक्सपायर कोवैक्सीन लगाए जाने के दावे अधूरी जानकारी पर आधारित हैं. आगे कहा गया कि पिछले साल नबंबर में ही कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की मंजूरी मिली थी और ये मंजूरी सभी प्रक्रियाओं के पूरे पालन के बाद दी गई थी.
मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा कि सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने कोवैक्सीन के स्टेबिलिटी डेटा का अध्ययन किया था. इसी तरीके से CDSCO ने पहले कोवीशील्ड की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की मंजूरी दी थी और अब कोवैक्सीन के साथ कुछ विशेष नहीं किया गया है. स्टेबिलिटी से मिलती है मंजूरी ये बात साफ है कि CDSCO ने पिछले साल नवंबर में ही कोवैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की अनुमति दे दी थी. गुजरात के गांधीनगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के डायरेक्टर दिलीप मावलंकर का कहना है वैक्सीन के अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन करके ऐसा किया जा सकता है. उन्होंने हमें बताया,
"एक वैक्सीन में मरा हुआ वायरस, प्रोटीन, कॉर्बोहाइड्रेट, प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले पदार्थ और कुछ और केमिकल होते हैं. समय बढ़ने के साथ-साथ इनमें रासायनिक अभिक्रिया होती है. जिससे एक समय सीमा के बाद वैक्सीन में वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा पैदा करने की क्षमता नहीं रहती. इसी समय सीमा को वैक्सीन की स्टेबिलिटी कहते हैं. इसी स्टेबिलिटी के डेटा से उसकी शेल्फ लाइफ निर्धारित की जाती है. कोविड की वैक्सीन अभी नई हैं. उनकी स्टेबिलिटी समय के बढ़ने के साथ-साथ ही पता चलेगी. इसी डेटा के आधार पर CDSCO ने उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने को मंजूरी दी होगी."विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा निर्देशों के मुताबिक, किसी वैक्सीन की स्टेबिलिटी निर्धारित करने के लिए अलग-अलग स्टेज पर अलग-अलग टेस्ट किए जाते हैं. स्टेबिलिटी डेटा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन को किस तापमान पर कितने समय तक स्टोर किया गया और इसमें किस तरह के एंटीजन का इस्तेमाल हुआ है. साथ ही साथ वैक्सीन को किस तरह से बनाया जा रहा है.

WHO के मुताबिक किसी वैक्सीन की स्टेबिलिटी निर्धारित करने के लिए अलग-अलग स्टेज पर अलग-अलग टेस्ट किए जाते हैं.
WHO के ही अनुसार, किसी वैक्सीन की स्टेबिलिटी निर्धारित करने के लिए मुख्य तौर पर तीन उद्देश्य होते हैं. पहला, उसकी शेल्फ लाइफ का पता लगाना. दूसरा, पोस्ट लाइसेंस पीरियड यानी की मार्केट में पहुंचने के बाद वैक्सीन कितनी प्रभावी रहेगी. और तीसरा ये पता लगाना कि किसी वैक्सीन को आखिर कितने अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है. एक्सपायरी के बाद भी सुरक्षित किसी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ निर्धारित करने के बारे में देश के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील ने भी जानकारी दी थी. उन्होंने मीडिया को बताया था,
"किसी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ उसे अलग-अलग तापमान पर अलग-अलग समयावधि में रखकर और फिर उसके प्रभाव को जांचकर निर्धारित की जाती है. ये देखा जाता है कि वैक्सीन के प्रभाव में कब और कितनी कमी आ रही है. जिसके बाद एक एक्सपायरी डेट का निर्धारण होता है."डॉक्टर जमील ने ये भी बताया था कि शेल्फ लाइफ निर्धारित करने के लिए, वैक्सीन के प्रभाव की जांच ज्यादातर चूहों पर की जाती है. उन्होंने बताया कि एक्सपायरी डेट का मतलब होता है कि एक समय के बाद वैक्सीन प्रतिरक्षा पैदा नहीं करेगी. ये भी हो सकता है कि एक्सपायरी डेट के बाद वैक्सीन पहले से बहुत कम क्षमता के साथ काम करती रहे. इसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एक्सपायरी डेट के बाद भले ही वैक्सीन प्रतिरक्षा ना पैदा करे, लेकिन ये असुरक्षित नहीं होती.

WHO के अनुसार, एक्सपायर होने के बाद भले ही वैक्सीन प्रतिरक्षा उत्पन्न ना करे, लेकिन असुरक्षित नहीं होती. (प्रतीकात्मक तस्वीर: इंडिया टुडे)
दूसरी तरफ WHO के दिशा निर्देश ये भी कहते हैं सिर्फ उन वैक्सीनों की ही शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सकती है, जिनकी ना तो लेबलिंग हुई हो और ना ही उन्हें डिस्ट्रीब्यूट किया गया हो. ऐसे में एक्सपायर हो चुकीं या फिर एक्सपायर डेट के करीब पहुंच चुकीं वैक्सीन की शेल्फ लाइफ नहीं बढ़ाई जा सकती. री-लेबलिंग पर सवाल ये भी खबर आई कि भारत बॉयोटेक ने अपनी उन कोवैक्सीन को वापस से लेबल करना शुरू कर दिया है, जिन्हें प्रयोग नहीं किया गया था. इंडिया टुडे से जुड़ीं मिलन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा प्रयोग में नहीं लाई गई इन कोवैक्सीन की एक्सपायरी डेट को अपडेट करने के लिए किया जा रहा है.
इस बीच सोशल मीडिया पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि आखिर भारत बॉयोटेक ऐसा कैसे कर सकता है. मसलन, एमजे हेगड़े ने ट्वीट किया,
"आप वैक्सीन के एक्सपायर हो चुके बैच को इस तरह से वापस लाकर दोबारा लेबल नहीं कर सकते, जैसा कि भारत बॉयोटेक की तरफ से फिलहाल किया जा रहा है. बिना ये बताए हुए कि री-लेबलिंग से पहले और बाद में प्रोडक्ट की गुणवत्ता को किस तरह से सुनिश्चित करेंगे. इसके संबंध में सफाई दी जानी चाहिए."
You also cannot just recall the expired batches & re-label it with new expiry dates (like Bharat Biotech is doing now) without explaining how you plan to ensure quality of product before and after re-labelling. This needs clarification! https://t.co/Xxals4OZm1
— MJ Hegde (@mjhegde) January 3, 2022
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इस पॉइंट पर अभी तक ना तो सरकार की तरफ से और ना ही भारत बॉयोटेक की तरफ से कोई सफाई है. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और वैक्सीनेशन अभियान को करीब से देख रहे डॉक्टर देवराज राव का मानना है कि अगर CDSCO ने एक बार किसी वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की मंजूरी दे दी है, तो लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने हमें बताया कि CDSCO की तरफ से शेल्फ लाइफ बढ़ाने की मंजूरी स्टेबिलिटी डेटा के समुचित अध्ययन के बाद ही दी जाती है और ऐसी वैक्सीन ठीक तरीके से ही काम करती हैं.