अंकिता की मां का फूटा गुस्सा - "रात में अंतिम संस्कार क्यों? बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया"
"रात में मेरी बेटी का अंतिम संस्कार करने की क्या जल्दी थी?"
अंकिता भंडारी की मां ने गुहार लगाई है कि अगर उनकी बेटी के हत्यारों को फांसी नहीं दी जा सकती तो उन्हें जिंदा जला दिया जाए. मां ने दावा किया है कि उनको आखिरी बार अपनी बेटी का चेहरा तक देखने नहीं दिया गया. हत्या के बाद से अंकिता की मां सोनी देवी (Ankita Bhandari Mother Soni Devi) का रो-रो कर बुरा हाल है.
अंकिता की मां ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कहा,
“उन्होंने एक मां के साथ अन्याय किया है. रात में मेरी बेटी का अंतिम संस्कार करने की क्या जल्दी थी? वो एक दिन और इंतजार क्यों नहीं कर सकते थे?”
सोनी देवी ने बताया कि अंकिता को अस्पताल में रखा गया था और उन्हें अपनी बेटी के अंतिम संस्कार के बारे में तब पता चला जब उन्हें श्मशान घाट जाने के लिए कहा गया. बताया जा रहा है कि परिवार ने अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने तक अंकिता का अंतिम संस्कार करने से मना किया था.
उन्होंने कहा,
“जो मुझ पर बीत रही है वो कभी दूसरी मां पर ना बीते. आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी होनी चाहिए. उनको फांसी नहीं दे सकते तो जिंदा जला दो तभी मुझे और मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी. मेरी बेटी का अंतिम संस्कार किया और मुझे बताया तक नहीं गया.”
बता दें अंकिता बीते 18-19 सितंबर से गायब थी. छह दिन बाद 24 सितंबर की सुबह पुलिस को अंकिता की डेडबॉडी चिल्ला पावर हाउस के पास नहर से मिली. अंकिता यमकेश्वर के एक प्राइवेट रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी. हत्या के आरोप में रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलकित आर्या पूर्व राज्य मंत्री भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है.
आरोप हैं कि पुलकित ने बार-बार अंकिता पर दबाव बनाया, उसे बार-बार होटल के गेस्ट को स्पा सर्विस देने के लिए कहा जाता रहा. उसे कथित तौर पर नौकरी से निकाले जाने की धमकी दी जाने लगी. इन्हीं बातों को लेकर अंकिता और पुलकित में विवाद हुआ. आरोप है कि विवाद के बाद अंकिता को नहर में धक्का देकर उसे मार डाला गया.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया है.
अंकिता के पिता ने कहा- जब तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं, तब तक अंतिम संस्कार नहीं