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BBMC ने किस बात का हवाला देते हुए बेंगलुरू में रामनवमी पर मीट बैन लगा दिया?

राम नवमी के मौके पर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में सभी मीट की दुकानों और बूचड़खाने बंद रहेंगे. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब मीट की दुकानों को बंद किया गया है. सलभर में अलग-अलग मौकों पर करीब आठ दिनों तक मीट की दुकाने बंद रहती हैं.

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Karnataka Meat ban
मीट शॉप की एक सांकेतिक फोटो (इंडिया टुडे)
9 अप्रैल 2022 (Updated: 9 अप्रैल 2022, 23:00 IST)
Updated: 9 अप्रैल 2022 23:00 IST
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बेंगलुरू (Bengaluru) नगर पालिका ने राम नवमी (Ram Navami) के मौके पर पूरे शहर में मीट बैन (Meat Ban) की घोषणा की है. साथ ही बूचड़खानों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है. दरअसल, ये फैसला बीबीएमसी के मुख्य आयुक्त गौरव गुप्ता के 3 अप्रैल वाले सर्कुलर के आधार पर लिया गया है. मीट बैन पर एक अधिकारी का कहना है कि हर साल राम नवमी, गांधी जयंती और शहीद दिवस पर इस तरह का कदम उठाया जाता है. बेंगलुरू के अलावा दिल्ली और यूपी के कुछ शहरों में भी नवरात्रों के दौरान मीट बैन का ऐलान किया गया है.

बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका (Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike) के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने 8 अप्रैल को एक आदेश में कहा,

"10 अप्रैल को श्रीरामनवमी के अवसर पर कसाई घरों और मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा."

दिल्ली में भी मीट बैन

इससे पहले 5 अप्रैल को दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यन ने ये कहते हुए मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया था कि नवरात्रों के दौरान ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन नहीं करते हैं. साथ ही ये भी कहा था कि अगर कोई मीट की दुकान खुली, तो उसके खिलाफ गंभीर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि इस मामले में नगर निकायों की ओर से कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था. आपको बता दें कि मेयर के पास इस तरह के आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है. इस तरह के फैसले लेने का अधिकार सिर्फ नगर आयुक्त के पास ही है.

मेयर के इस आदेश पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान ने 7 अप्रैल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इस नोटिस में कहा गया था कि मेयर अपने आप में एक कानून के रूप में काम कर रहे हैं. वो जिस तरह के आदेश दे रहे हैं, वो संविधान के खिलाफ है. वहीं गाजियाबाद नगर निगम ने भी नवरात्रि के अवसर पर ऐसा ही आदेश जारी किया था, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद उस आदेश को वापस ले लिया गया था.

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