The Lallantop
Advertisement

अकबर शेर-शेरनी सीता विवाद अभी भी न निपटा, इस सरकार ने तो IFS अफसर की नौकरी ले ली, क्यों?

Calcutta High Court ने West Bengal सरकार को शेर और शेरनी के नाम बदलने का आदेश दिया था. अब इस मामले पर Tripura से अपडेट आया है. इस IFS अफसर की गलती क्या थी?

Advertisement
akbar sita lions name tripura government suspends official
त्रिपुरा सरकार ने शेर-शेरनी के नामकरण मामले में अधिकारी को किया सस्पेंड. (फोटो - आजतक)
font-size
Small
Medium
Large
26 फ़रवरी 2024 (Updated: 26 फ़रवरी 2024, 14:09 IST)
Updated: 26 फ़रवरी 2024 14:09 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखने पर हो रहे बवाल का तो आपका पता होगा. अब इसमें एक और अपडेट आया है. त्रिपुरा सरकार (Tripura Government) ने राज्य के प्रमुख वन संरक्षक प्रबीन लाल अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया है. दरअसल, ये शेर और शेरनी त्रिपुरा से ही पश्चिम बंगाल के चिड़ियाघर में शिफ्ट किए गए थे. लेकिन, IFS अफसर की नौकरी जाने की वजह दूसरी है, क्या है आपको आगे बताते हैं (Top forest officer suspended for naming lion pair Akbar and Sita).

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के मुताबिक़, शेर और शेरनी को एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 12 फ़रवरी को त्रिपुरा के सेपाहीजाला चिड़ियाघर से सिलीगुड़ी के ‘उत्तर बंगाल वाइल्ड एनिमल पार्क’ भेजा गया था. 1994 बैच के IFS अधिकारी प्रबीन लाल अग्रवाल उस समय त्रिपुरा के मुख्य वन्यजीव वार्डन के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने जोड़े को सिलीगुड़ी भेजते समय डिस्पैच रजिस्टर में उनका नाम अकबर और सीता दर्ज किया था.

Akbar-Sita पर VHP ने कोर्ट में क्या कहा?

इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 21 फ़रवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दर्ज की थी. VHP ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया था. उसका आरोप था कि धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा है. VHP का कहना था कि अकबर मुगल शासक था और सीता हिंदुओं के लिए पूजनीय. VHP ने दोनों का नाम बदलने और अलग-अलग रखने की मांग की थी. मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने नाम बदलने का आदेश दिया था. कोर्ट ने विवाद शांत करने के लिए शेर और शेरनी को कोई दूसरा नाम देने की बात कही थी.

ये भी पढ़ें - UN पहुंची 'भारत' और 'India' नाम की बहस!

Bengal सरकार का जवाब

पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कोर्ट में बताया गया था कि शेर और शेरनी को त्रिपुरा के चिड़ियाघर से लाया गया था. बंगाल सरकार ने इन जानवरों के नाम नहीं रखे थे. राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि पश्चिम बंगाल में शिफ्ट करने से पहले ही दोनों जानवरों के नाम रखे जा चुके थे. वहीं, वन विभाग के अधिकारियों ने भी कहा था कि उन्होंने शेर और शेरनी का नाम नहीं बदला था. हाई कोर्ट के कहे जाने के बाद राज्य सरकार शेर और शेरनी के नाम को बदलने पर राजी हो गई थी.

वीडियो: ग्राउंड रिपोर्ट : पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में लाशें गिरने की असली वजह

thumbnail

Advertisement

Advertisement