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शरद पवार बोले- PM ने की थी गठबंधन की पेशकश, मैंने ठुकरा दी

शरद पवार ने ऐसी कई बातों पर चर्चा की जिन्हें लेकर कयास लगते रहे

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शरद पवार (बाएं) और पीएम मोदी की मुलाकात की फाइल फोटो
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30 दिसंबर 2021 (Updated: 30 दिसंबर 2021, 06:43 IST)
Updated: 30 दिसंबर 2021 06:43 IST
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शरद पवार. NCP यानी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के मुखिया. उनका कहना है कि 2019 में हुए महाराष्ट्र चुनाव के बाद BJP उनकी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर उत्सुक थी. लेकिन वह गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. पवार ने कहा कि उन्होंने BJP-NCP के गठबंधन को लेकर पीएम मोदी से कह दिया था कि यह संभव नहीं है. बुधवार, 29 दिसंबर को पवार ने ये बात द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एक कार्यक्रम में कही. पवार ने कहा,
यह सच है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हुई थी. प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें इसके बारे में सोचना चाहिए... हालांकि, मैंने उनसे उनके कार्यालय में ही कहा था कि यह संभव नहीं है और मैं उन्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहूंगा.
पवार ने अपनी 50 साल से अधिक की राजनीतिक और सामाजिक यात्रा के बारे में बात की. महाराष्ट्र चुनाव के बाद की घटनाओं को याद करते हुए पवार ने कहा कि उन्होंने एक “शरारती” बयान दिया था कि राकांपा भाजपा को समर्थन देने पर गंभीरता से विचार कर रही थी. उन्होंने कहा,
इससे शायद शिवसेना के मन में संदेह पैदा हो गया, जिसने कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन के लिए कदम बढ़ाया था.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अपने भतीजे अजीत पवार को भाजपा नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए भेजा था, पवार ने कहा,
अगर मैंने अजीत पवार को भाजपा में भेजा होता, तो मैंने उस काम को अधूरा नहीं छोड़ा होता.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने राकांपा के साथ गठजोड़ पर विचार किया होगा, क्योंकि उस समय राकांपा और कांग्रेस के बीच संबंध तनावपूर्ण थे. उन्होंने कहा,
चूंकि हम साथ नहीं चल रहे थे, इसलिए बीजेपी ने हमारे साथ गठबंधन के बारे में सोचा होगा.
महाराष्ट्र में 2019 के चुनावों में, भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन किया था, जबकि कांग्रेस और राकांपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी, क्योंकि मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना के साथ उसका गठबंधन टूट गया था. भाजपा ने तब राकांपा के एक वर्ग का समर्थन हासिल करने की कोशिश की और यहां तक कि फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई, जिसमें अजीत पवार डिप्टी सीएम थे, लेकिन यह व्यवस्था मुश्किल से कुछ घंटों तक चली. आखिरकार, शिवसेना ने खेमा बदल लिया और राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. पवार ने कहा,
उद्धव ठाकरे ने एक अलग रुख अपनाया, क्योंकि उनके और भाजपा के बीच जो फैसला हुआ था, उसे लागू नहीं किया जा रहा था. ऐसे में राकांपा ने दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के लिए शिवसेना का समर्थन किया.
बालासाहेब ठाकरे के साथ अपने संबंधों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा,
बालासाहेब (ठाकरे) मेरे खिलाफ सबसे अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करने में कभी नहीं झिझके... हम हमेशा दोस्त बने रहे, सहयोग किया और अक्सर राज्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा की.
यूपी चुनाव पर क्या बोले? यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा,
यह 50-50 है. कोई स्पष्ट विजेता नहीं है. जिस तरह से प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश गए और कई परियोजनाओं की घोषणा की, उससे पता चलता है कि भाजपा ने राज्य में स्थिति को गंभीरता से लिया है.
पवार के अनुसार, यूपी और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के चुनावी फैसले राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा,
मोदी ने वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़कर सही काम किया... उनके फैसले के कारण, उत्तर प्रदेश के लोग उनके पीछे खड़े हो गए... मैंने 14 चुनाव लड़े, जिनमें से सात लोकसभा चुनाव थे, लेकिन मैंने कभी भी राज्य के बाहर चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोचा.
मोदी की तारीफ की पीएम मोदी की तारीफ करते हुए शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी कोई भी काम करते हैं तो उसे पूरा करना सुनिश्चित करते हैं. मोदी कोशिश करते हैं और काम पूरा करने के लिए पर्याप्त समय देते हैं. शरद पवार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह "प्रतिशोध की राजनीति" के खिलाफ थे. हालांकि गुजरात का सीएम रहते मोदी "मनमोहन सिंह सरकार के गंभीर आलोचक थे. पवार ने कहा, "इससे दिल्ली और गुजरात के बीच की दूरी बढ़ गई थी. मेरे अलावा और कोई नहीं था जो मोदी से बातचीत के लिए तैयार था." उनके अनुसार, मनमोहन सिंह ने "मेरे तर्कों को स्वीकार कर लिया कि हमें राज्य के विकास के रास्ते में राजनीतिक मतभेदों को नहीं आने देना चाहिए."

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