पेगासस खुलासे पर मोदी सरकार पर कांग्रेस का हमला, कहा- देशद्रोह है ये
मोदी सरकार द्वारा 2 बिलियन डॉलर की डील में इजरायल से पेगासस खरीदने का खुलासा हुआ है.
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जुलाई 2021. संसद का मानसून सत्र शुरू होने में कुछ ही घंटे बचे थे. और एक खबर ने भारत के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी. बवाल ऐसा मचा कि पूरा संसद का सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस खबर ने हंगामा खड़ा कर दिया. वो खबर पेगासस के बारे में थी. पेगासस यानी जासूसी करने वाला एक सॉफ्टवेयर. अब एक बार फिर से पेगासस का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया है कि भारत सरकार ने रक्षा सौदे के तौर पर इजराइली कंपनी से पेगासस खरीदा था. इस खबर के सामने आते ही कांग्रेस ने मोदी सरकार को निशाने पर ले लिया है. राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है.
क्या खुलासा हुआ?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने करीब एक साल तक अपनी जांच पड़ताल की. फिर 28 जनवरी को एक रिपोर्ट छापी. रिपोर्ट में कई जरूरी बातों के साथ ये भी बताया गया है कि भारत सरकार ने 2017 में इज़रायल से 2 बिलियन डॉलर की एक डिफेंस डील की थी. और इसी सौदे में जासूसी करने वाला सॉफ्टवेयर पेगासस भी खरीदा गया. ये डील तब हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इज़रायल के दौरे पर गए थे. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा,
"जुलाई 2017 में नरेंद्र मोदी इज़राइल जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने. दशकों तक, भारत ने "फिलिस्तीन के प्रति प्रतिबद्धता" की नीति को बनाए रखा और इज़राइल के साथ सामान्य या कहें तो संबंध ठंडे थे. लेकिन मोदी की यात्रा में एक अलग दोस्ताना अंदाज दिखा. मोदी और इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की समंदर किनारे नंगे पांव चलने की तस्वीर सामने आई. इस गर्मजोशी के कारण भी थे. दोनों देशों के बीच लगभग 2 बिलियन डॉलर के सोफेस्टिकेडट हथियारों और खुफिया गियर के सौदे पर सहमति बनी थी. जिसमें पेगासस और एक मिसाइल सिस्टम शामिल था."रिपोर्ट में यह भी लिखा गया कि दो साल बाद इजरायल के प्रधानमंत्री भी भारत आए. उन्होंने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल और फिलिस्तीन के टकराव के एक मुद्दे पर इजरायल के समर्थन में वोट किया. विपक्ष हमलावर खबर सामने आने के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेस कर सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र का दुरुपयोग किया है. राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला है. राहुल गांधी ने लिखा,
"मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था. फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है. ये देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है."
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र को हाईजैक कर लिया. शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सवाल उठाए. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "भारत के टैक्सपेयर्स का पैसा जासूसी करने में प्रयोग किया गया. लोगों की मेहनत की कमाई का प्रयोग देश बो बिग बॉस का स्टू़डियो बनाने के लिए किया गया ताकि अपने ही देश के लोगों की जासूसी की जा सके. इस टेक्नॉलजी का प्रयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता था कि दूसरे देश हमारी जमीन पर कब्जा ना जमा पाएं."मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है।
मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है। pic.twitter.com/OnZI9KU1gp — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2022
Indian taxpayers money used for snoop and surveilling Indians! Hard earned money used to turn the country into one massive big boss studio just to monitor its own countrymen. This tech could have been used to ensure neighbouring nations do not occupy our territory but alas! https://t.co/q0OYTIdfDE — Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) January 29, 2022इससे पहले 18 जुलाई 2021 को दुनिया के 17 अखबारों-पोर्टल्स पर पेगासस को लेकर एक प्रोजेक्ट ते तहत खबरें छापी गईं. सामने आया कि इज़रायल में सर्विलांस का काम करने वाली निजी कंपनी के डेटाबेस में दुनिया के हज़ारों लोगों के मोबाइल नंबर मिले हैं. इज़रायल की इस कंपनी का नाम NSO ग्रुप है और इसके जासूसी करने वाले स्पाईवेयर का नाम पेगासस है. पता चला कि पेगासस का डेटाबेस लीक हुआ और सबसे पहले फ्रांस की नॉनप्रॉफिट मीडिया कंपनी- फॉरबिडन स्टोरीज़ और मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिला. इन दोनों ने ये डेटा दुनिया के 17 मीडिया हाउस के साथ शेयर किया. जिसमें द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रतिष्ठित अखबार शामिल हैं. भारत में ये डेटा द वायर को मिला. इस पूरे अभियान को पेगासस प्रोजेक्ट का नाम दिया गया. भारत से लिस्ट में किनके नंबर हैं? पेगासस प्रोजेक्ट में शामिल द वायर के मुताबिक डेटाबेस में भारत से 300 मोबाइल नंबर थे. इसमें 40 पत्रकार हैं. 3 बड़े विपक्षी नेता हैं. दो नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी शामिल हैं, एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति और कई सिक्योरिटी एजेंसी के अधिकारी भी. कुछ कारोबारियों का नाम भी शामिल है. सबसे बड़ा नाम राहुल गांधी का आया. वायर के मुताबिक राहुल गांधी के दो मोबाइल नंबर पेगासस के संभावित टारगेट रहे. वायर के मुताबिक, राहुल गांधी के नंबर को 2018 के मध्य से 2019 के मध्य तक टारगेट की लिस्ट में रखा गया था. अप्रैल-मई 2019 में देश में लोकसभा के चुनाव हुए थे. रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के 5 दोस्तों और करीबियों के नंबर भी लिस्ट में हैं. इनमें से दो नाम अलंकार सवाई और सचिन राव के हैं. सचिन राव कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं. अलंकार सवाई राहुल गांधी के दफ्तर में काम करते हैं और ज्यादातर वक्त राहुल के साथ ही रहते हैं, ऐसा वायर का दावा है. पेगासस का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. कोर्ट ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर हर बार छूट नहीं पा सकती है. ऐसा कहते हुए कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया. दूसरी तरफ, अभी तक ना तो भारत सरकार और ना ही इजरायल की सरकार ने पेगासस के खरीद-फरोख्त की बात स्वीकारी है.