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पाकिस्तान में जारी सियासी हलचल के बीच सेना ने क्या कहकर सबको चौंका दिया?

इमरान के विपक्षियों ने पाकिस्तान की संसद पर कब्जा कर लिया है.

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बाएं से दाहिने. पाकिस्तान सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान. (फोटो- आजतक और PTI)
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3 अप्रैल 2022 (Updated: 3 अप्रैल 2022, 11:17 IST)
Updated: 3 अप्रैल 2022 11:17 IST
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पाकिस्तान में जारी सियासी उठापटक के बीच देश की सेना का बयान आ गया है. पाक सेना ने खुद को इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम से अलग कर लिया है. सेना की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है,
"आज जो हुआ वो एक राजनीतिक प्रकिया है, पाकिस्तानी सेना का इससे कोई लेना देना नहीं है."
पाकिस्तान की राजनीति में सेना का दखल पूरी दुनिया बाखूबी जानती है. पाकिस्तान के हर राजनीतिक घटनाक्रम को पाक सेना के चश्मे से देखा जाता है. इसीलिए आज संसद में जब इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हुआ और राष्ट्रपति ने संसद भी खारिज दी, तो सभी की नज़रें पाकिस्तानी सेना के बयान पर टिकी थीं. लेकिन पाकिस्तानी सेना आज खुद को पूरी सियासत से अलग कर लिया. इससे पहले इमरान सरकार और पाक सेना के बीच टकराव की स्थिति कई दिनों से देखी जा रही थी. एक दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा के बयान सामने आए थे, जिनमें सीधा टकराव देखा गया. इमरान खान ने जहां सीधा अमेरिका पर हमला बोला, तो वहीं बाजवा ने कहा था कि अमेरिका से संबंध खराब नहीं किए जा सकते. विपक्ष का संसद पर कब्जा इधर दूसरी राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी, लेकिन संसद पर विपक्ष ने कब्जा कर लिया. विपक्ष ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के अयाज़ सादिक को अपना स्पीकर नियुक्त कर दिया. अयाज़ सादिक की अध्यक्षता में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग भी हुई. विपक्ष के मुताबिक,  195 वोट अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में पड़े. विपक्ष लगातार इमरान खान पर हमलावर है. पाकिस्तान में विपक्ष के नेता शाबाज़ शरीफ ने कहा,
"संसद में जो कुछ हुआ, वो देशद्रोह है. इमरान खान ने देश को अराजकता में धकेला है. संविधान का उल्लंघन किया है. सुप्रीम कोर्ट संविधान की रक्षा करेगा. इमरान को परिणाम भुगतने होंगे."
पाकिस्तान में हो रहे घटनाक्रम को लेकर अब सबकी नज़रें वहां के सुप्रीम कोर्ट पर हैं. खबर लिखे जाने तक संडे को छुट्टी के दिन भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कोर्ट पहुंच चुके थे. विपक्ष के वकील भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके थे. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के संसद के भंग करने के फैसले को भी स्वत: संज्ञान लिया है और विपक्ष ने स्पीकर के फैसले को चुनौती दे दी है.

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