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अयोध्या पर SC के फैसले के बाद दलितों की 'दान' की जमीनें अधिकारियों, MLA और उनके रिश्तेदारों ने खरीदीं

इनमें से कुछ अधिकारी तो जमीन खरीद में कथित अनियमितता की जांच में शामिल रहे.

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सांकेतिक तस्वीर-PTI
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22 दिसंबर 2021 (Updated: 22 दिसंबर 2021, 11:29 IST)
Updated: 22 दिसंबर 2021 11:29 IST
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सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या मसले पर अपना फैसला सुनाया था. इसके बाद राम मंदिर निर्माण को मंजूरी मिली. फरवरी 2020 में अपनी स्थापना के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण शुरू किया. वहीं कई प्राइवेट बिल्डर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स ने अयोध्या में जमीनें खरीदनी शुरू कीं. इनके अलावा सरकारी अधिकारी और उनके रिलेटिव ने भी जमीनें खरीदीं. अयोध्या में जमीन खरीदने वालों में स्थानीय विधायक, अयोध्या में सर्विस करने वाले नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार, स्थानीय राजस्व अधिकारी जो खुद जमीन के लेनदेन से जुड़े थे, उन्होंने भी यहां जमीनें खरीदीं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक, महापौर और राज्य ओबीसी आयोग के एक सदस्य ने अपने नाम पर जमीन खरीदी. इसके अलावा संभागीय आयुक्त, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, सीओ, राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों के नाम पर जमीनें खरीदी गईं. ऐसे 14 मामलों की जांच इंडियन एक्सप्रेस ने की है. पता चला कि इन अधिकारियों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर स्थल के 5 किमी के दायरे में जमीन खरीदी. इंडियन एक्सप्रेस ने लैंड रिकॉर्ड्स की जांच की, प्लॉट साइट का दौरा किया, अयोध्या में अधिकारियों और खरीदारों से बात की और ये लिस्ट तैयार की. 1. एमपी अग्रवाल (अयोध्या में नवंबर 2019 से डिविजनल कमिश्रर) एमपी अग्रवाल के ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT) से 31 लाख रुपये में 2,530 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में MRVT से ही 15.50 लाख रुपये में 1,260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. कंपनी के रिकॉर्ड बताते हैं कि कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स ऐंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं. क्या सफाई आई? एमपी अग्रवाल ने कहा कि उन्हें कुछ भी याद नहीं है. उन्होंने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. उनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने कहा,
हां, मैंने ये जमीन खरीदी है, क्योंकि मेरी सेवानिवृत्ति के बाद अयोध्या में रहने की योजना है. इसमें एमपी अग्रवाल की कोई भूमिका नहीं है.
2. पुरुषोत्तम दास गुप्ता (20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी रहे. अब गोरखपुर में एडीएम हैं.) उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमर जीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. MRVT से ये जमीन 21.88 लाख रुपये में खरीदी गई. क्या सफाई आई? पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने कहा कि MRVT के खिलाफ जांच में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्होंने अपने नाम पर कोई जमीन नहीं खरीदी. वहीं अतुल गुप्ता ने कहा,
मैंने जमीन इसलिए खरीदी क्योंकि ये सस्ती दर पर उपलब्ध थी. मैंने पुरुषोत्तम की मदद नहीं ली.
3. इंद्र प्रताप तिवारी विधायक, गोसाईगंज, अयोध्या विधायक इंद्र प्रताप तिवारी ने MRVT से 30 लाख रुपये में 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. 16 मार्च 2021 को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा माझा में 6320 वर्ग मीटर जमीन 47.40 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? राजेश मिश्रा ने कहा,
मैंने अपनी बचत से ये प्लाट खरीदा. इस जमीन की खरीद का विधायक से कोई लेना-देना नहीं है.
विधायक से जुड़े एक ट्रस्ट 'मान शारदा सेवा ट्रस्ट' ने 18 नवंबर, 2019 को 73.95 लाख रुपए में MRVT से बरहटा मांझा में 9,860 वर्ग मीटर जमीन की खरीद की थी. 4. दीपक कुमार, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (26 जुलाई, 2020 से 30 मार्च, 2021 के बीच, अब DIG अलीगढ़ हैं.) इनकी पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में MRVT से 1,020 वर्ग मीटर जमीन 19.75 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? दीपक कुमार ने कहा,
अयोध्या में मेरी पोस्टिंग के दौरान मेरे किसी रिश्तेदार ने कोई जमीन नहीं खरीदी. मैंने, मेरी पत्नी या मेरे पिता ने वहां किसी भी जमीन के लिए कोई पैसा नहीं दिया. मेरे साढ़ू (महिमा ठाकुर के पति) कुशीनगर से हैं और अब बेंगलुरु में रहते हैं. उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने कुशीनगर में अपनी जमीन बेचने के बाद अयोध्या में जमीन खरीदी है. इस जमीन खरीद में मेरी कोई भूमिका नहीं और ना ही इससे मेरा कोई लेना देना है.
5. उमाधर द्विवेदी (यूपी कैडर के रिटार्यड IAS अधिकारी, लखनऊ में रहते हैं.) उन्होंने MRVT से बरहटा मांझा में 23 अक्टूबर 2021 को 1,680 वर्ग मीटर जमीन 39.04 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? उमाधर द्विवेदी ने कहा,
मुझे नहीं पता कि उनके खिलाफ कोई मामला लंबित है या नहीं. इस सौदे के लिए मैंने जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं ली.
6. वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक (अयोध्या) विधायक के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर जमीन 1.15 करोड़ रुपए में रेणु सिंह और सीमा सोनी से खरीदी. 29 दिसंबर, 2020 को, उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. क्या सफाई आई? विधायक ने कहा,
मैंने विधायक के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान अयोध्या में जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी नहीं खरीदा, लेकिन अयोध्या के विधायक के रूप में, मैं देश भर के लोगों को अयोध्या में आने और जमीन खरीदने के लिए आमंत्रित करता रहता हूं.
वहीं तरुण मित्तल के पिता और वेद प्रकाश के भाई चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा,
हमारे पास प्लॉट पर एक गोशाला है. अभी लगभग 20 गायें हैं. महेशपुर में चार-पांच लोगों ने संयुक्त रूप से जमीन खरीदी है.
7. ऋषिकेश उपाध्याय, अयोध्या के मेयर मेयर ने अयोध्या फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर, 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. 9 जुलाई, 2018 को परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक के रूप में उन्होंने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर का अधिग्रहण किया. सरकारी रिकॉर्ड में जमीन की कीमत 1.01 करोड़ रुपए है. क्या सफाई आई? अयोध्या के मेयर ने कहा,
मैंने पहले अपनी जमीन बेची थी, बाद में इसे फिर से खरीदा (हरीश कुमार से). काजीपुर चितवन में जमीन की खरीद मेरे कॉलेज के लिए है जो वहां 2006 से चल रहा है.
8. आयुष चौधरी, पूर्व एसडीएम अयोध्या, अब कानपुर में तैनात 28 मई, 2020 को आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर जमीन 17.66 लाख रुपये में खरीदी. आशाराम नाम के शख्स से. शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने 28 नवंबर, 2019 को दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और ली. क्या सफाई आई? आयुष चौधरी का कहना है कि उनका रानी या उनकी संस्था से कोई संबंध नहीं है. जबकि रानी के पति राम जन्म वर्मा का कहना है कि आयुष मेरी पत्नी के चचेरे भाई हैं. हमने फाउंडेशन बनाया है. 9. अरविंद चौरसिया, पीपीएस अधिकारी, अब मेरठ में तैनात 21 जून 2021 को अरविंद चौरसिया के ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवारा उपरहार गांव में 126.48 वर्ग मीटर जमीन 4 लाख रुपये में खरीदी. 21 सितंबर 2021 को उनकी सास रंजना चौरसिया ने कारखाना में 279.73 वर्ग मीटर जमीन भागीरथी नाम के व्यक्ति से 20 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? अरविंद चौरसिया ने कहा,
'मेरे ससुर धार्मिक गतिविधियों से जुड़े हैं. वे अयोध्या में आश्रम बनाना चाहते हैं. मेरी सास जो एक शिक्षिका हैं, रिटायरमेंट के बाद दोनों वहीं बसना चाहते हैं.
10. हर्षवर्धन शाही, राज्य सूचना आयुक्त 18 नवंबर, 2021 को हर्षवर्धन शाही की पत्नी संगीता शाही और उनके बेटे सहर्ष कुमार शाही ने अयोध्या के सरायरासी मांझा में 929.85 वर्ग मीटर जमीन इंद्र प्रकाश सिंह से 15.82 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? हर्षवर्धन शाही ने कहा,
'मैं अयोध्या में रहना चाहता हूं. मैंने ये जमीन आवासीय उद्देश्यों के लिए खरीदी है. मैं वहां अपने परिवार के लिए एक घर बनाऊंगा.
11. बलराम मौर्य, सदस्य, राज्य ओबीसी आयोग बलराम मौर्य ने 28 फरवरी, 2020 को गोंडा के महेशपुर में जगदंबा और त्रिवेणी सिंह से 50 लाख रुपये में 9,375 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. क्या सफाई आई? मौर्य ने कहा,
इस जमीन के आसपास अन्य खरीददार जब बिल्डिंग बना लेंगे तो मैं इस जमीन पर होटल बनाऊंगा. उसके लिए मुझे बैंक से लोन भी लेना है.
12. बद्री उपाध्याय, गांजा गांव के लेखपाल (हाल ही में तबादला) 8 मार्च, 2021 को इनके पिता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने श्याम सुंदर से गांजा में 116 वर्ग मीटर जमीन 3.50 लाख रुपये में खरीदी. लेखपाल एक राजस्व अधिकारी होता है जो भूमि लेनदेन से जुड़ा होता है. क्या सफाई आई? बद्री उपाध्याय ने कहा,
इसमें हितों का टकराव जैसा कुछ भी नहीं है. मेरे पास पैसा है और मैं कहीं भी जमीन खरीद सकता हूं.
13. सुधांशु रंजन, गांजा गांव के कानूनगो (कानूनगो एक राजस्व अधिकारी है जो लेखपालों के काम की निगरानी करता है) 8 मार्च 2021 को रंजन की पत्नी अदिति श्रीवास्तव ने गांजा में 270 वर्ग मीटर जमीन 7.50 लाख रुपये में खरीदी. क्या सफाई आई? सुधांशु रंजन ने किसी भी खरीद से इनकार किया. उनकी पत्नी ने कहा,
सुधांशु मेरे पति हैं. आप उनसे इस जमीन के सौदे के बारे में बात कर सकते हैं.
14. दिनेश ओझा (पेशकर) सहायक अभिलेख अधिकारी भान सिंह, जो MRVT के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. 15 मार्च, 2021 को उनकी बेटी श्वेता ओझा ने तिहुरा मांझा में 2542 वर्ग मीटर जमीन खरीदी. ये गांव भी भान सिंह के दायरे में आता है. महराजदीन से 5 लाख रुपये में उन्होंने ये जमीन खरीदी थी. क्या सफाई आई? दिनेश ओझा ने कहा,
ये भूमि विवादित नहीं है और मेरे नाम पर नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जमीन लेन-देन के कुछ मामले हितों के टकराव से जुड़े हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को जमीन बेचने वाले महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT) पर आरोप है कि उसने कथित रूप से दलित गांव वालों से जमीन खरीद में समय अनियमितता बरती है. अखबार ने बताया है कि इस मामले की जांच उन्हीं अधिकारियों के जिम्मे थी जिनके रिश्तेदारों ने MRVT से जमीनें खरीदीं. इनमें कम से कम 4 खरीददार ऐसे हैं जिनका संबंध दलितों की जमीन खरीदने के मामले में कथित अनियमितता की जांच से जुड़े अधिकारियों से है. लेनदेन के इस नेटवर्क के केंद्र में है MRVT जिसकी स्थापना महेश योगी ने की थी. उसने 1990 के दशक की शुरुआत में राम मंदिर स्थल से 5 किमी से भी कम दूरी पर स्थित बरहटा मांझा गांव में बड़े पैमाने पर भूमि का अधिग्रहण किया. इसके अलावा अयोध्या में आसपास के कुछ अन्य गांवों की जमीन का भी अधिग्रहण किया. इसमें से लगभग 21 बीघा (लगभग 52,000 वर्ग मीटर) जमीन दलितों से खरीदी गई. वो भी कथित रूप से नियमों को ताक पर रखकर. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियम (2016 से और उससे पहले जमींदारी उन्मूलन अधिनियम) के तहत अगर कोई गैर दलित व्यक्ति दलित की खेती वाली जमीन खरीदता है तो उसके लिए जिला अधिकारी से मंजूरी लेनी होती थी. जिलाधिकारी ये देखते थे कि जमीन बेचने के बाद अनुसूचित जाति के व्यक्ति के पास 3.125 एकड़ से कम जमीन बचेगी या नहीं. यदि अनुसूचित जाति के पास इससे कम जमीन बच रही हो तो जिलाधिकारी उसे जमीन बेचने की अनुमति नहीं देते. आरोप है कि MRVT ने अपने एक दलित कर्मचारी की मदद से 1992 में लगभग एक दर्जन दलित ग्रामीणों से जमीन खरीद ली. इन दलितों में से एक थे महादेव. रिकॉर्ड के मुताबिक उन्हें 3 बीघा जमीन के बदले 1.02 लाख रुपये मिले. डॉक्युमेंट कहते हैं कि उन्होंने 'दान' में जमीन दे दी. सितंबर 2019 में जब MRVT ने अपने दलित कर्मचारी रोंघई के माध्यम से खरीदी गई भूमि को बेचना शुरू किया, तो महादेव ने राजस्व बोर्ड से शिकायत की कि उनकी भूमि को 'अवैध रूप से' ट्रांसफर कर दिया गया है. बाद में उनकी शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दिए गए थे.

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