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कोरोना के केस बढ़े तो ICMR ने कहा, 'कोरोना मरीज़ के संपर्क में आ गए तो टेस्ट की ज़रूरत नहीं'

ICMR ने कहा, "जब लक्षण हों, तभी करवाएं टेस्ट," अब डॉक्टर लोग चिंता में.

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सांकेतिक फोटो (साभार: इंडिया टुडे)
11 जनवरी 2022 (Updated: 10 जनवरी 2022, 04:16 IST)
Updated: 10 जनवरी 2022 04:16 IST
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कोविड-19 और ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच सोमवार 10 जनवरी को ICMR ने नई गाइडलाइन जारी की है. ICMR के मुताबिक अब हर किसी को कोरोना मरीज के संपर्क में आने के बाद कोविड टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. मरीज के संपर्क में आए सिर्फ उन लोगों को टेस्ट करवाना होगा जो बुजुर्ग हैं या किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. ICMR ने इन लोगों को ज्यादा जोखिम वाली कैटेगरी में रखा है. केवल हाई रिस्क वाले मरीज कराएं जांच ICMR के ताजा नियमों के मुताबिक सिर्फ कुछ लोगों को ही कोविड जांच कराने की जरूर है. इनमें वे व्यक्ति शामिल हैं जिनकों खांसी, बुखार, गले में खराश या सांस लेने में तकलीफ जैसे दिक्कत महसूस हो रही है या 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग या हाई बीपी, डायबीटीज़, किडनी या फेफड़ों में इन्फेक्शन से जूझ रहें लोग अगर कोविड मरीज के संपर्क में आते हैं. साथ ही वे नागरिक, जो विदेश यात्रा के लिए बाहर जाने वाले हों और जो विदेश यात्रा से लौटे हों, उनको कोविड का टेस्ट करवाने की जरूरत है. इसके साथ ही अस्पतालों में सर्जरी के लिए भर्ती मरीज और प्रसव के लिए आई गर्भवती महिलाओं को भी टेस्टिंग की जरूरत नहीं है. जांच ना होने पर इमरजेंसी सेवाओं में न हो देरी ICMR ने ये भी कहा कि सर्जिकल या गैर-सर्जिकल इनवेसिव प्रक्रियाओं से गुजरने वाले मरीज, या प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिलाओं की कोरोना टेस्टिंग तब तक नहीं की जानी चाहिए जब तक उनमें लक्षण न दिखाई दें. जांच ना होने के कारण सर्जरी सहित किसी भी इमरजेंसी प्रक्रिया में देर नहीं होनी चाहिए. साथ ही जांच सुविधाओं के अभाव में मरीजों को कहीं और रेफर नहीं किया जाए. कोविड मरीज के संपर्क में आने वाले वे व्यक्ति जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और कोविड से रिकवर होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए लोगों को कोविड टेस्टिंग की जरूरत नहीं है. साथ ही एक राज्य से दूसरे में यात्रा करने वाले व्यक्तियों को भी कोविड टेस्ट करने की जरूरत नहीं है. इन माध्यमों से किया जा सकता है टेस्ट ICMR ने गाइडलाइंस में बताया इसमें कि कोविड की जांच RT-PCR, TrueNat, CBNAAT, CRISPR, RT-LAMP, रैपिड मॉलिक्यूलर टेस्टिंग सिस्टम या रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) के माध्यम से की जाए. लेकिन इस बात पर गौर करें कि अगर आपमें लक्षण दिखते हैं, और घर पर टेस्ट करने से आपकी रिपोर्ट नेगेटिव आई हो तो RT-PCR टेस्ट जरूर करा लें. विशेषज्ञों का क्या कहना है? इंडिया टुडे की स्नेहा मोरदानी के मुताबिक कोविड टेस्टिंग के लिए जारी की गई नई गाइडलाइंस पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की मिलिजुली प्रतिक्रिया आ रही है. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ चंद्रकांत लहारिया ने इंडिया टुडे को बताया,
"टेस्टिंग के नए नियमों को लागू करने से हल्के या बिना लक्षण वाले लोगों का टेस्ट ना करने से मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव कम होगा और कोविड मरीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा. हालांकि ये बढ़ते संक्रमण से निपटने के लिए कोई बढ़िया तरीका नहीं है लेकिन फिर भी महामारी के इस दौर में काफी कारगर साबित हो सकता है."
वहीं इंकलूव लैब की संस्थापक डॉ सोनाली वैद समेत कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह से स्वस्थ लोगों को टेस्ट ना करवाने के लिए कहना एक बड़ी भूल साबित हो सकती है. कोविड मरीज के संपर्क में आया एक स्वस्थ व्यक्ति कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को संक्रमित कर सकता है. टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाने के बजाय लोगों को टेस्ट ना करवाने के लिए कहना ठीक नहीं है.

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