रक्षा बजट में 47000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर सरकार क्या करना चाहती है?
रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने की कोशिश.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार 1 फरवरी को बजट पेश किया. इसमें उन्होंने रक्षा क्षेत्र के लिए भी कई घोषणाएं की हैं. चीन से सीमा पर बढ़ रहे तनाव के मद्देनजर रक्षा बजट में बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया गया था, जो सही साबित हुआ है. इस साल रक्षा बजट में 2021-22 के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वित्त मंत्री ने बताया कि 2022-23 के लिए कुल रक्षा बजट करीब 5.25 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. जबकि पिछले वित्त वर्ष (2021-22) का कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये का था. इस तरह रक्षा बजट में कुल 47 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है.
प्राइवेट इंटस्ट्री को बढ़ावा देने की कोशिश
वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि सरकार का इरादा डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) में प्राइवेट इंटस्ट्री को बढ़ावा देने का है. इसलिए पहली बार रक्षा बजट में R&D का 25 फीसदी हिस्सा स्टार्ट-अप, स्वदेशी इंडस्ट्री और शिक्षा के लिए रखा जाएगा. वहीं 2022-23 में बजट का 68 पर्सेंट हिस्सा घरेलू रक्षा कंपनियों से हथियार खरीदने में इस्तेमाल होगा. इससे पहले 2021-22 में 58 फीसदी बजट घरेलू खरीद के लिए रखा गया था. वित्त मंत्री ने बताया,
एक नोडल एजेंसी का गठन किया जाएगा जो टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की जरूरतों को पूरा करेगी. प्राइवेट इंडस्ट्री डीआरडीओ (DRDO) और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकेंगी. रक्षा बजट में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फार द वर्ल्ड’ पर जोर देने का काम किया गया है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), ड्रोन, सेमीकंडक्टर, ग्रीन एनर्जी, स्पेस एनर्जी आदि में सतत विकास में सहायता करने की अपार संभावनाएं हैं.
68% of the capital procurement budget for Defence to be earmarked for domestic industry to promote Aatmanirbharta and reduce dependence on imports of defence equipment. This is up from the 58% last fiscal: FM Nirmala Sitharaman#Budget2022 pic.twitter.com/pQJm3ymlQE
— ANI (@ANI) February 1, 2022
तीनों सेनाओं में किसे मिला कितना बजट?
इस साल के पूंजीगत व्यय में थलसेना को 32,015 करोड़, नौसेना को 47,590 करोड़ और वायुसेना को 55,586 करोड़ रुपये मिले हैं. वहीं रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 11,981 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इस साल रक्षा बजट में 2.33 लाख करोड़ रुपये रेवेन्यू एक्सपेंडिचर यानी राजस्व व्यय के लिए मिले हैं. जबकि पिछले साल रेवेन्यू एक्सपेंडिचर करीब 2.27 लाख करोड़ रुपये का था. बजट में रक्षा मंत्रालय के सिविल-विभाग के लिए 21,100 करोड़ आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा डिफेंस पेंशन के लिए करीब 1.20 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
आयात घटाकर 'आत्मनिर्भरता' पर जोर
वित्त मंत्री ने बजट के दौरान डिफेंस सेक्टर में 'आत्मनिर्भर' होने की बात कही. इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए डिफेंस प्रोक्योरमेंट में घरेलू कंपनियों के लिए 68 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. भारत लगातार अपना रक्षा आयात कम करने और रक्षा निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रहा है. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 में एक सवाल के जवाब में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 2014-15 में 1,940.64 करोड़ रुपये का डिफेंस एक्सपोर्ट किया था, जो बढ़कर 8,434.34 करोड़ रुपये हो गया है.
भारत ने 2025 तक 35 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण का निर्यात करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही घरेलू रक्षा उद्योग का टर्नओवर 1.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का भी लक्ष्य है. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने आयात को कम करने के लिए 2,851 कंपोनेंट्स के इम्पोर्ट को रोकने का फैसला भी लिया है. इससे हर साल 3 हजार करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है.
रक्षा मंत्री ने आम बजट को बताया 'एक्सीलेंट मूव'
वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने आम बजट को 'एक्सीलेंट मूव' बताया. बजट की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, 'ये आम बजट एक 'एक्सीलेंट मूव' है. ये 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए है और इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. ये वोकल फॉर लोकल पुश के अनुरूप है और ये निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा.'