19 वीं सदी के आख़िरी सालों में शायद हुआ हो. मद्रास की गर्मी. रात को सोते आदमी परशाक्यमुनि की तरह पहला सत्य उतरा. पहला सत्य यानी - दुःख है. क्या है दुःख- नींदनहीं आ रही है. इसके बाद एक एक कर बाकी तीन सत्य भी उजागर होते हैं. दुःख का कारणहै- मच्छर जो सोने नहीं दे रहे. दुःख का उपाय है- मच्छरों से बचाव. और आख़िरी सत्य-दुःख से निदान का रास्ता है- मच्छरदानी.