चिमनभाई पटेल को 1974 में नवनिर्माण आंदोलन के बाद कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. उस समय वो कांग्रेस में हुआ करते थे. यह 16 साल लंबा इंतजार था. वो अब किसी भी किस्म की चूक नहीं चाहते थे. बाबूभाई की साफ़ छवि उनकी राह का कांटा बन सकती थी. उन्होंने अपना पिछला दरवाजा खोला और कांग्रेस के बागियों से बातचीत शुरू कर दी. यह खबर उन्होंने खुद लीक करवा दी. दिल्ली में पार्टी आलाकमान के पास यह संदेश पहुंच चुका था. वीपी सिंह चिमनभाई के प्रति तमाम नापसंदगी के बावजूद यह जानते थे कि चिमन के बिना गुजरात चुनाव में जनता दल की नाव पार नहीं लगने वाली. फिर क्या हुआ और कैसे इस नेता ने अपने लिए जगह बनाई, ये जानने के लिए देखिए ये पूरा वीडियो.