31 मई 1984 की शाम थी. मेजर जनरल के एस बराड़ का टेलीफोन बजा. उन दिनों नौइन्फैंट्री डिवीजन की कमान उन्हीं के हाथ में थी. वो और उनकी पत्नी दिल्ली जाने कीतैयारी कर रहे थे. दिल्ली से वो 1, जून की शाम फिलीपिंस के लिए निकलने वाले थे.क्योंकि एक महीने की छुट्टी मिली थी. वो मेरठ से चलने ही वाले थे कि हेडक्वार्टर सेटेलीफोन पर सन्देश मिला कि उन्हें इंटरनल सिक्योरिटी से जुड़ी एक कांफ्रेंस के लिएअगले दिन सुबह नौ बजे चंडीगढ़ पहुंचना होगा. उस वक्त उन्हें घटनाओं की ज्यादाजानकारी नहीं थी. वो 31 मई की शाम कार से दिल्ली पहुंचे. और अगले दिन सुबह इण्डियनएयरलाइंस के जहाज से वो चंडीगढ़ पहुंचे. उनकी पत्नी आखरी समय तक मनीला जाने के लिएतैयारियां मुकम्मल करने के लिए दिल्ली में ही रहीं. जनरल साहब की योजना शाम के जहाजसे दिल्ली लौट जाने की थी, लेकिन उन्हें हेडक्वॉर्टर पहुंचकर ये मालूम हुआ कि वोवापिस नहीं जा पाएंगे. वो वापिस क्यों नहीं जा पाएंगे? जानने के लिए देखिए किताबीबातें के आज के एपिसोड का ये वीडियो