The Lallantop
Advertisement

'यहां youtube पर हिंदी कविताएं सुनाई जाती हैं'

कविताओं का कोक स्टूडियो है ये. यहां सिनेमा के सितारे पढ़ते हैं हिंदी कविताएं.

Advertisement
Img The Lallantop
font-size
Small
Medium
Large
25 जनवरी 2016 (Updated: 25 जनवरी 2016, 12:48 IST)
Updated: 25 जनवरी 2016 12:48 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

'कविता भाषा में आदमी होने की तमीज़ है...'

ऐसा हिंदी कवि 'धूमिल' लिख गए. कविता की तमीज हमें अब भी है. मोह भी कम नहीं हुआ है. फिर भी असल कविता किताबों में दफ़्न होकर रह गई है. जो हम तक पहुंच रही है, वह या तो सतही है या फिल्मी है. इस बीच दो यूट्यूब चैनल असल कविताओं को वीडियो के रूप में ले आए हैं.
एक चैनल होता है टीवी वाला, जिस पर हिंदी कविता आज कल दरकिनार है. दूसरा होता है यूट्यूब वाला. जो कुछ ज्यादा लोकतांत्रिक है. यहां और भी काम हो रहे होंगे, अच्छे बुरे. लेकिन हमारी मादरे-जबान की मशहूर और प्रासंगिक कविताएं भी बचाई जा रही हैं, सुनाई जा रही हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=r07L5X66Os0
एक चैनल है 'हिंदी कविता' (Hindi Kavita) के नाम से और दूसरा है 'उर्दू स्टूडियो' (Urdu Studio). दोनों के पीछे जो शख्सियत हैं, उनका नाम है मनीष गुप्ता.
कॉन्सेप्ट ये है कि लोग मशहूर कविताएं और उर्दू गजलें/नज्में कैमरे पर पढ़ते हैं. उसे अच्छे कैमरा सेटअप में बाकायदे शूट किया जाता है और वीडियो यूट्यूब पर डाला जाता है. इससे एक ज्यादा पॉपुलर मीडियम के जरिये हिंदी कविता लोगों तक पहुंच रही है. कविता पढ़ने वालों में अदब की दुनिया के लोग भी होते हैं, सिनेमाई संसार के भी और सुखन में सामान्य दिलचस्पी रखने वाले भी.
स्वरा भास्कर.
स्वरा भास्कर.

हिंदी कविता चैनल को करीब साढ़े 9 हजार लोगों ने सब्सक्राइब किया है. मनोज वाजपेयी, पीयूष मिश्रा, सौरभ शुक्ला, स्वरा भास्कर, शिल्पा शुक्ला, स्वानंद किरकिरे, अनवर जलालपुरी और जीशान अयूब जैसे सितारे इन चैनलों के लिए कविता पाठ कर चुके हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=RTuJ_OFxX3M&list=PL4divbAPBqKWORJpmUypz0Yjpo-jGvyZI
उर्दू स्टूडियो चैनल के 1725 सब्सक्राइबर हैं. यहां लोगों ने मीर तकी मीर, कैफी आजमी, मिर्जा गालिब, मखदूम, साहिर लुधियानवी, मजाज लखनवी, जॉन ऐलिया जैसे नामचीन शायरों की गजलें पढ़ी हैं. हिंदी कविता चैनल 20-22 महीने पहले और उर्दू स्टूडियो 9-10 महीने पहले बनाया गया था.
https://www.youtube.com/watch?v=8UCCDTnc0rw
अमेरिका की नागरिकता वाले मनीष कई देशों में रहे हैं. मूलत: मध्य प्रदेश के हैं और मुंबई में फिल्में बनाते हैं. कहते हैं कि अंग्रेजी इस्तेमाल की भाषा है, लेकिन हिंदी मजे की भाषा है. वह बताते हैं कि एक बार दोस्तों के साथ एक महफिल जमी, जिसमें 'कामायनी' और 'कुरुक्षेत्र' का कुछ हिस्सा पढ़ा गया. अंग्रेजी के लोग थे पर मजा सबको आया. तब लगा कि यार हिंदी इतनी मजेदार है, लेकिन लोग इसे गूढ़ और पता नहीं क्या-क्या बोलकर किनारे कर देते हैं. अगले दिन ये बात सबको याद रह गई. लोग सेटअप लेकर आ गए. 5-10 वीडियो भी शूट हो गए.
इसके बाद रफ्तार कुछ देर के लिए लिए थमी, लेकिन मनीष को लोग मिलते गए और काम फिर जोर-शोर से शुरू हो गया. वह बताते हैं कि कवि विष्णु खरे बतौर गाइड उन्हें मिले, उन्होंने नए लोग सुझाए और फिर आगे बढ़ना आसान हो गया.
मनीष गुप्ता
मनीष गुप्ता

हिंदी के साथ कोई साजिश हो रही है. जी नहीं. मनीष सहमत नहीं हैं. कहते हैं कि खुद ही लोगों ने इसे दोयम दर्जे का मान लिया है कि फ्लाइट में हिंदी किताब खोलने से घबराने लगे हैं. अंग्रेजी तो बहुत ही सामान्य चीज है. उसमें वही चार-पांच सौ शब्द हैं जिनके इस्तेमाल से आदमी सब कुछ कर लेता है, लाखों रुपये भी कमा लेता है. लेकिन हिंदी समृद्ध है.
मनीष अंग्रेजी के खिलाफ भी डंडा लेकर नहीं चलते. कहते हैं, 'हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं. हम बस अपनी मादरे-जबान के साहित्य के मजे लूट रहे हैं.'
कवि और कविताएं कैसे चुनते हैं, इस पर मनीष का कहना है कि हम विष्णु खरे, ज्ञान रंजन, अशोक वाजपेयी जैसे वरिष्ठों से सलाह लेते हैं. मनीष मुंबई में रहते हैं. पर बीते दिनों उनकी टीम ने दिल्ली, लखनऊ और जयपुर के ट्रिप लगाए तो स्थानीय लोगों की मदद से कुछ शूट वहां भी कर लिए.
https://www.youtube.com/watch?v=rBfNCvyE4Nw
मनीष हर भारतीय भाषा के साहित्य का चैनल बनाना चाहते हैं. पंजाबी के लिए भी शुरू किया था, पर दो वीडियोज से आगे नहीं बढ़ा पाए. शूटिंग और फंडिंग की भी दिक्कतें हैं. लेकिन वह इस बात से सख्त नाइत्तेफाकी जताते हैं कि हिंदी को पढ़ने, देखने और सुनने के लिए लोग तैयार नहीं हैं.
मनीष कहते हैं, 'हिंदी में बहुत काम हो रहा है. पर बड़ी दिक्कत ये है कि हर आदमी अपना आइलैंड बनाकर बैठा हुआ है. सबका अपना वर्चस्व है. काश सब लोग साथ आ पाते.'
हिंदी कविता और उर्दू स्टूडियो पर आप भी कविता, नज़्म या गजल पढ़ सकते हैं. बस शर्त यही है कि आपका तलफ़्फ़ुज़ (उच्चारण) बाकमाल हो, अदायगी सहज और दिलकश हो और कैमरे सो दोस्ती हो. Film.Bombay@gmail.com पर मनीष से संपर्क कर सकते हैं.

thumbnail

Advertisement

Advertisement