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चीन इन मुसलमानों पर कहर क्यों ढा रहा है?

कहानी उइगर मुसलमानों की, जिनकी मदद इमरान खान भी नहीं कर सकते.

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इमरान ख़ान कहते हैं, उन्हें कश्मीरी मुसलमानों की फ़िक्र है. कि वो उनके सच्चे हमदर्द हैं. भारत के आर्टिकल 370 निष्क्रिय करने के बाद से ही इमरान दुनिया को भरोसा दिलाने में लगे हैं कि कश्मीर में तत्काल दखलंदाजी करने की ज़रूरत है. मगर यही इमरान शिनजियांग और उइगर मुसलमानों पर पूछे गए सवाल पर कहते हैं कि उन्हें ज़्यादा जानकारी नहीं है. (तस्वीर में यालकुन रोज़ी और उनकी किताबें, जो कैद किए गए )
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स्वाति
16 सितंबर 2019 (Updated: 16 सितंबर 2019, 12:56 PM IST) कॉमेंट्स
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इमरान ख़ान दुनिया से अटेंशन चाह रहे थे. कोशिश थी कि कश्मीर पर वो जो कहना चाहते हैं, सब सुनें. इसी सिलसिले में उन्होंने 'अल जज़ीरा' को इंटरव्यू दिया. कश्मीर पर अपने मन की कही. फिर उनसे सवाल पूछा गया. उइगर मुस्लिमों के साथ चीन जो कर रहा है, उस बाबत. इसके जवाब में इमरान ने कहा कि वो बहुत सारी ज़रूरी चीजों में व्यस्त थे. लगातार व्यस्त चल रहे हैं. बहुत सारी ज़रूरी चीजें हैं. 'कश्मीर' है, अर्थव्यवस्था है. बहुत ज़्यादा काम है. तो ऐसे में चीन में क्या चल रहा है, इस बारे में ठीक-ठीक पता नहीं उन्हें. इमरान से पहले भी ये सवाल पूछा जा चुका है. और वो पहले भी ऐसा ही जवाब दे चुके हैं. एक दफ़े फाइनैंशल टाइम्स ने पूछा था. तब भी यही बोले थे. असल बात है डबल स्टैंडर्ड. दोहरापन. इमरान का ये जवाब सप्राइज़ करने वाला नहीं है. जगजाहिर है. वो ऐसा कोई जवाब नहीं दे सकते, जो चीन के विरुद्ध जाता हो. फिर चाहे इसके लिए दिन को रात क्यों न कहना पड़े. इमरान से इतर चलें. हमारे यहां चीन से जुड़ी बातें लिमिटेड संदर्भों में होती हैं. मसलन- सीमा विवाद. पाकिस्तान की ढाल. मेड इन चाइना. कारोबार. सैन्य ताकत. सुरक्षा परिषद. इनके अलावा भी एक बेहद अहम कॉन्टेक्सट है- उइगर. और उनका घर, शिनजियांग. क्यों, क्या, ये सारा ब्योरा हम इस स्टोरी में आपको बता रहे हैं.
चीन का सुदूर पश्चिमी हिस्सा है शिनजियांग. सेंट्रल एशिया के कोर से सीमाएं मिलती हैं इसकी. ये गूगल मैप देखिए और गिनिए कि कितने सारे देश हैं इसके पड़ोस में (फोटो: गूगल मैप्स)
चीन का सुदूर पश्चिमी हिस्सा है शिनजियांग. सेंट्रल एशिया के कोर से सीमाएं मिलती हैं इसकी. ये गूगल मैप देखिए और गिनिए कि कितने सारे देश हैं इसके पड़ोस में. अरे, रूस तो दिख ही नहीं रहा यहां. उसको भी जोड़ लीजिएगा (फोटो: गूगल मैप्स)

कहां है शिनजियांग? चीन के नक्शे पर वेस्ट की तरफ है एक प्रांत है- शिनजियांग. साइज़ में करीब ईरान बराबर. बहुत ठंडा. इसका एक बहुत छोटा हिस्सा ही जीने लायक है. इस रास्ते चीन की सीमा रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, भारत और मंगोलिया से मिलती है. ये हिस्सा मशहूर सिल्क रूट का हिस्सा था.
शिनजियांग की हिस्ट्री? कभी तुर्की. कभी मंगोल. कभी चीन. शिनजियांग पर कइयों ने दावा किया. 18वीं सदी में चीन के पास आया. 1949 में इसने ख़ुद की आज़ादी का ऐलान कर दिया. मगर आज़ादी रही नहीं. चीन ने उसे ख़ुद में मिला लिया. फिर इसे स्वायत्त प्रांत घोषित कर दिया. हालांकि स्वायत्तता बस नाम की ही थी. शिनजियांग को चीन से अलग होने की चाह रही. सोवियत टूटने के दौर में लगा, अलग हो भी जाए शायद. मगर चीन की सख़्ती के आगे ऐसा हो नहीं पाया.
उइगर कौन हैं? उइगर अपने तौर-तरीकों में सेंट्रल एशिया के घुमक्कड़ कबीलों जैसे हैं. ज़्यादातर उइगर इस्लाम मानते हैं. बोली इनकी तुर्की है. सरहद पार के कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों में भी काफी उइगर रहते हैं. शिनजियांग में क्या है?1. किर्गिस्तान. कज़ाकस्तान. इन सबका पड़ोसी. इन देशों के पास अकूत हाइड्रो पावर है. नैचुरल गैस है. पेट्रोलियम है. चीन बहुत ऐक्टिव है यहां. भारी निवेश किया हुआ है उसने. सेंट्रल एशिया से आने वाली गैस पाइपलाइन के लिहाज से भी काफी अहम है ये. 2. भूगोल. सेंट्रल एशिया की लोकेशन. सामरिक, आर्थिक और जियो पॉलिटिकल. हर लिहाज से बेहद अहम. 3. 'बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव' रूट का अहम हिस्सा. 4. चाइना पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के लिए बेहद क्रूशिअल.
तनाव कैसे बनने लगा? ये 1990 के दशक की बात है. सोवियत संघ टूटा. कई देश अलग हुए. कइयों की पहचान इस्लामिक थी. इसी माहौल में शिनजियांग में भी राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने लगी. आजाद होने की कोशिश शुरू हुई. लेकिन चीन ने अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने दी. मगर तनाव बनता रहा. सेपरेटिस्ट्स और सरकार में संघर्ष की ख़बरें आती रहीं. चीन कहता, अलगाववादी हिंसा कर रहे हैं. अलगाववादी कहते, चीन उन्हें निशाना बना रहा है. मार रहा है.
मास माइग्रेशन चीन यहां की जनसंख्या का गणित बदलना चाहता था. बड़ी संख्या में हान चाइनीज़ यहां बसाए गए. उइगर अपनी ही जगह पर कम होते गए. साल 2000 में हुई जनगणना के मुताबिक, यहां की कुल आबादी का 40 फीसद हो गए हान. जबकि 1949 में बस छह फीसद हान ही रहते थे. हान वर्सेज़ उइगर नए-नए प्रॉजेक्ट्स लगाए जाने लगे. विकास का काम हुआ. आरोप लगे. कि ज़्यादा फायदा हान चीनियों को दिया जा रहा है. उन्हें तवज्ज़ो मिल रही है. प्रॉजेक्ट्स की वजह से चीन के बाकी हिस्सों से भी खूब सारे लोग आए. उनकी भी खासी तादाद हो गई आबादी में. चीन ने भी देश के बाकी जगहों से यहां लोगों के आने और बसने को सपोर्ट किया. इन सारी वजहों से यहां की डेमोग्रफी बदल गई. ऊपर से यहां ढेर सारे चीन के सैनिक और अधिकारी तैनात किए गए. ताकि किसी भी तरह के विद्रोह को दबाया जा सके.
दुनिया की नज़रों में कब से आने लगा? 2008 का ओलिंपिक खेल होना था चीन में. शिनजियांग में प्रोटेस्ट तेज़ हो गए. ख़बरें आ रही थीं. कभी बस धमाकों की. कभी पुलिस थाने पर विस्फोट की. इन्हें आधार बनाकर चीन ने सख़्ती बढ़ा दी. जुलाई 2009 में उइगर और हान, दोनों के बीच बड़े स्तर पर हिंसा हुई. बताया गया कि 200 के करीब हान मारे गए. चीन इस प्रांत को किला बनाने लगा. बहुत बड़ी तादाद में सैनिक तैनात किए गए. पूरी उइगर कम्यूनिटी को टारगेट किया जाने लगा. जून 2012 में चीन ने दावा किया कि कुछ उइगर कट्टरपंथियों ने एक विमान को बंधक बनाने की कोशिश की. इन्हें बाद में फांसी पर चढ़ा दिया गया. इस दावे पर उंगलियां भी उठीं. फिर 2014 में कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर बड़ा हमला हुआ. 29 लोग मार डाले गए. चीन ने कहा, शिनजियांग के अलगाववादी हैं इस आतंकी हमले के पीछे.
आतंकवाद का क्या ऐंगल है? शिनजियांग के अलगाववादी चरमपंथियों का एक संगठन है- ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM). ये आज़ाद पूर्वी तुर्किस्तान बनाना चाहते हैं. चीन का कहना है कि ETIM उइगरों को कट्टरपंथ की ओर ले जा रहा है. ये ही लोग चीन में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं.
ETIM क्या कहता है? ये कहते हैं, चीन उसके ऊपर झूठे इल्जाम लगाता है. चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है. ताकि इसके बहाने उइगरों और मुसलमानों को निशाना बना सके.
ISIS का क्या ऐंगल है? चीन आरोप लगाता है कि ETIM इस्लामिक स्टेट (ISIS) से मिला हुआ है. ISIS ने एक विडियो भी जारी किया था. उसने चीन को ‘खून की नदियां’ बहा देने की धमकी भी दी थी. मगर कई जानकार कहते हैं कि ETIM इतना मजबूत है ही नहीं कि वो चीन में इतना कुछ कर सके. कई विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन उइगरों से ख़तरा दिखाने के लिए स्वांग रचता है. कुछ जानकार ये भी कहते हैं. कि लंबे समय से चीन यहां जो ज़्यादतियां कर रहा है, उसकी वजह से लोग हथियार उठा रहे हैं.
चीन के दावों पर भरोसा कैसे हो? चीन से जो भी खबरें आती हैं, वन-वे होती हैं. वो सच हैं कि नहीं, ये पुख़्ता करने का कोई तरीका नहीं. मीडिया भी सरकारी भोंपू है. विदेशी पत्रकारों और एजेंसियों पर पाबंदियां हैं. विदेशी पत्रकार शिकायत करते हैं कि उनपर नज़र रखी जाती है. अड़ंगा लगाया जाता है. ठीक से काम नहीं करने दिया जाता है. ऐसे में वहां से आने वाली उइगर कट्टरपंथियों के हाथों की जाने वाली हिंसा की खबरों की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती. 'कम्युनिस्ट' बनाने के आरोप क्या हैं? चीन उइगरों पर भरोसा नहीं करता. इसकी सबसे बड़ी वजह है उइगरों का धर्म. चीन उनकी 'इस्लामिक' पहचान खत्म करने पर आमादा है. मसलन, उइगर रोज़ा नहीं रख सकते. दाढ़ी नहीं बढ़ा सकते. कुरान नहीं सीख सकते. मस्जिद नहीं जा सकते. बच्चों के इस्लामिक नाम नहीं रख सकते. धार्मिक तौर-तरीके से शादी नहीं कर सकते. उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने को भी मजबूर किया जाता है. 2013 में ऐमनेस्टी इंटरनैशनल ने रिपोर्ट दी थी कि चीन सांस्कृतिक प्रतीकों को भी कुचल रहा है. मेड इन चाइना इस्लाम उइगरों पर जबरन हान चीनियों के साथ शादी करने का भी दबाव बनाया जाता है. आरोप हैं कि ये नस्लीय सफ़ाये का एक तरीका है. शिनजियांग में रहने वाले बहुत सारे उइगरों और कज़ाकों के परिवार सरहद पार कज़ाकिस्तान में रहते हैं. इल्ज़ाम लगते हैं कि चीन इन्हें सरहद पार के अपने रिश्तेदारों से बात नहीं करने देता. अगर वो फोन पर भी बात कर लें, तो उन्हें पकड़कर कैंप में बंद कर दिया जाता है. चीन ने इस्लाम से जुड़ा नया कानून बनाया. इसके तहत, इस्लाम को 'सुधारा' जाएगा. उसे चीन के मुताबिक, ढाला जाएगा. चीन बताएगा कि उसके यहां रहने वाले मुसलमान किस तरह से अपना धर्म मानें. कॉन्सनट्रेशन कैंप्स की क्या बात है? ख़बर आई कि चीन ने लाखों मुसलमानों को कॉन्सनट्रेशन कैंप्स में बंद किया हुआ है. यहां बंद रखकर जोर-जबर्दस्ती से उनका धर्म, उनकी भाषा छुड़वाई जाती है. उन्हें जबरन नास्तिक बनाया जाता है. कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि इन कैंप्स में बच्चों को उनके मां-बाप से अलग कर दिया जाता है. उनको सरकारी अनाथालयों में रखकर उनका ब्रेन वॉश किया जाता है. ताकि अगली पीढ़ी के अंदर से उसके पूर्वजों की धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान खत्म कर दी जाए. अगस्त, 2018 में 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने अपने एक एडिटोरियल में लिखा था कि दुनिया चीन में मुस्लिमों के साथ जो हो रहा है, उसे अनदेखा नहीं कर सकती. रिपोर्ट तो दुनिया भर की मीडिया कर रही है उइगरों पर. शिनजियांग पर. मानवाधिकार संगठन उइगरों को लेकर कितनी बार अपील कर चुके हैं चीन से. मगर इमरान ख़ान के पास इन रिपोर्ट्स को पढ़ने-देखने का समय नहीं. न PM बनने से पहले. न PM बनने के बाद. छोटी सी कहावत है एक. सोते हुए को जगा सकते हो. मगर जो सोने की ऐक्टिंग कर रहा हो, उसे कैसे जगाओगे? इमरान ख़ान और उनसे पहले के पाकिस्तानी हुक्मरान. अपने हिसाब से, अपनी सुविधा देखकर भेस धरते हैं. इसीलिए कश्मीर पर वो मानवतावादी हैं. और उइगरों पर क्वेश्चनमार्क.


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