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कहानी दुनिया के पहले अरबपति की, जिसने तेल बेच कर अमेरिका को अमीर बना दिया!

इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल इनकी बॉयोग्राफी लिखना चाहते थे.

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Jhon Davison Rockfellar
जॉन डेविसन रॉकफेलर. (फोटो: द कलेक्टर)
19 जनवरी 2023 (Updated: 19 जनवरी 2023, 23:05 IST)
Updated: 19 जनवरी 2023 23:05 IST
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ब्रिटेन के प्रभावशाली नेताओं की जब बात होती है, तो विंस्टन चर्चिल का नाम दिमाग में अपने आप गोते लगाने लगता है. 1940 के दशक में उनके जटिल फैसलों और विदेश नीति की चर्चा दुनियाभर में होती थी. चर्चिल एक लेखक भी थे. अपने जीवन काल में चर्चिल ने 42 किताबें लिखीं. साल 1953 में चर्चिल को साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिला था. ऐसे में एक परिवार था रॉकफेलर, जो चर्चिल के पास एक आत्मकथा लिखने की सिफारिश लेकर आता है. लेकिन चर्चिल जब आत्मकथा लिखने के लिए अपनी फीस बताते हैं, तो वो सुनकर परिवार के लोगों का मन बदलता है और वो लौट जाते हैं. 

ये आत्मकथा थी जॉन डेविसन रॉकफेलर की. ये वही शख्स है जिसे दुनिया के सबसे पहले अरबपति का खिताब मिला था. वैसे दुनिया में बहुत धनकुबेर हुए, जिनकी अकूत संपत्ति का हिसाब लगाना इतना ही मुमकिन है जितना सिर के बाल गिनना. लेकिन आधुनिक इतिहास में दाखिल होने के बाद संपत्ति का लेखा जोखा डॉलर में होना शुरु हुआ, तो दुनिया को मिला अपना पहला अरबपति. नाम था- जॉन डेविसन रॉकफेलर.

कहां से हुई शुरुआत?

साल था 1839. तारीख 8 जुलाई, दिन सोमवार. न्यूयॉर्क के रिचफोर्ड में विलियम एवेरी रॉकफेलर और एलीज़ा डेवीसन रॉकफेलर के घर जन्म होता है एक बच्चे का. नाम दिया जाता है 'जॉन'. 6 भाई बहनों में सबसे बड़े थे. जॉन के पिता विलियम, ‘स्नेक ऑयल सेल्स मैन’ थे. सांप के तेल के विक्रेता नहीं, दरअसल स्नेक ऑयल सेल्समैन उनको बोला जाता है, जो लोगों को फर्जी दवाईयां बेचते हैं. ऐसे समझिए इनके पिता लोगों को उन बिमारियों के इलाज की दवाईयां बेचते थे जिनकी दवाईयां उस वक्त तक बनी भी नहीं थी. अपने इस पेशे के चलते उनके पिता इधर उधर भागते रहते थे, जिस वजह से ज्यादातर वो घर से बाहर ही रहते थे. साल 1851 में जॉन का परिवार न्यू यॉर्क के मोराविया और फिर उसी साल ओसवीगो में में शिफ्ट हो गया. जहां जॉन ने ओसवीगो अकादमी में पढ़ाई की और फिर से साल 1853 में जॉन अपने परिवार के साथ क्लीवलैंड ओहियो के पास बसे एक छोटे से शहर स्ट्रांगविल आ गए.  

इस तितर बितर के बीच अपनी स्कूलिंग के बाद जॉन ने दो महीने का बुक कीपिंग का कोर्स करते हैं. और फिर हेविट एंड टटल नाम की कंपनी में बुक कीपिंग का काम किया. जॉन के 26 सितंबर की तारीख को पहली जॉब मिली थी तो वो इस दिन को जॉब डे के नाम से मनाते थे. बचपन से ही वो अपने खर्चों के हिसाब रखते थे, इसी लिए उन्हें बुककीपिंग का काम बहुत पसंद था. इसके बाद जॉन ने मौरिस बी. क्लार्क के साथ मिल कर अपना खुद का काम शुरु किया जिसमें वो भूसा, अनाज, मांस-मच्छी और भी कई तरह की चीजों की दलाली कर उससे पैसा कमाने लगे, यू्ं समझे उसे खरीदने और बेचने का काम किया इसे अंग्रेजी में कमीशन मर्चेंट्स भी कहा जाता है. अमेरीका के सिविल वॉर के दौरान सरकार को सामान बेच कर उन्होंने दबा के कमाई की.

जॉन डी. रॉकफेलर(फोटो: Getty Image)
तेल का व्यवसाय कब शुरु किया ?

बुककीपर और कमीशन मर्चेंट के काम के बाद जब उन्हें तेल के व्यवसाय के बारे में पता चला. और जब उन्होंने जब इस पर नजरें घुमाई तो उन्हें लंबा गेम दिखा. जिसके बाद क्लार्क और जॉन ने सैमयुल एंड्रयू के साथ पार्टनरशिप की और ऑयल रिफाईनिंग के काम में कदम रखा. जिसके बाद ऑयल इंडस्ट्री में जॉन की कंपनी का दबदबा मेंटेन हो गया. उस वक्त दुनिया के लिए तेल का व्यवसाय काफी नया था जिस वजह से तेल की कीमतों में काफी उथल-पुथल रहती थी. तो जॉन और एंड्रयू ने तेल की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए के प्लान बनाया. फिर साल 1870 के जनवरी के महीने में स्टैंडर्ड ऑयल कंपनी की स्थापना होती है और यहां से शुरु हुई जॉन डेविसन रॉकफेलर की सक्सेस की कहानी. साल 1880 तक स्टैंडर्ड ऑयल ने अमेरिका की लगभग 90% ऑयल रिफाइनरीज पर कब्जा कर लिया था. साल 1882 तक स्टैंडर्ड ऑयल ने अमेरिका के तेल बजार में अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था. जॉन ने अपनी कंपनी के मुनाफे की दम पर लगभग अपने सारे विरोधियों की कंपनीयों के साथ डील की और उन्हे खरीद लिया जो नहीं बिके वो दिवालिया हो गए.

(फोटो: Getty Image)
सरकारें खिलाफ हो गईं और कंपनी को तोड़ना पड़ा?

स्टैंडर्ड ऑयल की एग्रैसिव पॉलिसियों के चलते अमेरिका के कई राज्य खास कर वो राज्य जहां काफी ज्यादा इंडस्ट्रीज थी. उन्हें अपने राज्यों में एंटीमोनोपॉली कानून लाने पड़े थे. जिसके बाद साल 1892 में ओहियो सुप्रीम कोर्ट ने एंटीमोनोपॉली एक्ट के उल्लंघन में दोषी पाया. जिसके बाद रॉकफेलर ने ट्रस्ट को भंग कर दिया और कंपनी को देश के अलग अलग राज्यों में अपनी कंपनीयों के स्थांतरित कर दिया. जिसके बाद साल 1899 में इन सारी कंपनियों को फिर से इनकी होल्डिंग कंपनी स्टैंडर्ड ऑयल में वापस लाया गया. मगर ये भी ज्यादा समय तक नहीं टिकीं. फिर आता है साल 1911, और अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है कि और अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट, स्टैंडर्ड ऑयल को शरमैन  एंटीट्रस्ट एक्ट के तहत अवैध घोषित करार कर देता है. और इसके बाद स्टैंडर्ड ऑयल के 33 अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया जाता है.

कब बने दुनिया के पहले अरबपति?

इतने सालों के दौरान जॉन डेविसन रॉकफेलर ने तेल बाजार की तस्वीर बदल कर रख दी थी. फिर साल 1913 में रॉकफेलर के पास करीब 900 मिलियन डॉलर की संपत्ती थी और ये उस समय के अमेरिका की जीडीपी के करीब 3 फीसद हिस्से से भी ज्यादा था. और फिर साल 1916 में रॉकफेलर को दुनिया का पहला अरबपति घोषित किया गया. जिस वक्त जॉन के दुनिया का पहला अरबपति घोषित किया गया उस वक्त उनके पास करीब एक अरब डॉलर से भी ज्यादा की संपत्ती थी आज के समय में नापे तो करीब 17 बिलियन डॉलर बनेंगे.

लगभग आधी संपत्ती चैरिटी में दे दी...
(फोटो: Getty Image)

ब्रिटानिका की रिपोर्ट की माने तो जॉन ने 500 मिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ती चैरिटी में दान कर दी थी. जॉन ने साल 1892 में शिकागो यूनीवर्सिटी की स्थापना की थी. फिर साल 1901 में रॉकफेलर इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च की भी स्थापना की थी. जिसके बाद इसका नाम बदल कर रॉकफेलर यूनिवर्सिटी कर दिया गया था. और फिर साल 1913 में इन्होंने रॉकफेलर फाउंडेशन की स्थापना भी की थी.
और फिर आती 23 मई साल 1937 की तारीख जब फ्लोरिडा के ऑरमंड बीच में 97 साल के जॉन दुनिया को अलविदा कहा. रिपोर्ट्स की माने तो जॉन के निधन के बाद उनकी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने इनके परिवार को 5 मिलियन डॉलर दिए थे.  विंसटन चर्चिल इनकी आत्मकथा लिखते अगर उसकी कीमत इतनी ज्यादा नहीं होती. 
 

वीडियो: शाहरुख खान ने बताया क्यों जॉन अब्राहम 'पठान' में उन्हें मार नहीं पा रहे थे

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