राहुल गांधी के पास बचने के 4 रास्ते, फिर वो चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं?
राहुल गांधी के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है?
मानहानि के मामले में दोषी. सांसदी रद्द. और बंगला खाली करने का नोटिस. राहुल गांधी को सजा के बाद फिलहाल इतने अपडेट आ चुके हैं. कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है. रोज़ प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी दलों की मीटिंग हो रही है. बीजेपी पलटवार में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है. लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी राहुल गांधी ने अब तक वो नहीं किया है जिससे उन्हें असल में राहत मिलती. यानी अपर कोर्ट में अपील. सवाल ये है कि क्या अबतक सूरत कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देना कांग्रेस और राहुल गांधी की सोची समझी राजनीति है या फिर इसके पीछे कोई और वजह है?
राहुल ने अपील क्यों नहीं की?राहुल गांधी को 23 मार्च को सजा सुनाई गई थी. 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक बयान दिया था. जिसके बाद उनपर आरोप लगे कि उन्होंने पिछड़ा वर्ग के 'मोदी समाज' का अपमान किया है. वही समाज जिससे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आते हैं. बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी की याचिका पर राहुल गांधी को सूरत की कोर्ट ने दोषी पाया. और दो साल की सजा सुनाई.
कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद से ये सवाल उठ रहे थे कि क्या राहुल गांधी की सांसदी रद्द हो जाएगी. साथ ही ये डिसकोर्स भी चल रहा था सबकुछ ऊपरी अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा. क्योंकि अगर ऊपरी अदालत ने सूरत कोर्ट के फैसले को पलट दिया या फैसले पर स्टे लगा दिया तो राहुल की सांसदी पर खतरा टल जाएगा. लेकिन पांच दिन बीत जाने, सांसदी जाने और बंगला खाली करने का नोटिस मिलने के बाद भी राहुल गांधी अब तक ऊपरी अदालत में अपील करने नहीं गए हैं.
इस मामले में हमने बात की CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार से. इस मामले में संजय का कहना है कि-
कांग्रेस अभी इस बात को तय नहीं कर पा रही है कि राहुल गांधी की सजा को चुनौती देने से ज्यादा राजनीतिक फायदा होगा या फिर सजा अपील ना करने से. कांग्रेस इस बात का विश्लेषण कर रही है कि अगर राहुल गांधी को जनता के सामने पीड़ित दिखाया जाए तो क्या इसका राजनीतिक फायदा मिल सकता है.
संजय कुमार कहते हैं कि कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी हैं. कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से बाहर करना चाहती है. लेकिन सिर्फ अपने बलबूते कांग्रेस के लिए ये बिल्कुल भी आसान नहीं है. इसके लिए जरूरत है विपक्षी एकता की. लेकिन कई विपक्षी पार्टियां लाइक माइंडेड होने के बाद भी राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकारती नहीं हैं. ऐसे में अगर राहुल गांधी 8 साल के लिए चुनावी राजनीति से दूर हो जाते हैं तो विपक्ष के लिए कांग्रेस से जुड़ना आसान हो सकता है.
सवाल तब भी उठे जब राहुल गांधी ने अपने ट्विटर बायो में डिस्क्वालिफाइड MP यानी अयोग्य सांसद घोषित लिख दिया. ऐसे में कहा जाने लगा कि राहुल खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि जनता की सहानुभूति हासिल की जा सके. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इस पर कहा था कि कांग्रेस सड़क पर प्रदर्शन कर रही है. जबकि उन्हें वैसी ही तेजी दिखानी चाहिए जैसी पवन खेड़ा के केस में दिखाई गई थी. यानी उन्हें ऊपरी अदालत में जाना चाहिए.
इस मामले में हमने सीनियर जर्नलिस्ट आदेश रावल से भी बात भी. आदेश रावल एक दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस पार्टी कवर कर रहे हैं. आदेश का कहना है कि-
सूरत कोर्ट ने 160 से ज्यादा पेज का फैसला सुनाया है. पूरा फैसला गुजराती में लिखा गया है. कांग्रेस इस फैसले को ट्रांसलेट करवा रही थी. आज ये फैसला अंग्रेजी में ट्रांसलेट होकर आ गया है. पार्टी अब आगे की रणनीति फैसले की कॉपी पढ़कर तैयार करेगी.
आदेश के मुताबिक ऐसा बिलकुल नहीं है कि कांग्रेस सूरत कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देगी. आने वाले समय में कांग्रेस फैसले पर अपील जरूर दायर करेगी.
कुछ ऐसा ही कहना आजतक/इंडिया टुडे से जुड़ी मौसमी सिंह का भी है. मौसमी ने बताया कि-
राहुल गांधी ने बंगला खाली करने के नोटिस का जवाब भी दे दिया है. राहुल ने कह दिया है कि वो बंगला खाली कर देंगे. दरअसल कांग्रेस के पास अभी अपील का समय है और वो इस समय को भुनाना चाह रही है. कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सांसदी रद्द कर दी गई और कल बंगला खाली करने का नोटिस भी आ गया. ऐसे में इतने डेवलपमेंट के बाद अगर राहुल की सजा का फैसला पलट जाता है तो सरकार घिर सकती है. तब कांग्रेस पार्टी इस बात को साबित करने की कोशिश करेगी कि राहुल गांधी को जानबूझकर टारगेट किया गया और जल्दबाजी में उनकी सांसदी रद्द की गई और बंगला भी खाली करवा लिया गया.
मौसमी ने कहा कि कांग्रेस लक्षद्वीप के सासंद मोहम्मद फैजल के मामले पर भी नज़र बनाए हुए है. फैजल के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. फैजल को हत्या केस में सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी. लेकिन केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद फैजल ने अपनी सांसदी बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. आज, 28 मार्च को CJI चंद्रचूड़ की बेंच मामले में सुनवाई करेगी.
इधर राहुल गांधी पर फैसले के बाद कांग्रेस लगातार विपक्षी पार्टियों के साथ मीटिंग कर रही है. कल विपक्ष की मीटिंग में सोनिया गांधी भी शामिल हुईं. सोनिया UPA की चेयरमैन भी हैं. लेकिन बैठकों और प्रदर्शनों के बीच कांग्रेस ने अभी तक अपनी लीगल रणनीति पर खुलकर बात नहीं की है.
इस मसले पर हमने कांग्रेस से भी बात की. दी लल्लटॉप से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रिनेत ने कहा-
राहुल गांधी के पास क्या रास्ते हैं?बीजेपी ये तय नहीं करेगी कि कांग्रेस को आगे क्या करना चाहिए. कांग्रेस को आगे क्या करना वो हम खुद तय करेंगे.
राहुल गांधी 30 दिन के भीतर सेशन्स कोर्ट में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं. लिमिटेशन ऐक्ट की धारा 115(b)(ii) 30 दिन के अंदर अपील करने का अधिकार देती है. इस मामले में हमने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सुशील टेकरीवाल से कानूनी पहलू समझने की कोशिश की. सुशील ने राहुल गांधी के लिए आगे के 4 रास्ते बताए हैं.
1. राहुल गांधी 30 दिन के अंदर सेशन्स कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं.
2. अगर सेशन्स कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ रिविज़न पेटिशन दायर कर सकते हैं.
3. अगर सेशन्स कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो CrPC की धारा 482 के तहत दोष सिद्ध करने वाले आदेश को रद्द करने की अपील कर सकते हैं.
4. अगर हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशन दायर कर सकते हैं.
वीडियो: सांसदी के बाद अब राहुल गांधी का घर भी छिनेगा, भड़क गए कांग्रेसी