इज़रायल में 7 लाख लोग सड़कों पर क्यों उतरे? प्रदर्शन की पूरी कहानी
इज़रायल के बड़े शहरों में बंधकों को रिहा करवाने के लिए लिए प्रोटेस्ट जारी हैं. लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर हैं. क्या है इसकी पूरी कहानी?
‘You are the head. You are to blame’ ये नारे पिछले 24 घंटे से इज़रायल की सड़कों पर गूंज रहे हैं. लोग हमास के कब्ज़े से इज़रायली बंधकों को छुड़ाने और युद्धविराम की मांग कर रहे हैं. लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर हैं. 1 सितंबर को सिर्फ तेल अवीव की सड़कों पर 5 लाख से ज़्यादा लोगों ने प्रदर्शन किया. हाइफा और जेरुस्सलम में भी हज़ारों लोग सड़कों पर हैं.
7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से ये इज़रायल में अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है. लोग प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं. इस प्रोटेस्ट को इज़रायल की सबसे बड़ी लेबर यूनियन हिस्टड्रट लीड कर रही है. इसमें स्कूल, यूनिवर्सिटी, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं. आशंका जताई जा रही है कि इस प्रोटेस्ट से इज़रायल के कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं. और देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है.
दरअसल ये प्रोटेस्ट 6 इज़रायली बंधकों के शव मिलने के बाद भड़के हैं. 31 अगस्त को गाज़ा की सुरंग में इन बंधकों के शव बरामद किए गए थे. जब ये बात मीडिया में आई तो हंगामा मचा. और अब इसी वजह से लाखों लोग सड़कों पर हैं. आइए समझते हैं.
इज़रायल में चल रहे प्रोटेस्ट की पूरी कहानी क्या है?
क्या इज़रायल इससे ठप्प पड़ जाएगा?
और नेतन्याहू अब तक बंधकों को वापस क्यों नहीं ला पाए हैं?
बैकग्राउंड क्या है?7 अक्टूबर 2024 को हमास ने इज़रायल पर हमला किया. कहा कि ये कई सालों के इज़रायली ज़ुल्म का बदला है. इस हमले में लगभग 1200 इज़रायली मारे गए. हमास अपने साथ 200 से ज़्यादा इज़रायली बंधक बनाकर गाज़ा ले गया. वो इनका इस्तेमाल नेगोसिएशन में करने वाला था. हमास के हमले के बाद इज़रायल ने गाज़ा में युद्ध का ऐलान किया. उसने पूरे गाज़ा में एयर स्ट्राइक की. ज़मीनी हमले किए. गाज़ा को पूरी तरह सीज़ कर लिया. इज़रायल का हमला अब भी जारी है. इसमें अब तक 40 हज़ार से ज़्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं.
7 अक्टूबर के बाद जंग की तीव्रता बढ़ती गई. उसी समय कई जानकारों ने कहा था कि जंग लंबी चल सकती है. इसी आशंका के चलते दूसरे देशों ने युद्ध विराम की कोशिशें शुरू कर दी थीं. पहली सफलता जंग के 49वें दिन हाथ लगी. 2023 में 22 नवंबर को हमास और इज़रायल के बीच एक समझौता हुआ. इसमें 4 दिनों का युद्धविराम. हमास ने 24 बंधकों को रिहा किया. इसमें 13 इज़रायली और 10 थाई और 1 फिलिपींस का नागरिक था. इज़रायल ने भी बदले में 39 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया.
25 नवंबर को हमास ने 13 इज़रायली और 4 थाई नागरिकों को रिहा किया. बदले में इज़रायल ने फिर एक बार फिर 39 फिलिस्तीनी कैदी रिहा किए. इन्हीं शर्तों के साथ युद्ध विराम को एक हफ्ते के लिए और बढ़ा दिया गया. इस पूरे समझौते में हमास ने कुल 110 बंधक और इज़रायल ने 240 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया. पर ये समझौता और ज़्यादा नहीं चला. अंततः जंग फिर शुरू हो गई.
10 दिसंबर 2023 को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में युद्धविराम का प्रस्ताव लाया गया. अमेरिका ने उसे वीटो कर दिया. दिसंबर 2023 में ही अमेरिका, ईजिप्ट और क़तर ने मिलकर युद्धविराम की नई पहल की. कई दौरे की बात चली. 20 फरवरी को UNSC में तीसरी बार युद्धविराम का प्रस्ताव लाया गया. लगातार तीसरी बार अमेरिका ने इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया. इस बार बहाना दिया कि युद्धविराम पर समझौते की बात चल रही है. वो इससे प्रभावित हो सकती है.
26 मार्च को चौथी बार UNSC में युद्धविराम के लिए प्रस्ताव लाया गया. अमेरिका ने इस बार वीटो करने की बजाय एब्सटेंन किया. 15 मेंबर में से 14 ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया. यानि युद्धविराम का प्रस्ताव UNSC से पास हो गया. इसके सीधे मायने थे कि युद्ध रुक जाना चाहिए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इज़रायल लगातार गाज़ा में बमबारी करता रहा. और अमेरिका लगातार उसे हथियार सप्लाई करता रहा.
फिर क़तर और ईजिप्ट ने नए सिरे से युद्ध विराम की बात शुरू की. 7 मई को हमास ने क़तर और ईजिप्ट द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम समझौता मान लिया. पर इज़रायल ने इसे नकार दिया. कहा, कि इसमें हमारी शर्तें नहीं मानी गईं हैं. ये कोई दूसरा समझौता है. इसपर हम सहमत नहीं हुए थे.
फिर आई 31 जुलाई 2024 की तारीख. ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन इस दिन तहरान में शपथ ले रहे थे. इसमें हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो के चीफ़ इस्माइल हानिया को भी बुलाया गया. यहां उनकी हत्या कर दी गई. हमास और ईरान ने कहा कि ये हत्या इज़रायल ने की है.
इज़रायल ने न तो इससे इनकार किया और न ही इसमें शामिल होने की बात कही. इस्माइल हानिया के कत्ल से युद्धविराम की बात ठंडे बस्ते में चली गई. क्योंकि हमास की तरफ से बात चीत में वही की प्लेयर थे. इस हत्या पर UAE ने कहा कि अगर एक पक्ष दूसरे पक्ष को कत्ल करेगा तो समझौता कैसे होगा?
अगस्त में एक बार फिर नए सिरे से युद्धविराम पर चर्चा शुरू हुई. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मिडिल ईस्ट पहुंचे. दोहा में मीटिंग बुलाई गई. हमास ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया. कहा कि इज़रायल युद्धविराम को लेकर गंभीर नहीं है. अमेरिका और इज़रायल खेल, खेल रहे हैं. ताकि युद्धविराम की चर्चा के बहाने इज़रायल को वक्त मिल सके और वो गाज़ा में कत्लेआम जारी रखे. हमास ने ये भी कहा कि हम युद्ध विराम चाहते हैं. इसलिए इस चर्चा का जो भी परिणाम निकलेगा हम उसे ज़रूर सुनेंगे. युद्धविराम पर आखिरी बातचीत 25 अगस्त को हुई थी. ईजिप्ट की राजधानी काहिरा में. वो बात-चीत भी असफल रही.
हमास और इज़रायल किसी समझौते पर क्यों नहीं पहुंच पाए हैं?2 बड़ी वजह हैं.
- नंबर 1. हमास चाहता है कि जंग स्थाई रूप से रुक जाए. जबकि इज़रायल इसके ख़िलाफ़ है. वो चाहता है कि जंग पूरी तरह खत्म न हो. युद्ध की शुरुआत से ही नेतन्याहू का कहना है कि हम हमास को पूरी तरह मिटाकर ही दम लेंगे.
- दूसरा मसला नेटज़रिम और फ़िलडोल्फ़िया कॉरिडोर पर कब्ज़े को लेकर फंस रहा है. आइए ब्रीफ़ में दोनों के बारे में जानते हैं.
फ़िलडोल्फ़िया कॉरिडोरये 14 किलोमीटर लंबा और 100 मीटर चौड़ा बफर ज़ोन है. ईजिप्ट और गाज़ा की सीमा पर ये बना हुआ है. रफा क्रॉसिंग भी इसी में आती है. ये ईजिप्ट और गाज़ा को जोड़ने वाली एक मात्र क्रोसिंग है. फ़िलडोल्फ़िया कॉरिडोर की स्थिति आप अपनी स्क्रीन पर भी देख सकते हैं. 1979 में इज़रायल और ईजिप्ट ने शांति समझौते के तहत इसे बनाया था. उस समय गाज़ा, ईजिप्ट के रूल से बाहर ही निकला था. उस समय ईजिप्ट के लोग इसे सलाहुद्दीन कॉरिडोर कहा करते थे. सलाहुद्दीन, ईजिप्ट के बादशाह थे, उन्होंने 1187 में जेरुस्लम में क्रूसेडरों को हराया था.
1979 में जब ये बनाया गया तो इज़रायली सैनिकों की टुकड़ी यहां तैनात रहती थी. यहां इज़रायल ने कई अवैध बस्तियां भी बनाई थीं. पर इज़रायल 2005 में इस अवैध कब्ज़े को छोड़कर चला गया था. फिर 2007 में हमास का पूरे गाज़ा में नियंत्रण हो गया. उसके बाद से ये कॉरिडोर गाज़ा के नियंत्रण में आ गया था.कहा जाता है कि हमास ने इस कॉरिडोर के नीचे कई सुरंगे बना रखी हैं. जो ईजिप्ट और गाज़ा को जोड़ती हैं. इज़रायल का कहना है कि जंग के बाद हमास इन सुरंगों का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए कर सकता है.
नेटज़रिम कॉरिडोरये कॉरिडोर 6 किलोमीटर लंबा है. ये इजरायली सीमा से लेकर भूमध्य सागर तक फैला हुआ है. उत्तरी और दक्षिणी गाजा को विभाजित करता है. हाल के युद्ध में इज़रायल ने इसे बनाया है. ये दोनों कॉरिडोर गाज़ा का हिस्सा हैं. इज़रायल चाहता है कि युद्धविराम के बाद भी यहां उनके सैनिकों की उपस्थिति रहे. कुछ जानकार कहते हैं कि इज़रायल की यहां फिर से अवैध बस्तियां बनाने की मंशा हो सकती है. कुछ अति दक्षिणपंथी इज़रायली नेता इस ओर इशारा भी कर चुके हैं. हालिया युद्ध विराम में अड़ंगा इन्हीं दोनों कॉरिडोर की वजह से लगा है.
इज़रायल के रक्षा मंत्री गैलेंट ने भी ये सवाल एक मीटिंग में उठाया. कहा कि इस कॉरिडोर पर ज़्यादा ही तरजीह दी जा रही है. इसकी वजह से समझौता नहीं हो पा रहा. और हमारे बंधक हमास के कब्ज़े में फंसे हुए हैं.
हालिया प्रोटेस्ट की कहानीइज़रायल के बड़े शहरों में बंधकों को रिहा करवाने के लिए लिए प्रोटेस्ट जारी हैं. कौन कौन शामिल हुआ है इसमें?
- तेल-अवीव और हाइफा जैसे बड़े शहरों की नगर पालिका हड़ताल में शामिल हुईं.
- 2 घंटे तक तेल अवीव का एयरपोर्ट बंद रहा. कुछ फ्लाइट्स डिले की गईं
- हेल्थ सेक्टर के कुछ लोग भी इसका हिस्सा रहे हैं.
- तेल अवीव यूनिवर्सिटी, हिब्रू यूनिवर्सिटी समेत दूसरी बड़ी यूनिवर्सिटी इस हड़ताल में शामिल हुईं.
इन प्रदर्शनों की शुरुआत कैसे हुई?जैसा हमने शुरू में बताया 31 अगस्त को 6 इज़रायली बंधकों का शव गाज़ा की सुरंग से मिले. इसके बाद पूरे इज़रायल में बंधकों को घर वापस लाने के लिए प्रोटेस्ट शुरू हुए. इन प्रदर्शनों के अलावा 6 इज़रायली बंधकों की हत्या भी खूब चर्चा में रही. वो क्यों? हमास ने कहा कि इन 6 लोगों की मौत इज़रायली हमलों में ही हुई है. हमने इन्हें नहीं मारा. फिर इज़रायल ने इन शवों की जांच करवाई. रिपोर्ट में कहा गया कि इनको कम दूरी के हथियार से मारा गया है. और शव मिलने के कुछ घंटे पहले ही इनकी मौत हुई है.
दोनों पक्ष एक दूसरे पर बंधकों की हत्या के आरोप लगा रहे हैं. हमास ने इसके पहले भी कुछ बंधकों की मौत के लिए इज़रायली हमलों को ज़िम्मेदार बताया था. अभी कुछ दिन पहले नोआ अरगमानी नाम की बंधक का केस भी खुला था. नोआ भी हमास की कैद में थीं. कुछ दिन पहले उन्हें छुड़ाकर इज़रायल लाया गया था. इज़रायली मीडिया ने उनके हवाले से कई ख़बरें चलाई जैसे उनको हमास के लोगों ने मारा. प्रताड़ना दी. पर सब झूठ निकला. नोआ अरगमानी ने खुद इसका खुलासा किया. उन्होंने कहा कि उनके शरीर पर चोट इज़रायली हमले से लगी है. उन्हें हमास के लोगों ने नहीं मारा।
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