फ्रैड्रिक शोपैन के समलैंगिक होने की बात बर्दाश्त क्यों नहीं कर पा रहा पोलैंड?
शोपैन की पुरानी चिट्ठियों में पुरुषों के प्रति प्रेम के इज़हार से बवाल मचा हुआ है.
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फ्रैड्रिक फ्रैंस्वा शोपैन (गेटी इमेजेज़)
पिआनो, प्रसिद्धि और बीमारी
इस बात को अब 171 साल बीत चुके हैं. उस आर्टिस्ट का संगीत, उसकी कहानियां अब भी ज़िंदा हैं. और ज़िंदा है उसका वो दिल भी, जो ब्रैंडी के एक जार में डूबा आज भी सुरक्षित रखा है. अब तक लोग कहते थे, उस जीनियस कलाकार की कहानी बस तीन शब्दों में बताई जा सकती है. पिआनो, प्रसिद्धि और बीमारी. मगर अब इस कहानी में एक और शब्द जुड़ गया है- समलैंगिकता. और इस नए एडिशन से उस कलाकार का देश गुस्से में है. क्यों? क्योंकि एक तरफ़ जहां वो इस कलाकार को अपना नैशनल आइकन मानते हैं, वहीं घनघोर होमोफ़ोबिक भी हैं. उन्हें समलैंगिकता एक गंदी बीमारी लगती है. यहां के राष्ट्रपति कहते हैं कि समलैंगिकता विनाशक है, कम्यूनिज़म से भी ज़्यादा डिस्ट्रक्टिव है. ये पूरा मामला क्या है, विस्तार से बताते हैं आपको.
यूरोप में एक देश है- पोलैंड. इसकी राजधानी है वॉरसॉ. इसे पोलिश भाषा में वरसावा भी कहते हैं. मार्च 1810 की बात है. इसी वॉरसॉ के पास एक गांव में पैदा हुए फ्रैड्रिक फ्रैंस्वा शोपैन. मां, पोलिश मूल की. पिता, फ्रेंच. शोपैन की सेहत बचपन से ही बेहद नाजुक थी. सांस लेने में परेशानी, वजन घटना, डायरिया, ये चीजें उनके साथ लगी रहती थीं. एक और चीज स्टेपल थी उनके साथ, उनका पिआनो. लोग कहते, शोपैन 'चाइल्ड प्रॉडिजी' हैं. मतलब एकदम जीनियस, होनहार बच्चा. क्यों? इसलिए कि वो सात साल की उम्र से ही पिआनो कॉन्सर्ट देने लगे थे. अपने म्यूज़िक पीसेज़ बनाने लगे थे.

फ्रैड्रिक फ्रैंस्वा शोपैन का पिआनो. (एएफपी)
पोलैंड में ख़ूब सारा नाम कमाने के बाद 19 बरस की उम्र में शोपैन चले गए फ्रांस. इसके बाद अपने जीते-जी वो कभी पोलैंड नहीं लौटे. फ्रांस की नागरिकता भी ले ली. शोपैन ने कुल 18 साल गुज़ारे फ्रांस में. ख़ूब पिआनो बजाया. ओपेरा लिखे. सिंफ़नीज़ बनाईं. और इन्हीं की बदौलत वो कहलाए 19वीं सदी के सबसे महान संगीतकारों में से एक.
मगर बीमारी ने इस पिआनो लेजेंड को जीने का बहुत वक़्त नहीं दिया
अक्टूबर 1849 की बात है, जब बस 39 साल की उम्र में टीबी से उनकी मौत हो गई. इससे पहले कि शोपैन का शरीर पैरिस के एक कब्रिस्तान में दफ़नाया जाता, शोपैन की बहन लुडविका ने अपने भाई के शरीर से उनका दिल निकाल लिया. बड़ी मुश्किल से लुडविका इस दिल को स्मगल करके पोलैंड लाईं. यहां उन्होंने फ्रांस की एक मशहूर ब्रैंडी 'कोनयेक' के एक ज़ार में शोपैन का दिल डुबाया. और इस ज़ार को सील करके रख दिया, वॉरसॉ स्थित होली क्रॉस चर्च के तहख़ाने में. शोपैन का ये दिल आज भी उस तहख़ाने में सुरक्षित रखा है.
19वीं सदी के एक संगीतकार की कहानी हम आज क्यों बता रहे हैं आपको?
इसलिए सुना रहे हैं कि शोपैन इन दिनों बड़ी चर्चा में हैं. ये चर्चा शुरू हुई स्विट्ज़रलैंड से. यहां के सरकारी रेडियो SRF पर 13 नवंबर को एक प्रोग्राम प्रसारित हुआ. इसका नाम था- शोपैन्स मैन. इस प्रोग्राम के मुताबिक, शोपैन शायद गे थे. इस दावे का आधार है, शोपैन के लिखे ख़त. जिनपर रिसर्च की है मॉरिट्ज़ वेबर नाम के एक म्यूज़िक जर्नलिस्ट ने. इन्होंने शोपैन की लिखी पुरानी चिट्ठियों में पुरुषों के प्रति उनकी आसक्ति, उनसे प्रेम का इज़हार खोज निकाला है.
मसलन, शोपैन द्वारा अपने स्कूल के दोस्त टायटस को लिखी गई 22 चिट्ठियां. इनमें से ज़्यादातर चिट्ठियों की शुरुआत शोपैन ने 'माय डियरेस्ट लाइफ़' लिखकर की है. चिट्ठी के आख़िर में लिखा है- डियरेस्ट लवर, गिव मी अ किस. इनमें से एक चिट्ठी में शोपैन ने लिखा है-
तुम्हें पसंद नहीं कि कोई तुम्हें चूमे. प्लीज़, मुझे आज ऐसा करने की इजाज़त दे दो. बीती रात मैंने तुमसे जुड़ा जो शरारती सपना देखा था, उस डर्टी ड्रीम की क़ीमत तो तुम्हें देनी ही होगी.

टायटस को भेजी एक और चिट्ठी में शोपैन ने लिखा था-
कई बार मैं जो बातें तुमसे कहना चाहता हूं, वो सीक्रेट मैं पिआनो को बता देता हूं.

शोपैन की अपने पुरुष मित्रों को भेजी चिट्ठियों में कभी प्रेम निवेदन दिखता है. कभी-कभी उनके शब्दों में कामुकता झलकती है. एक चिट्ठी में तो शोपैन ने ये तक लिखा है कि महिलाओं के साथ उनके अफ़ेयर की अफ़वाहें दरअसल उनकी असल भावनाओं को छुपाने का एक लबादा भर हैं.
इन चिट्ठियों पर रिसर्च करने का क्या मकसद बताया जर्नलिस्ट मॉरिट्ज़ वेबर ने?
उनका कहना है कि शोपैन की चिट्ठियां बताती हैं कि किस तरह उन्हें अपनी समलैंगिक भावनाओं को छुपाना पड़ा. उनके बाद उनकी बायॉग्रफी लिखने वालों, उनपर रिसर्च करने वालों ने भी शोपैन के होमोसेक्शुअल रुझान के प्रति जानबूझकर आंखें मूंदी रखीं. क्यों? क्योंकि शायद ये लोग शोपैन की सेक्शुऐलिटी को सामाजिक स्वीकार्यता के खांचे में ही फिट रहने देना चाहते थे.
जर्नलिस्ट वेबर की इस नई रिसर्च से शोपैन का देश पोलैंड सदमे में है. इसलिए कि शोपैन पोलैंड के नायक हैं. उसके सबसे चहेते राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक. पोलैंड को शोपैन पर गर्व है. और इसीलिए वो शोपैन के समलैंगिक रुझान को पचा नहीं पा रहा. और इसकी वजह है, पोलैंड का कलेक्टिव होमोफ़ोबिया. ये यूरोप के सबसे ज़्यादा ऐंटी-होमोसेक्शुअल देशों में से एक है.

फ्रैड्रिक फ्रैंस्वा शोपैन (गेटी इमेजेज़)
पोलैंड को LGBTQ से दिक्कत क्या है?
पोलैंड के कई इलाकों में लाउडस्पीकर लगाकर समलैंगिकता के खिलाफ़ नफ़रत उगली जाती है. आपको यहां कई बड़े-बड़े पोस्टर्स लगे मिल जाएंगे, जहां बच्चों का यौन शोषण करने वालों की तुलना समलैंगिकों से की गई होगी. पोलैंड की 86 फीसद से ज़्यादा आबादी कैथलिक है. चर्च की बड़ी पकड़ है यहां. और ये चर्च कहता है कि वो समलैंगिकता की बीमारी ठीक कर सकता है.
मगर पोलैंड की दिक्क़त बस इतनी नहीं. यहां सरकार भी ऐंटी-LGBTQ है. यहां राष्ट्रपति हैं, आंड्रे डूडा. वो 2015 से पोलैंड के राष्ट्रपति हैं. डूडा शुरू से ही होमोफ़ोबिया को अपने राजनैतिक फ़ायदों के लिए इस्तेमाल करते आए हैं. अभी 2020 की बात है. पोलैंड में चुनाव हुए. इसमें डूडा का मुकाबला था, वॉरसॉ के मेयर रफाल त्रज़ास्कोव्स्की से. इस चुनाव की मुख्य थीम थी, समलैंगिकता.

पोलैंड के राष्ट्रपति आंड्रे डूडा (एपी)
विपक्षी रफाल LGBTQ अधिकारों के समर्थक थे. जबकि प्रेज़िडेंट डूडा का कहना था कि समलैंगिक अधिकारों की बात करना एक विनाशक विचारधारा है. और ये अपने आप में कम्यूनिज़म से भी बदतर है. चुनाव के वक़्त डूडा ने कसम खाई. कहा कि अगर वो जीतते हैं, तो समलैंगिकों को शादी नहीं करने देंगे. न ही उन्हें बच्चे गोद लेने की परमिशन मिलेगी. साथ ही, स्कूलों और बाकी सार्वजनिक संस्थानों में समलैंगिकता को बैन कर दिया जाएगा. क्या हुआ इस चुनाव का नतीजा? डूडा जीत गए.

वॉरसॉ के मेयर रफाल त्रज़ास्कोव्स्की (एपी)
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पोलैंड के PM हैं मताऊस मोरावेज़्स्की. उनके मुताबिक, होमोसेक्शुअल अजेंडा पोलैंड के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है. समलैंगिक लोग पारिवारिक मूल्यों के लिए ख़तरा हैं. समाज में उनकी कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा बाकी मंत्री भी समय-समय पर समलैंगिकों के खिलाफ़ जहर उगलते रहते हैं. मसलन, वहां के शिक्षामंत्री. उनका बयान है कि समलैंगिकों की तुलना नॉर्मल इंसानों से नहीं की जा सकती है.
सरकार और आम जनता के इस स्टैंड के कारण पोलैंड LGBTQ समुदाय के लिए सबसे असुरक्षित जगहों में से एक है. LGBTQ पर हमले होना. सरेआम उनकी बेइज्ज़ती करना. उनके साथ भेदभाव. उनका सोशल बायकॉट. ये चीजें आम हैं यहां.

पोलैंड के PM मताऊस मोरावेज़्स्की (एपी)
फिर 2019 में पोलैंड के भीतर एक नया ट्रेंड शुरू हुआ. यहां के कई प्रांत और नगरपालिकाएं ख़ुद को 'LGBTQ फ्री ज़ोन' बताने लगीं. सितंबर 2020 आते-आते तकरीबन 100 इलाके इस लिस्ट में शामिल हो गए. इन इलाकों को मिलाइए, तो पोलैंड का एक-तिहाई हिस्सा कवर हो जाएगा. माने, हंगरी जैसे देश से बड़ा इलाका. और इन इलाकों की कुल आबादी एक करोड़ से ज़्यादा है.
क्या मतलब है 'LGBTQ फ्री ज़ोन' का?
इसका मतलब है, इन इलाकों से LGBTQ लोगों का सफ़ाया. LGBTQ अधिकारों का समर्थन करने वालों का सफ़ाया. इन मार्क्ड इलाकों में रह रहे समलैंगिकों के आगे गिनती के विकल्प थे. वो या तो घर-बार छोड़कर कहीं और चले जाएं. या फिर, अपना सेक्शुअल रुझान बदल लें. बीते महीनों में कई समलैंगिक पोलैंड से पलायन भी कर चुके हैं. न्यूज़ एजेंसी AP के मुताबिक, पोलैंड के समलैंगिकों का एक बड़ा धड़ा ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स और स्पेन जैसे यूरोपीय देशों में पलायन कर रहा है. ये लोग अच्छी नौकरियों के लिए देश नहीं छोड़ रहे. बस ऐसी जगह जा रहे हैं, जहां उन्हें सम्मान मिले. जहां उनके सेक्शुअल रुझान के चलते सरकार उनसे दुश्मनों जैसा बर्ताव न करे.

पोलैंड LGBTQ समुदाय के लिए सबसे असुरक्षित जगहों में से एक है (एएफपी)
इन्हीं मुद्दों को लेकर अभी अगस्त 2020 में पोलैंड के भीतर बड़ा प्रोटेस्ट भी हुआ. प्रदर्शन शुरू होने की वजह बना, एक LGBTQ ऐक्टिविस्ट की गिरफ़्तारी. इस प्रोटेस्ट पर पुलिस ने ख़ूब क्रूरता दिखाई. पीट-पीटकर कइयों का सिर फोड़ दिया.
यूरोपियन यूनियन का क्या स्टैंड है?
पोलैंड यूरोपियन यूनियन का सदस्य है. EU समलैंगिक अधिकारों के प्रति बहुत सजग है. ऐसे में पोलैंड ने जब LGBTQ फ्री इलाके बनाए, तो EU ने कार्रवाई की. उसने कहा कि वो इन इलाकों की EU से मिल रही फंडिंग को रोक रहा है. फिर सितंबर महीने में EU की नई प्रेज़िडेंट 'अर्सला वॉन डेर लेयन' ने अपने भाषण में ये मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि पोलैंड के LGBTQ फ्री जोन्स अमानवीय हैं और उनकी EU में कोई जगह नहीं.
मगर इस स्टैंड के बावजूद EU पर पोलैंड जैसे देशों में बढ़ रहे होमोफ़ोबिया पर पर्याप्त सख़्ती न बरतने का आरोप है. इसकी एक बड़ी वजह है, EU की ट्रीटी. इसमें क्रिमिनल और फैमिली से जुड़े क़ानूनों में सदस्य देशों के पास बढ़त है. इस मामले में दखल देने का बहुत स्कोप नहीं है EU के पास. वो जब भी हेट-क्राइम या भेदभाव से जुड़े नियम लागू करने की कोशिश करता है, तब पोलैंड जैसे देश संप्रभुता कार्ड खेल जाते हैं. वैसे भी, पोलैंड और हंगरी जैसे सदस्यों के साथ EU की पिछले कुछ समय से पट नहीं रही. वहां बढ़ रही कट्टरता और तानाशाही प्रवृत्ति के खिलाफ़ EU कुछ कर नहीं पा रहा.

EU नई प्रेज़िडेंट अर्सला वॉन डेर लेयन. (एपी)
पोलैंड में हावी इस ऐंटी-LGBTQ कल्चर के बारे में बताने के बाद एकबार फिर लौटते हैं शोपैन पर
पोलैंड की जनता शोपैन को इस देश का फेवरेट बेटा मानती है. बहुत गर्व करती है उनपर. उनके नाम पर हर साल दर्जनों प्रोग्राम होते हैं. उनके नाम पर पोलैंड में दर्जनों पार्क और इमारतें हैं. देश के सबसे प्रमुख हवाईअड्डे का नाम है शोपैन एयरपोर्ट. मगर शोपैन को इतना प्रेम करने वाला देश ये मानने को राज़ी नहीं कि वो समलैंगिक हो सकते हैं. पोलैंड में कहा जा रहा है कि ज़रूर अनुवादक ने शोपैन की चिट्ठियों को समझने में ग़लती की है. पोलिश मीडिया इसे वेस्ट की साज़िश बता रही है. उनका कहना है कि मान लो शोपैन ने अपने पुरुष दोस्त को किस किया. मगर इससे ये कहां साबित होता है कि वो गे थे?
शोपैन के समलैंगिक होने की इस थिअरी पर पोलैंड की LGBTQ कम्यूनिटी को थोड़ी उम्मीद बंधी है. उनको लग रहा है कि शायद इस बहाने पोलैंड में समलैंगिकता के लिए थोड़ी सहिष्णुता बने. मगर जानकारों का कहना है कि ये उम्मीदें टूट सकती हैं. शोपैन नैशनल सिंबल हैं पोलैंड का. एक होमोफ़ोबिक स्टेट अपने सबसे बड़े प्रतीक की सेक्शुऐलिटी पर होने वाली ऐसी किसी डिबेट को जगह नहीं देगा.
सोचिए, एक इंसान किस लिंग के इंसान के साथ सेक्स करने में सहज है, क्या ये तय करने का अधिकार उसका नहीं? क्या सहमति से किया जाने वाला सेक्स निजी पसंद का मसला नहीं? क्या किसी व्यक्ति के समलैंगिक होने की संभावना उसकी महानता को कम कर सकती है? क्या शोपैन जैसे महान कम्पोज़र के संगीत को उनकी सेक्शुअल चॉइस के आधार पर आंका जा सकता है? शोपैन तो इस दुनिया से चले गए. वो गे थे या नहीं, पोलैंड इसे माने या नहीं, इससे शोपैन की लीगसी में कोई फ़र्क नहीं आएगा. मगर जो समलैंगिक, जो LGBTQ अभी इस दुनिया में हैं, उन्हें हमारे-आपके, हमारी सरकारों के एटिट्यूड से बहुत फ़र्क पड़ता है. किसी भी सोसायटी का होमोफ़ोबिक होना एक कलेक्टिव फ़ेलियर है.