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पोर्नस्टार स्टोर्मी डेनियल्स की कहानी, जिसने डोनाल्ड ट्रंप को जेल की कगार पर पहुंचा दिया?

डोनाल्ड ट्रंप और स्टोर्मी डेनियल्स के अफ़ेयर की कहानी क्या है?

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2016 के राष्ट्रपति चुनाव से कुछ हफ्ते पहले का मामला. (फोटो - AP/सोशल मीडिया)
2016 के राष्ट्रपति चुनाव से कुछ हफ्ते पहले का मामला. (फोटो - AP/सोशल मीडिया)
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31 मार्च 2023 (Updated: 31 मार्च 2023, 21:26 IST)
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अमेरिका के मैनहटन शहर को दुनिया के पहले परमाणु बम के लिए याद किया जाता है. इसी जगह पर वैज्ञानिकों ने परमाणु बम बनाने के लिए शुरुआती रिसर्च की थी. जिसके कारण इस प्रोग्राम को ‘मैनहटन प्रोजेक्ट’ का नाम मिला. आठ दशक बाद ये शहर एक बार फिर से इतिहास बना रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 30 मार्च को मैनहटन में ग्रैंड ज्यूरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर मुकदमा चलाने के लिए हरी झंडी दिखा दी. इस तरह पहली बार किसी मौजूदा या पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पर आपराधिक मुकदमे का रास्ता साफ़ हो गया है. ये मामला एडल्ट फ़िल्मों की सुपरस्टार स्टोर्मी डेनियल्स को किए गए पेमेंट से जुड़ा है. ट्रंप की टीम ने 2016 में डेनियल्स को लगभग एक करोड़ रुपये की रकम दी थी. पुराने अफ़ेयर को छिपाने के लिए. लेकिन ख़बर किसी तरह बाहर आ गई. और, अब इसने ट्रंप का पोलिटिकल कैरियर दांव पर लगा दिया है. उनके ऊपर गिरफ़्तारी की तलवार भी लटकने लगी है.

तो, आइए हम जानते हैं

- डोनाल्ड ट्रंप और स्टोर्मी डेनियल्स के अफ़ेयर की कहानी क्या है?
- आने वाले दिनों में ट्रंप के साथ क्या-क्या हो सकता है?
- और, क्या ट्रंप का पोलिटिकल कैरियर ख़त्म हो जाएगा?

आपकी जेहन में ट्रंप की पहचान क्या है?

एक बड़े बिजनेसमैन की या झूठ बोलने, दंगा भड़काने, परमाणु बम की धमकी देने वाले राष्ट्रपति की या, एक ऐसे विपक्षी नेता की, जो तमाम विरोधाभासों के बावजूद फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति बनना चाहता है. ये सारी आइडेंटिटीज़ 2016 के बाद बनी थीं या फिर दुनिया के सामने आईं. लेकिन उससे पहले भी ट्रंप बहुत कुछ थे. उन्होंने ऐसे कई कांड किए थे, जिसका नतीजा उन्हें आज तक भुगतना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला स्टोर्मी डेनियल्स से जुड़ा है. जिसने ट्रंप के सपनों में पलीता लगा दिया है.

डेनियल्स कौन हैं और ट्रंप का नाम उनके साथ कैसे जुड़ा?

स्टोर्मी डेनियल्स एडल्ट फ़िल्मों की दुनिया का एक बड़ा नाम हैं. असली नाम, स्टेफ़नी ग्रेगरी क्लिफ़ोर्ड. मार्च 1979 में अमेरिका के लूइसियाना में पैदा हुई स्टेफ़नी जब चार बरस की हुई, तभी उसके माता-पिता का तलाक हो गया. स्टेफ़नी पढ़ने में अच्छी थी. बड़े-बड़े कॉलेजों से ऑफ़र आने लगे थे. वो कैरियर के कई ऑप्शंस के बीच झूल रही थी. उसका मन जानवरों की डॉक्टर, राइटर और पत्रकार के बीच हिचकोले खा रहा था. इसी उधेड़बुन बीच एक अजीब घटना घटी. 1996 का साल चल रहा था. स्टेफ़नी अपनी एक दोस्त से मिलने एक स्ट्रिप क्लब में गई. स्ट्रिप क्लब वो जगह होती है, जहां एडल्ट परफ़ॉर्मर्स एरॉटिक सीन्स परफ़ॉर्म करते हैं. उस रात क्लब में गिनती के लोग थे. जब उन्हें पता चला कि मेन परफ़ॉर्मर नहीं आई है, बचे-खुचे लोग भी निकल कर जाने लगे. तब स्टेफ़नी ने क्लब के मेनेजर से कहा कि वो स्टेज पर जाना चाहती है. मेनेजर मान गया. स्टेफ़नी ने दो गानों पर डांस किया. इसके लिए उसको अच्छे-खासे पैसे मिले. और, यहीं से उसकी ज़िंदगी बदल गई. स्टेफ़नी ने मन बना लिया था कि अब वो इसी फ़ील्ड में आगे बढ़ेगी. उसने यही किया भी. 1990 के दशक में वो टॉक ऑफ़ द टाउन बन चुकी थी.

कुछ बरस बाद स्टेफ़नी पोर्न फ़िल्मों की दुनिया में चली गई. दर्शकों को आकर्षित करने के लिए और कई दफा असली पहचान छिपाने के लिए पोर्न एक्टर्स अपना नाम बदल लेते हैं. वे ऐसा नाम रखते हैं, जो उत्तेजक हो और लोगों की ज़ुबान पर चढ़ जाए. स्टेफ़नी क्लिफ़ोर्ड को स्टोर्मी डेनियल्स पसंद आया. फिर तो स्टेफ़नी क्लिफ़ोर्ड नेपथ्य में चली गई. स्टोर्मी डेनियल्स सनसनी बन चुकी थी. जल्दी ही वो लोगों को भा गई. 2004 में उन्हें एडल्ट वीडियो न्यूज़ (AVN) अवॉर्ड्स में बेस्ट न्यू स्टार से नवाजा गया. AVN अवॉर्ड्स को पोर्नोग्राफ़ी की दुनिया का ऑस्कर्स कहा जाता है. इसके बाद तो इंडस्ट्री में उसका रुतबा बढ़ता ही गया. हालांकि, निजी ज़िंदगी में सब ठीक नहीं चल रहा था. 2005 में पहले पति से उसका तलाक हो गया.

फिर आया 2006 का साल. नेवाडा स्टेट के एजवुड तहोए गोल्फ़ कोर्स में एक चैरिटी टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. इसमें कई सेलिब्रिटीज़ आए थे. इनमें डोनाल्ड ट्रंप भी थे. उस समय ट्रंप रियल स्टेट डेवलपर और टीवी स्टार के तौर पर जाने जाते थे. उस वक़्त तक उनका पोलिटिक्स में आने का कोई इरादा नहीं था. उस टूर्नामेंट में कुछ एडल्ट स्टार्स को भी बुलावा भेजा गया था. इनमें स्टोर्मी डेनियल्स भी थी. जब से ट्रंप ने उन्हें देखा, वो उनसे बात करने का मौका तलाशने लगे. जैसा कि डेनियल्स दावा करती हैं, ट्रंप ने उन्हें साथ में डिनर के लिए बुलाया. डिनर के बाद दोनों ट्रंप के कमरे में गए. और, वहां दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए. डेनियल्स ये भी कहती हैं कि उनका ट्रंप के साथ एक महीने तक अफ़ेयर भी चला. ट्रंप किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते रहे हैं. जिस समय की ये घटना है, उस समय डेनियल्स का तलाक हो चुका था. वो 27 बरस की थीं. मगर ट्रंप शादीशुदा थे. उनकी उम्र 60 साल थी. ट्रंप की तीसरी पत्नी मेलानिया ने दो महीने पहले ही एक बेटे को जन्म दिया था.

इसके बावजूद ट्रंप ने डेनियल्स के साथ रिश्ता बनाया था. हालांकि, कुछ समय बाद ही दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए. डेनियल्स ने एडल्ट फ़िल्में डायरेक्ट करनी शुरू कर दीं. इसके अलावा, उनका ऐक्टिंग और स्ट्रिप क्लब का काम बदस्तूर जारी था. ट्रंप अपने बिजनेस में व्यस्त हो गए. (इस कहानी को यहां पर अल्पविराम देते हैं. इसका ज़िक्र आगे आएगा.)

खैर, 2008 का साल आया. इस बरस भी AVN अवॉर्ड्स आयोजित हुआ. इस दफा स्टेज पर एक दिलचस्प वाकया घटा. एडल्ट फ़िल्मों की एक और बड़ी स्टार जेना जेमिसन ने इंडस्ट्री छोड़ने का ऐलान किया. बोलीं, मेरा वक़्त बीत चुका है. अब ठहरना ज़रूरी हो गया है.

तब जेना 34 बरस की थी. जैसा कि इतिहास रहा है, इस उम्र तक काम करने को एडल्ट फ़िल्मों की दुनिया में अकल्पनीय माना जाता है. स्क्रीन पर दिखने वाली चमक-दमक के पीछे की सच्चाई बेहद डरावनी है. इस इंडस्ट्री में एक्टर्स को इस्तेमाल कर फेंक देने की परंपरा रही है. अधिकांश लोग, खासकर महिलाएं, 25 की उम्र के बाद बेकार घोषित कर दी जातीं हैं. उस दौर में भी जेना और डेनियल्स ने अपनी प्रासंगिकता बचाकर रखी थी. ये बड़ी बात थी. उसी अवॉर्ड समारोह में डेनियल्स ने कहा, मेरे लिए अभी ठहरने का समय नहीं आया है. अभी और बहुत कुछ करना बाकी है.

उनकी बात तब समझ में आई, जब उन्होंने लूइसियाना से सेनेटर का चुनाव लड़ने का ऐलान किया. वो बोलीं कि अगर मैं जीती तो एडल्ट फ़िल्में करना छोड़ दूंगी. मगर उन्हें ज़्यादा सपोर्ट नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. उसी समय उनके ऊपर घरेलू हिंसा का आरोप लगा. उन पर अपने पति को घायल करने का केस था. इसके लिए उन्हें अरेस्ट भी किया गया. वो जल्दी ही छूट गईं. बाद में वो अपने पुराने प्रोफ़ेशन में जुट गईं.

फिर आया 2016 का साल. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहा था. बराक ओबामा का दूसरा कार्यकाल पूरा हो रहा था. उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी चुनावी सर्वे में पिछड़ रही थी. जिस रिपब्लिकन पार्टी की जीत की संभावना जताई जा रही थी, उसने इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. असल में ट्रंप ने 2011 में ही राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का मन बना लिया था. लेकिन उस बरस पार्टी के प्राइमरी इलेक्शन में वो खड़े नहीं हुए. 2016 आते-आते सिक्का पलट चुका था. ट्रंप जुमलों से भरे भाषणों और भड़काऊ बयानों के दम पर लोगों का समर्थन बटोर रहे थे. परदे के सामने ट्रंप करोड़ों अमेरिकी जनता के हीरो थे, लेकिन परदे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा था.

इस खेल का सूत्रधार ट्रंप का एक वकील था. माइकल कोहेन. वो ट्रंप के लिए वैध और अवैध तरीके से मामला सुलटाने का काम करता था. मसलन, 2011 में स्टोर्मी डेनियल्स ने कॉन्ट्रैक्ट कर ‘इन टच वीकली’ नाम की एक मैगज़ीन को इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने ट्रंप के साथ अफ़ेयर के बारे में भी बताया था. द टेलीग्राफ़ यूके में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी भनक कोहेन को लग गई. उसने मैगज़ीन को मुकदमे की धमकी दी. मैगज़ीन ने रिपोर्ट छापने से मना कर दिया. डेनियल्स को पेमेंट भी नहीं मिली.

दूसरा उदाहरण 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले का है. ट्रंप पर कई महिलाएं सेक्सुअल अब्यूज के आरोप लगा रहीं थीं. ये भी पता चला कि स्टोर्मी डेनियल्स फिर से इंटरव्यू देने के बारे में सोच रही है. कोहेन फिर से अपने बॉस के बचाव में आया. उसने डेनियल्स को मामला दबाने के बदले लगभग एक करोड़ रुपये की रकम दी. ये पैसे उसने अपनी जेब से दिए थे. जिसे ट्रंप ने वाइट हाउस पहुंचने के बाद वापस किया. कोहेन ने बाद में कहा कि ये काम उसने ट्रंप के कहने पर किया था. ट्रंप इस आरोप से भी इनकार करते हैं.

खैर, कोहेन ने मामले को दबाने की भरपूर कोशिश की थी. लेकिन 2018 में ये बाहर आ ही गया. डेनियल्स ने कोहेन के नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (NDA) को खारिज करने के लिए याचिका दायर की. उनका तर्क था कि इस एग्रीमेंट पर ट्रंप ने दस्तखत नहीं किए हैं. इसलिए, इसका कोई मतलब नहीं रह जाता. इसके तुरंत बाद 2011 से दबा इन टच वीकली का इंटरव्यू भी पब्लिश हो गया. फिर तो हंगामा ही मच गया. डेनियल्स नेशनल न्यूज़ चैनल्स पर दिखने लगीं. उनकी कहानी गॉसिप का हिस्सा बन चुकी थी.

इसी समय कोहेन पर टैक्स फ़्रॉड और इलेक्शन कैंपेन में धांधली की जांच भी चल रही थी. कोहेन को अरेस्ट कर लिया गया. अगस्त 2018 में उन्होंने सभी आरोप स्वीकार कर लिए. कोहेन ने डेनियल्स को मुंह बंद रखने के लिए किए पेमेंट किया था. उन्होंने इसमें ट्रंप का नाम लिया. कहा कि मुझे ट्रंप ने पैसा देने के लिए कहा था. ट्रंप ये तो मानते हैं कि उन्होंने वाइट हाउस पहुंचने के बाद कोहेन के रुपये लौटाए थे. लेकिन वो डेनियल्स के साथ शारीरिक संबंध वाली बात से इनकार करते हैं. वैसे, सहमति से शारीरिक संबंध बनाना या फिर मुंह बंद रखने के लिए पैसे का भुगतान करना, दोनों ही अमेरिका में गैर-कानूनी नहीं है.

इसके बावजूद इसने ट्रंप को अपने लपेटे में ले लिया था. क्यों? इसकी दो बड़ी वजहें थीं.

- नंबर एक. पद की गरिमा. अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताक़तवर शख़्स माना जाता है. वो अपने देश में भी सबसे प्रतिष्ठित होता है. उससे हमेशा उच्चतम स्टैंडर्ड के व्यवहार की उम्मीद की जाती है. ट्रंप पर जो आरोप लग रहे थे, उससे उस पद की छवि धूमिल हो रही थी. इस वजह से उनके ऊपर सवाल उठे थे.

- नंबर दो. ग़लत जानकारी. डेनियल्स को एक करोड़ की रकम चुनाव से एक महीने पहले दी गई थी. कहा गया कि ये पैसा चुनाव के लिए इस्तेमाल हुआ. लेकिन पेमेंट रिकॉर्ड्स में इसे शामिल नहीं किया गया. ये इलेक्शन के लिए तय नियमों के ख़िलाफ़ था. ट्रंप ने इसे लीगल खर्चे के तौर पर दिखाया था. मगर उस वक़्त कोहेन दलाल के तौर पर काम कर रहे थे, वकील के तौर पर नहीं.

ट्रंप इसमें कैसे फंसे?

कोहेन की स्वीकारोक्ति के बाद मैनहटन के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी साइरस वांस जूनियर ने ट्रंप की कंपनी के ख़िलाफ़ जांच शुरू की. वो देखना चाहते थे कि कंपनी ने न्यूयॉर्क के कानूनों का उल्लंघन तो नहीं किया है. उसी समय केंद्र की लॉ एजेंसियां भी इस मामले की जांच में जुटी थी. इसी वजह से साइरस को अपनी जांच रोकनी पड़ी.

अगस्त 2019 में केंद्र की जांच पूरी हो गई. तब साइरस ने अपनी फ़ाइल खोली. उन्होंने ट्रंप की कंपनी और उनके अकाउंट्स की देखभाल करने वाले फ़र्म से टैक्स रिटर्न्स से जुडे़ पुराने रिकॉर्ड्स मांगे. ट्रंप के वकील इसके ख़िलाफ़ अदालत चले गए. उनका कहना था कि सीटिंग प्रेसिडेंट के ऊपर आपराधिक जांच नहीं बिठाई जा सकती. जुलाई 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की याचिका खारिज कर दी. कहा कि राष्ट्रपति कानून से ऊपर नहीं है. उन पर जांच चलेगी. 

ट्रंप ने फिर अड़ंगा लगाने की कोशिश की. मगर उन्हें सफ़लता नहीं मिली. जनवरी 2021 में ट्रंप का कार्यकाल खत्म हो गया. और, फ़रवरी में उन्हें टैक्स रिटर्न्स से जुड़े सारे रिकॉर्ड वांस को सौंपने पड़े. मार्च 2021 में प्रॉसीक्यूटर्स ने ट्रंप की कंपनी के चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर एलेन वीजेलबर्ग को निशाने पर लिया. एलेन ने पहले तो मुंह खोलने से मना किया. बाद में उन्होंने टैक्स फ़्रॉड के आरोप स्वीकार कर लिए.

फिर 2022 की शुरुआत में मैनहटन में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (DA) बदल गया. एल्विन ब्रैग मैनहटन के नए DA बने. DA अमेरिका के अलग-अलग न्याय-क्षेत्र में होने वाले अपराधों पर नज़र रखते हैं. उनका काम कानून लागू कराना और अपराधियों को सज़ा दिलाना होता है. एल्विन ब्रैग ने पद संभालते ही ट्रंप के केस को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इसके विरोध में उनके दो करीबी अफ़सरों ने इस्तीफा दे दिया. इसको लेकर ब्रैग की भयानक आलोचना हुई. आख़िरकार, अगस्त 2022 में ब्रैग ने फ़ाइल फिर से खोलने का ऐलान किया. दिसंबर 2022 में ट्रंप की कंपनी पर टैक्स फ़्रॉड का आरोप तय कर दिया गया. ज्यूरी ने माना कि कंपनी ने टैक्स चुकाने में भारी हेर-फेर की है.

जनवरी 2023 में ब्रैग ने एक नई ग्रैंड ज्यूरी का गठन किया. डेनियल्स और दूसरी महिलाओं को किए गए पेमेंट के सिलसिले में. इसमें माइकल कोहेन बतौर गवाह पेश हुए. ग्रैंड ज्यूरी की सुनवाई अक्सर बंद दरवाज़े के पीछे होती है. इसमें सबूतों और गवाहों को पेश किया जाता है. सुनवाई में ये देखा जाता है कि आरोपी पर मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं. फिर मार्च 2023 में ज्यूरी ने ट्रंप को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया. तभी माना जाने लगा था कि ट्रंप पर लगे आरोप पुष्ट हो गए हैं. अब मुकदमा आगे बढ़ सकता है. ट्रंप को गिरफ़्तारी का अंदेशा हो चुका था. 18 मार्च को उन्होंने लोगों से सड़कों पर उतरने के लिए कहा. लेकिन उस समय उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया.

फिर 30 मार्च को रिपोर्ट आई कि ग्रैंड ज्यूरी ने अपना फ़ैसला सुना दिया है. ट्रंप पर चार्ज लगाया जा सकता है. अभी ये पुष्ट नहीं है कि उनके ऊपर कौन से चार्ज लगेंगे. लेकिन क्रिमिनल केस का रास्ता खुल चुका है. ट्रंप इस तरह के चार्ज झेलने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं.

ग्रैंड ज्यूरी ने अपना फ़ैसला सुना दिया. अब आगे क्या होगा?

ट्रंप फ़्लोरिडा में रहते हैं. मीडिया रपटों के अनुसार, वो 03 अप्रैल को न्यूयॉर्क आ सकते हैं. उन्हें प्रॉसीक्यूटर्स के सामने पेश होना होगा. वहां पर उनके ऊपर लगाए गए चार्जेज पढ़े जाएंगे. बड़े आपराधिक मामलों में आरोपी को हथकड़ी लगाकर कोर्ट में पेश किया जाता है. तस्वीर ली जाती है. फ़िंगरप्रिंट्स भी दर्ज किए जाते हैं. कहा जा रहा है कि ट्रंप के वकील उन्हें वैसी स्थिति से बचाने की पूरी कोशिश करेंगे.

इस प्रोसेस के बाद उन्हें वेटिंग एरिया या सेल के अंदर इंतज़ार करना होगा. फिर उन्हें जज के सामने ले जाया जाएगा. केस दर्ज होने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. फिर ट्रायल की तारीख़ और जमानत के लिए ज़रूरी शर्तें बताई जाएंगी. अगर उनके ऊपर लगे गंभीर आरोप साबित हुए तो उन्हें अधिकतम चार बरस की सज़ा सुनाई जा सकती है. जानकारों का कहना है कि इसकी संभावना बेहद कम है. ज़्यादा चांस इस बात का है कि उनके ऊपर ज़ुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाएगा.

तो क्या ट्रंप का पोलिटिकल कैरियर खत्म हो जाएगा?

अमेरिका में अगले बरस राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है. ट्रंप ने ये चुनाव लड़ने का इरादा किया है. रिपब्लिकन पार्टी के अंदर उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है. ग्रैंड ज्यूरी के फ़ैसले के बाद भी ट्रंप पीछे नहीं हटे हैं. उन्होंने बाइडन पर आरोप लगाया कि वो बदले की कार्रवाई कर रहे हैं. ट्रंप इस बात पर अड़े हैं कि वो किसी भी कीमत पर चुनाव लड़ेंगे. अगर उन्हें सज़ा होती भी है, तब भी. दरअसल, अमेरिका के कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी दोषी को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने या राष्ट्रपति के पद पर काम करने से रोके. यानी, अगर ट्रंप जेल गए भी तो वो फिर से राष्ट्रपति बन सकते हैं. जो कुछ होगा, वो तो आने वाले दिनों में पता चलेगा. लेकिन इस घटनाक्रम ने अमेरिका की राजनीति में बड़ी रेखा तो ज़रूर खींच दी है. ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि उनके साथ अत्याचार हो रहा है. जबकि लिबरल्स का मानना है कि कानून की नज़र में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, भले ही वो देश का राष्ट्रपति ही क्यों ना रहा हो!

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